Wednesday, June 1, 2011

चिंता का सबब बनी पुत्रों की सियासी उड़ान


उत्तर प्रदेश के पिछले दो उपचुनाव के नतीजे भाजपा के नजरिये से कतई तसल्लीबख्श नहीं कहे जा सकते। एक में वह पीस पार्टी और दूसरे में निर्दलीय उम्मीदवार से भी पीछे चली गई, लेकिन पार्टी के कई दिग्गजों के लिए इस चिंता से कहीं बड़ी चिंता अपने बेटों की सियासी उड़ान के टेकआफ को लेकर है। इसके लिए उन्हें अगले साल प्रस्तावित विधान सभा चुनाव से बेहतर रनवे नहीं मिल सकता है, शायद यही वजह है कि कई बड़े नेता फिलवक्त अपने बेटों के लिए पार्टी के अंदर समीकरण और एक राय बनाने के अभियान में जुटे हैं। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह संगठन में प्रदेश मंत्री हैं। उनके लिए पार्टी का टिकट उतना मुश्किल नहीं, जितना यह तय करना कि उन्हें लड़ना कहां है? उनके लिए सुरक्षित से सुरक्षित सीट की तलाश हो रही है। अब तक उनके लिए तीन सीटें तलाशी जा चुकी हैं, जिनमें एक लखनऊ की है, दूसरी वाराणसी की और तीसरी गौतमबुद्ध नगर से। अब अगर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने बेटे को लेकर फिक्रमंद हो सकते हैं तो पार्टी के दूसरे नेता क्यों नहीं? सत्यदेव सिंह को लीजिए। वह संगठन में कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं। शाही कमेटी में वह प्रवक्ता हैं। बलरामपुर से एमपी हुआ करते थे। उनका राजनीतिक जनाधार गोण्डा और बलरामपुर जिले के ही इर्द-गिर्द माना जाता रहा है, लेकिन अब जब यह इलाका भाजपा के लिए सुरक्षित नहीं रहा तो सत्यदेव सिंह नहीं चाहते हैं कि उनके बेटे वैभव की राजनीतिक पारी किसी जोखिम के साथ शुरू हो। इसलिए वह अपने बेटे को लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाना चाहते हैं जो भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाती है। प्रोफेसर रामजी सिंह संगठन मंत्री रह चुके हैं। विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य हैं। अब वह चाहते हैं उनका बेटा अरिजीत सिंह भी राजनीति में आगे आए। वह बेटे को मऊ से टिकट दिलवाना चाहते हैं। पार्टी के पूर्व सांसद राम बख्श वर्मा को भी अपने पुत्र आलोक वर्मा के लिए कन्नौज से टिकट की ख्वाहिश है। वरिष्ठ नेता और लखनऊ के सांसद लाल जी टंडन के पुत्र गोपाल टंडन की लखनऊ से टिकट की दावेदारी जग जाहिर है। लाल जी टंडन के सांसद बन जाने के बाद उनके द्वारा विधानसभा की छोड़ी गई सीट लखनऊ पश्चिम पर तो गोपाल टंडन की दावेदारी शुरू से रही है, लेकिन उपचुनाव के वक्त उनका टिकट कट गया था। आम चुनाव में इस सीट के लिए उनका दावा फिर से है। पुत्र ही नहीं पुत्रियां भी टिकट की दावेदार हैं। पार्टी की प्रदेश महामंत्री प्रेमलता कटियार प्रदेश सरकार में कई बार मंत्री भी रही हैं। उनकी ख्वाहिश अपनी बेटी नीलिमा कटियार को राजनीति में लाने की है। प्रेमलता अपनी बेटी के लिए कानपुर से टिकट चाहती हैं। पूर्व मंत्री राम प्रकाश त्रिपाठी के निधन के बाद उनकी पुत्री अर्चना पाण्डे छिबरामऊ से टिकट की दावेदार हैं.

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