तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक खास तोहफे से खुश कर दिया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पहली बार दिल्ली आई जयललिता राज्य के लिए एक लाख करोड़ रुपये की भीमकाय परियोजना लेकर लौटी हैं। देश का पहला पेट्रोकेमिकल और पेट्रोलियम इन्वेस्टमेंट रीजन तमिलनाडु में बनेगा। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले एक अंतर मंत्रालयी समूह ने इसे मंजूरी दे दी। जयललिता के धुर विरोधी रसायन एवं उर्वरक मंत्री एमके अलागिरी इस परियोजना का प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखेंगे। तमिलनाडु सरकार और नागार्जुन फर्टिलाइजर का साझा उपक्रम नागार्जुन ऑयल कॉर्पोरेशन इस पेट्रो क्षेत्र में प्रमुख निवेशक होगा जो 60 लाख टन की रिफाइनरी लगाएगा। चेन्नई पेट्रो अपने पेट्रो केमिकल कांप्लेक्स के साथ परियोजना में दूसरी बड़ी निवेशक हो सकती है। पेट्रोकेमिकल व पेट्रोलियम इन्वेस्टमेंट रीजन (पीसीपीआइआर) प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में एक है। पिछली सरकार में अमेरिका यात्रा के बाद प्रधानमंत्री ने इसकी योजना बनाई थी, जिसका मकसद ऊर्जा क्षेत्र में एकमुश्त भारी निवेश जुटाना था। राज्य के कड्डालूर और नागपट्टनम जिलों में 25,683 हेक्टेयर क्षेत्र में यह मेगा पेट्रो रीजन बनेगा जिसकी 40 फीसदी भूमि उत्पादन इकाइयों के लिए होगी। कैबिनेट सचिवालय ने राज्य सरकार से निवेश एवं क्रियान्वयन की चरणबद्ध योजना मांगी है, जो कैबिनेट के लिए प्रस्ताव का आधार बनेगी। परियोजना को एसईजेड का दर्जा यानी सभी तरह की कर रियायतें मिलेंगी। केंद्र ने जया की इस अहम मांग को न केवल मंजूर किया है, बल्कि परियोजना से जुड़ा बुनियादी ढांचा बेहतर करने के लिए करीब 4200 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता भी दी है। इस आवंटन से राष्ट्रीय राजमार्ग 45-ए व राज्य की कुछ दूसरी सड़कों को चौड़ा किया जाएगा और विल्लूपुरम से मैयिलादुथेरेई के बीच रेल मार्ग का विद्युतीकरण भी होगा। यही नहीं केंद्र सरकार परियोजना को व्यवहार्य (वायबेलिटी गैप फंडिंग) बनाने के लिए 600 करोड़ रुपये की विशेष सहायता और आधुनिक प्रदूषण नियंत्रण व जल शोधन संयत्र भी देगी। नागार्जुन आयल का मौजूदा निवेश इस परियोजना का हिस्सा होगा। कंपनी पेट्रो रसायन परियोजनाओं में करीब 4500 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है। 2012 तक 5000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश होगा। नागार्जुन की प्रस्तावित रिफाइनरी की क्षमता 2015 तक 150 लाख टन हो जाएगी और तब तक इस पेट्रो रीजन में कंपनी का कुल निवेश 12000 करोड़ रुपये से ऊपर निकल जाएगा। चेन्नई पेट्रोलियम दूसरा प्रमुख निवेशक हो सकता है जो यहां 150 लाख टन एकीकृत पेट्रो केमिकल कांप्लेक्स बनाना चाहता है। चेन्नई पेट्रो के निवेश को लेकर तस्वीर अभी साफ होनी है क्योंकि तमिलनाडु इंडस्टि्रयल डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने रामनाथपुरम में जो भूमि चेन्नई पेट्रो को दी है वह प्रस्तावित पेट्रो रीजन से बाहर है, लेकिन जयललिता सरकार ने भरोसा दिलाया है कि चेन्नई पेट्रो का कांप्लेक्स भी इस मेगा प्रोजेक्ट का हिस्सा होगा.
Wednesday, June 29, 2011
एक लाख करोड़ का तोहफा लेकर लौटीं जयललिता
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक खास तोहफे से खुश कर दिया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पहली बार दिल्ली आई जयललिता राज्य के लिए एक लाख करोड़ रुपये की भीमकाय परियोजना लेकर लौटी हैं। देश का पहला पेट्रोकेमिकल और पेट्रोलियम इन्वेस्टमेंट रीजन तमिलनाडु में बनेगा। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले एक अंतर मंत्रालयी समूह ने इसे मंजूरी दे दी। जयललिता के धुर विरोधी रसायन एवं उर्वरक मंत्री एमके अलागिरी इस परियोजना का प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखेंगे। तमिलनाडु सरकार और नागार्जुन फर्टिलाइजर का साझा उपक्रम नागार्जुन ऑयल कॉर्पोरेशन इस पेट्रो क्षेत्र में प्रमुख निवेशक होगा जो 60 लाख टन की रिफाइनरी लगाएगा। चेन्नई पेट्रो अपने पेट्रो केमिकल कांप्लेक्स के साथ परियोजना में दूसरी बड़ी निवेशक हो सकती है। पेट्रोकेमिकल व पेट्रोलियम इन्वेस्टमेंट रीजन (पीसीपीआइआर) प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में एक है। पिछली सरकार में अमेरिका यात्रा के बाद प्रधानमंत्री ने इसकी योजना बनाई थी, जिसका मकसद ऊर्जा क्षेत्र में एकमुश्त भारी निवेश जुटाना था। राज्य के कड्डालूर और नागपट्टनम जिलों में 25,683 हेक्टेयर क्षेत्र में यह मेगा पेट्रो रीजन बनेगा जिसकी 40 फीसदी भूमि उत्पादन इकाइयों के लिए होगी। कैबिनेट सचिवालय ने राज्य सरकार से निवेश एवं क्रियान्वयन की चरणबद्ध योजना मांगी है, जो कैबिनेट के लिए प्रस्ताव का आधार बनेगी। परियोजना को एसईजेड का दर्जा यानी सभी तरह की कर रियायतें मिलेंगी। केंद्र ने जया की इस अहम मांग को न केवल मंजूर किया है, बल्कि परियोजना से जुड़ा बुनियादी ढांचा बेहतर करने के लिए करीब 4200 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता भी दी है। इस आवंटन से राष्ट्रीय राजमार्ग 45-ए व राज्य की कुछ दूसरी सड़कों को चौड़ा किया जाएगा और विल्लूपुरम से मैयिलादुथेरेई के बीच रेल मार्ग का विद्युतीकरण भी होगा। यही नहीं केंद्र सरकार परियोजना को व्यवहार्य (वायबेलिटी गैप फंडिंग) बनाने के लिए 600 करोड़ रुपये की विशेष सहायता और आधुनिक प्रदूषण नियंत्रण व जल शोधन संयत्र भी देगी। नागार्जुन आयल का मौजूदा निवेश इस परियोजना का हिस्सा होगा। कंपनी पेट्रो रसायन परियोजनाओं में करीब 4500 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है। 2012 तक 5000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश होगा। नागार्जुन की प्रस्तावित रिफाइनरी की क्षमता 2015 तक 150 लाख टन हो जाएगी और तब तक इस पेट्रो रीजन में कंपनी का कुल निवेश 12000 करोड़ रुपये से ऊपर निकल जाएगा। चेन्नई पेट्रोलियम दूसरा प्रमुख निवेशक हो सकता है जो यहां 150 लाख टन एकीकृत पेट्रो केमिकल कांप्लेक्स बनाना चाहता है। चेन्नई पेट्रो के निवेश को लेकर तस्वीर अभी साफ होनी है क्योंकि तमिलनाडु इंडस्टि्रयल डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने रामनाथपुरम में जो भूमि चेन्नई पेट्रो को दी है वह प्रस्तावित पेट्रो रीजन से बाहर है, लेकिन जयललिता सरकार ने भरोसा दिलाया है कि चेन्नई पेट्रो का कांप्लेक्स भी इस मेगा प्रोजेक्ट का हिस्सा होगा.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment