Wednesday, November 30, 2011

बादल सरकार की गलत नीतियों से पिछड़ा पंजाब


पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कहा कि अकाली-भाजपा सरकार की गलत नीतियों से पंजाब देश भर में विकास के मामले में पहले से 18वें स्थान पर खिसक गया है। राज्य में 47 लाख बेरोजगार हैं, जिनके रोजगार का सरकार कोई प्रबंध नहीं कर पाई है। कैप्टन मंगलवार को यहां पंजाब बचाओ रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 2.72 करोड़ की आबादी में 47 लाख बेरोजगार हैं, लेकिन अकाली-भाजपा सरकार ने इन्हें रोजगार देने के लिए कोई उपाय नहीं किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार आते ही सभी बेरोजगारों के लिए नौकरी के अवसर पैदा किए जाएंगे। कैप्टन ने कहा कि बादल सरकार ने पचास हजार कांग्रेस कार्यकर्ताओं व समर्थकों पर फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं। सत्ता में आने पर सभी मुकदमों को रद कर दोषियों को सबक सिखाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंजाब में नंगल डैम, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पीजीआई कांग्रेस की देन हैं, जबकि बादल ने अपने शासन में कभी कोई बड़ा काम नहीं किया। बादल परिवार व इनके रिश्तेदारों ने बस राज्य को लूटा है। उन्होंने कहा कि बादल के शासन में अमीरों के लिए तो बड़े बडे़ शिक्षण संस्थान व अस्पताल हैं, लेकिन गरीब इनसे महरूम हैं। कांगे्रस सरकार ऐसी व्यवस्था करेगी कि गरीबों को भी ये सुविधाएं आसानी से मिल सकें। रैली को विधायक सुनील जाखड़ व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगमीत बराड़ ने भी संबोधित किया। उधर, फाजिल्का में पंजाब बचाओ यात्रा की आखिरी रैली को संबोधित करते हुए कैप्टन ने कहा कि बादल अब बूढ़े हो चले हैं, इसलिए उन्हें अब राजनीति छोड़ देनी चाहिए। भले ही उनकी पार्टी कह रही है कि अकाली सरकार बनी तो मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ही होंगे, लेकिन जनता ऐसा नहीं होने देगी। हमने रिलायंस के मुकेश अंबानी को निवेश के लिए आमंत्रित किया था। रिलायंस ग्रुप ने राज्य के सभी 12600 गांवों में नए बीज, नई फसलें, बिजाई से लेकर उसे मंडी लाने और बिक्री का प्रबंध करना था, लेकिन बादल सरकार ने पूरी योजना पर पानी फेर दिया।

Saturday, November 26, 2011

वालमार्ट के शोरूम में अपने हाथों आग लगाऊंगी


Åek भारती ने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि यदि राहुल गांधी वास्तव में दलितों, गरीबों और पिछड़ों के हिमायती हैं तो वालमार्ट को देश में आने से रोकने के लिए अपने घर से प्रधानमंत्री आवास तक पदयात्रा करें और उन्हें एक ज्ञापन सौंप कर वालमार्ट को भारत में आने से रोकने को कहें। इस दावे के साथ कि आर्थिक उदारीकरण ने नब्बे फीसद गरीबों के रोजगार छीने हैं और फायदा केवल दस प्रतिशत को हुआ है, भारती ने कहा कि अमेरिका भी मानता है कि वालमार्ट ने वहां गरीबों का रोजगार छीना है। भारती ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी खुदरा व्यापार के क्षेत्र में विदेशी पूंजी के खुले निवेश और वालमार्ट जैसी कंपनियों को खुली छूट देने के विरोध में है और इस संबंध में उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी से बातचीत हो चुकी है। उन्होंने बताया-‘‘मैंने आज ही पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, भ्रष्टाचार के विरोध में अभियान चला रहे समाजसेवी अन्ना हजारे, बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर और केएन गोविंदाचार्य को चिट्ठी भेज कर यह अपील की है कि देश के गरीबों की रोजी रोजगार को बचाने के लिए केंद्र सरकार के निर्णय के विरोध में खुलेआम सड़कों पर उतर कर आजादी की नई लड़ाई की शुरुआत करें।

बिना यूपी के बदले हिन्दुस्तान नहीं बदलेगा : राहुल


कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी दल के लोग इंडिया शाइनिंग का चाहे जितना नारा लगा लें, जब तक देश में एक भी गरीब रहेगा हिन्दुस्तान नहीं चमक सकता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने महज 10 वर्ष के भीतर आंध्र, असम, दिल्ली, केरल, हरियाणा व पंजाब आदि प्रांतों को बदल दिया है लेकिन बिना उत्तर प्रदेश के बदले हिन्दुस्तान नहीं बदल सकता। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता देश से गरीबी मिटाने व सभी वगरे के पिछड़े व गरीब तबके के लोगों को सबल बनाने की है। इसके लिए 2004 में यूपीए की सरकार बनने के बाद से गरीबी उन्मूलन के लिए मनरेगा समेत कई तरह की योजनाएं चलायी जा रही हैं लेकिन प्रदेश में मनरेगा से सिर्फ मंत्रियों व अधिकारियों को फायदा हो रहा है। अफसोस यह है कि सारा पैसा हाथी के पेट में चला गया इससे आम जनता को कोई लाभ नहीं हुआ। यदि यूपी को भी देश के अन्य तरक्की शुदा प्रदेशों की श्रेणी में लाना है तो इस बार यहां कांग्रेस की सरकार बनवानी पड़ेगी। श्री गांधी ने शुक्रवार को बांसी माघ मेला मैदान, डुमरियागंज स्थित राजकीय कन्या इंटर कालेज और आनंदनगर उत्तरी बाईपास पर स्थित मैदान के प्रांगण में जुटे पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुये ये बातें कहीं। श्री गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना व जननी सुरक्षा योजनाओं के लागू होने के बाद गांव के गरीब तबके के लोगों का शहरों के लिए पलायन रुका है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकारी तंत्र सही काम नहीं कर रहा है, जिसके चलते गरीबों की जगह बीएसपी के मंत्री व अधिकारी मालामाल हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं की चर्चा के क्रम में कहा कि सरकार द्वारा 60 हजार करोड़ की कर्ज माफी योजना से किसानों के लिए बैंक के रास्ते फिर से खुल गये हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह बुनकरों के बकाया ऋणों की भरपाई के लिए फिर सरकार ने हजारों करोड़ रुपये दिये। उन्होनें कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री को गरीबी का पता नहीं है, क्योंकि वे गरीबों से मिलतीं नहीं, उनके घर जातीं नहीं, उनके घर खाती नहीं और वे जो पानी पीते हैं वह पानी नहीं पीतीं। जब कि मै गरीबों के घर जाता हूं, रहता हूं और उनका खाना खाता हूं तथा उसी कुएं का पानी पीता हूं जिस कुएं का पानी वे गरीब पीते हैं। जो कुएं का पानी पीएगा और बीमार होगा वही गरीबी समझ पायेगा। उन्होंने आगे कहा कि मै गरीब तो नहीं हूं पर गरीब की इज्जत करता हूं और यह जानता हूं कि गरीब ही देश की स्थिति को बदल सकता है। उन्होंने पूर्व की सपा और वर्तमान की बसपा सरकार को जातिवादी सरकार बताते हुए कहा कि ये सरकारें महज 10 प्रतिशत लोगों की होती हैं, इसीलिए बेहतर नतीजे नहीं मिलते। अब पूरी खुशहाली के लिए सभी वगरे की सरकार होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार किसानों का शोषण करने पर तुली है। गोरखपुर से नोएडा तक की जमीन जबरदस्ती किसानों से छीनी जा रही है यदि किसान वाजिब पैसा मांग रहा है तो उसके ऊपर गोलियां चलायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का शोषण रोकने के उद्देश्य से संसद में विधेयक लाया जा रहा है। जिसके पास होते ही किसानों का शोषण कोई नहीं कर पायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के लोग अन्य प्रदेशों में जाकर खून पसीने से दूसरे प्रदेश को चमकाते हैं। यदि यहां रोजगार के साधन होते, कल कारखाने होते तो लोग आसानी से रोजगार पा जाते। लेकिन उनका प्रयास है कि ऐसी सरकार प्रदेश में बने जो प्रदेश की तकदीर बदल दे और सब जाति की मिशण्रकी सरकार हो। उन्होंने कार्यकर्ताओं से लड़ने, संघर्ष करने व जीत हासिल करने का आह्वान किया। केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा कि कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ हैं, उनके मजबूत रहने पर ही पार्टी मजबूत रह सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस के आने के बाद सरकार का खजाना लूटने वाले जेल के अन्दर होंगे। प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कार्यकर्ताओं से संघर्ष कर प्रदेश की सत्ता को बदल देने का आह्वान किया। केन्द्रीय कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पिछड़ने का मुख्य कारण है कि यहां के लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। वे दूसरे प्रदेशों में जाकर कार्य करते हैं। लेकिन कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी का प्रयास है कि यहां ऐसे हालात बनें कि प्रदेश क्या दूसरे प्रदेश के लोग आकर उत्तर प्रदेश में नौकरी करें। इसी क्रम में आयोजक व पार्टी प्रत्याशी विधायक ईर चंद्र शुक्ल ने अपने स्वागत भाषण में क्षेत्रीय समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए विास जताया कि प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस के आने के बाद सभी का समाधान हो सकेगा। उत्तर प्रदेश विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि प्रदेश की बसपा सरकार अब तक की सबसे भ्रष्ट व लुटेरी सरकार है।

     

Friday, November 25, 2011

रिटेल में एफडीआई लाने के खिलाफ हैं भाजपा-माकपा


भाजपा और माकपा ने कहा कि वह रिटेल क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाने के खिलाफ है और जरूरत पड़ने पर संसद के अंदर और बाहर इस मुद्दे पर वे विरोध दर्ज करेंगे। जबकि यूपीए के घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने इस विषय पर हालांकि कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों की राय लेने की मांग की है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने बृहस्पतिवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि मल्टीब्रांड रिटेल क्षेत्र में एफडीआई लाने का सरकार का कदम देश में रोजगार और उत्पादन पर नकारात्मक असर डालेगा। उन्होंने विपक्ष से परामर्श किए बिना इस बाबत कैबिनेट नोट जारी किए जाने पर सरकार की निंदा करते हुए कहा कि अगर सरकार ने विपक्ष से इस विषय पर चर्चा की होती तो उचित होता। हालांकि भाजपा नेता ने स्पष्ट किया कि भाजपा प्रत्येक क्षेत्र में एफडीआई के विरोध में नहीं है और विमानन क्षेत्र में 26 प्रतिशत एफडीआई की खबरों पर उन्होंने कहा कि पार्टी विचार करके बाद में अपना रुख स्पष्ट करेगी। जेटली ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के साथ जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा कि भारत की जीडीपी में 58 प्रतिशत योगदान सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) का है जिसके बड़े हिस्से में भारत की रिटेल श्रृंखला भी आती है। जेटली ने कहा कि भारत की जनसंख्या का अधिकतर हिस्सा स्वरोजगार पर आधारित है और एफडीआई से घरेलू खुदरा क्षेत्र पर नकारात्मक असर पड़ेगा जो विकास कर रहा है। उन्होंने दलील दी कि खुदरा बाजार के बिखरे होने से उपभोक्ता के पास अधिक अवसर होते हैं लेकिन मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई लाने से कुछ बड़े प्लेयरों के हाथ में बाजार होगा और ऐसी स्थिति में 2-3 दशक बाद तो आम उपभोक्ता के पास पसंद के विकल्प ही नहीं होंगे। जेटली ने कहा कि सरकार की यह दलील भी स्वीकार्य नहीं लगती कि कृषि क्षेत्र और किसानों की मदद के लिए आपूर्ति श्रंखला की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसानों के उत्पादों को सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाने में बुनियादी ढांचे मसलन सड़क, बिजली आदि में अंतरराष्ट्रीय खुदरा व्यापारियों की कोई भूमिका नहीं होगी। उन्हें भंडारण क्षमताएं और शीतगृह की जरूरत होगी। यह काम केंद्र और राज्य सरकारें भी कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चीन का उदाहरण दे रही है जो गलत है क्योंकि चीन स्वयं बड़ी निर्माण आधारित अर्थव्यवस्था है जबकि भारत को यह लाभ नहीं मिल सकता। माकपा के वरिष्ठ नेता वासुदेव आचार्य ने भी एफडीआई का विरोध करते हुए कहा , ‘ऐसी खबरें हैं कि खुदरा क्षेत्र में बहु ब्रांड में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दी जाएगी। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं क्योंकि इसके कारण देश के 4.5 करोड़ छोटे खुदरा कारोबारी बुरी तरह से प्रभावित होंगे।उन्होंने दावा किया कि संप्रग के पहले कार्यकाल के दौरान वामदलों के विरोध के कारण ही खुदरा क्षेत्र में बहु ब्रांड में एफडीआई का प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका। तृणमूल सभी पक्षों की राय लेने के पक्ष में : एफडीआई को मंजूरी देने के प्रस्ताव पर कांग्रेस नीत संप्रग के महत्वपूर्ण घटक तृणमूल कांग्रेस ने इस विषय पर कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों की राय लेने की मांग की। संसद भवन परिसर में तृणमूल नेता और रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने मीडिया से कहा, ‘सरकार में पार्टी का मैं एकमात्र कैबिनेट मंत्री हूं और कैबिनेट की बातें गोपनीय होती हैं लेकिन जहां तक पार्टी का प्रश्न है, ममता बनर्जी का प्रश्न है-हमारी स्थिति स्पष्ट है। हमें ऐसा कोई भी निर्णय लेने से पहले किसानों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय जब किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ठीक ढंग से नहीं मिल पा रहा है, उस समय ऐसे किसी विषय को उठाना ठीक नहीं है। अखिलेश ने कहा, किसानों, मंडियों को मजबूत बनाओ : सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि पहले देश के किसानों को सशक्त बनाने की जरूरत है। इस दिशा में सरकार को चाहिए कि वह व्यापारियों और किसानों के हितों को ध्यान रखते हुए अपनी मंडियों को प्रभावी तथा मजबूत बनाए। किसान अपनी उपज का सही मूल्य पाने के लिए सीधे तौर पर मंडियों की ओर रुख करता है और वहां यदि उसकी उपज का सही मूल्य मिल जाएगा तो किसान और व्यापारी दोनों का ही हित होगा। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश से किसानों और व्यापारियों का व्यापक लाभ नहीं होने वाला है।

Thursday, November 24, 2011

यूपी का विभाजन ठीक लेकिन चिंदी-चिंदी नहीं


पूर्वाचल निर्यातक संघ के उपाध्यक्ष मुकुंद अग्रवाल विभाजन के पक्षधर हैं पर सूबे को चिंदी-चिंदी करना ठीक नहीं मानते। कहते हैं, बंटवारे का तरीका उचित नहीं। यदि अलग राज्य बनता है तो विकास होगा पर इसके पहले संसाधनों की बहाली तो हो। वैसे यह पूरा का पूरा मामला ही राजनीतिक है। इसमें विकास के कण शामिल नहीं है। आइटी बीएचयू के प्रो. केके श्रीवास्तव कहते हैं कि विकास का तर्क देकर प्रांत का विभाजन करना तर्कसंगत नहीं है। विकास के लिए पंचायतों को मजबूत करना होगा, स्वायत्तता देनी होगी। विभाजन की घोषणा तो कर दी गई लेकिन इसका खाका तक नहीं प्रस्तुत किया गया। विकास का आधार सिर्फ संसाधनों की उपलब्धता ही नहीं बल्कि आपसी सामंजस्य भी है। विधि संकाय बीएचयू के डॉ. एके पांडेय का कहना है कि अभी वह वक्त नहीं आया है कि प्रांत के विभाजन की बात शुरू की जाती। पूर्वाचल में न तो संसाधन है और न ही उद्योग धंधे। पहले यहां तमाम सुविधाएं बहाल की जाती। सदन में बगैर किसी बहस के प्रांत के अस्तित्व खत्म करने का निर्णय ले लिया जाए यह स्वच्छ और स्वस्थ राजनीति की परिधि में नहीं आता। लक्ष्मी मेटल इंडस्ट्रीज, गोरखपुर के सीईओ मनोज अग्रवाल कहते हैं कि छोटा राज्य होगा तो तरक्की होगी। पूर्वाचल जो टैक्स देता है वह यूपी में सेंट्रलाइज हो जाता है और उससे अन्य क्षेत्रों का विकास किया जाता है, पूर्वाचल उपेक्षित है। अलग राज्य हो जाने से यहां का पैसा यहीं लगेगा। सरकार ने बंटवारे का जो तरीका अपनाया है वह जरूर गलत है। इस पर बहस होनी चाहिए थी। साहित्यकार आचार्य रामदेव शुक्ल कहते हैं कि प्रशासनिक इकाइयां जितनी छोटी होती हैं, शासन उतना अच्छा होता है, लेकिन जो प्रस्ताव पास हुआ वह गलत है। देश में अनेक जगहों पर विभाजन की मांग की जा रही है। ऐसे में उचित होगा कि राज्य पुनर्गठन आयोग बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर इसका अध्ययन किया जाए कि किस प्रकार व किन आधार पर विभाजन किए जाएं। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रवक्ता डॉ. अनुराग कहते हैं कि वह छोटे राज्यों के पक्षधर हैं लेकिन इसमें दो बातों पर विशेष ध्यान देना होगा। एक प्रशासनिक पहुंच आमजन तक हो व दूसरा कल्याणकारी योजनाओं का आमजन को पूरा लाभ मिले। पूर्वाचल भी अति पिछड़ा हुआ है। कायदे से विधानसभा में बहस होनी चाहिए थी। सत्तापक्ष व विपक्ष अपनी बातें रखते, तो तमाम बातें साफ होतीं।

पहले जैसे नहीं रहे माया-मुलायम


दिल्ली में प्रणब मुखर्जी जिस समय मुलायम सिंह से मुलाकात को बेकरार थे, उसी समय बहराइच में रैली कर रहे राहुल गांधी सपा सुप्रीमो के साथ साथ मुख्यमंत्री मायावती पर गुस्सा जाहिर करते हुए यह कह रहे थे कि इन नेताओं का अब जनता से जुड़ाव नहीं रहा और यही वजह है कि उन्हें इस सूबे की हालत पर गुस्सा नहीं आता। उत्तर प्रदेश में मिशन-2012 पर निकले राहुल ने बहराइच में बुधवार को विभिन्न स्थानों पर जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा, मायावती को मालूम ही नहीं है कि प्रदेश में क्या हो रहा है। वह गांव नहीं जातीं, बाहर नहीं निकलती। आपके घर का खाना नहीं खातीं। यही हाल मुलायम सिंह जी का भी है। जब तक आपके नेता आपके घर नहीं जाएंगे, आपका खाना नहीं खाएंगे, आपका पानी नहीं पिएंगे तब तक उनको गरीबी का दर्द समझ नहीं आएगा। उन्होंने कहा, जब मैं आपके बीच जाता हूं और खाना खाता हूं तो विपक्षी दलों के नेता मेरा मजाक उड़ाते हैं। वे टीवी स्टूडियो में बैठकर भाषण देते हैं कि राहुल ड्रामा करता है। यह ड्रामा मैं सात साल से कर रहा हूं और सारी जिंदगी करता रहूंगा। राहुल ने कहा, जनसंपर्क कर अवाम की दिक्कतों के बारे में जानने का गुर उन्होंने अपनी दादी इंदिरा गांधी से सीखा है। कांग्रेस महासचिव ने कहा, दलितों और निर्धन लोगों के घर में खाना खाने से कई बार उन्हें पेट संबंधी दिक्कतें भी हुई लेकिन वह यह क्रम जारी रखेंगे, क्योंकि गांव के लोग भी वही भोजन करते हैं। राहुल ने कहा, विपक्षी दलों के लोग मुझे बच्चा कहते हैं। हो सकता है कि मुझमें अनुभव की कमी हो लेकिन इतना जरूर जानता हूं कि हिन्दुस्तान में एक भी सवाल ऐसा नहीं है कि जिसका जवाब जनता के पास नहीं हो। गांव का मजदूर, गरीब सब कुछ जानता है। उन्होंने कहा, नेता और जनता के बीच पार्टनरशिप होनी चाहिए, लेकिन यहां बसपा और अफसरों के बीच साझेदारी चल रही है। आप हमें मौका दीजिए, हम प्रदेश को सबसे आगे पहुंचा देंगे। बाराबंकी से मंगलवार को अभियान शुरू करने वाले राहुल ने बहराइच में जनसभाओं के साथ रोड शो भी किया। लोगों से बातचीत करने के साथ ही गन्ने के खेत में खाना भी खाया।

Wednesday, November 23, 2011

ईमानदार पहल का इंतजार


भ्रष्टाचार और काले धन की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए एक प्रभावी लोकपाल पद के गठन को लेकर पूरे देश में बहस तेज हो रही है। हालांकि, आजादी के बाद से ही इस पर बहस होती रही है। 1947 में गांधीजी, 1951 में एडी गोरेवाला, 1963 में संथानम और 1963 में डी. संजीवैया ने भी देश को काले धन और भ्रष्टाचार की बढ़ती समस्या से आगाह किया था और इसे रोकने के लिए उपाय सुझाए थे। वर्तमान में भी इस बहस और असंतोष के पीछे लोगों द्वारा यह महसूस किया जाना था कि सरकार उच्च पदों पर बैठे लोगों को स्वतंत्र रूप से लूटने दे रही है और तमाम एजेंसियों को उनकी जांच करने से भी रोका जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप एक के बाद एक लगातार घोटाले सामने आ रहे हैं। यही वजह है कि आज मुख्य मुद्दा जांच एजेंसियों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त करना है ताकि ये प्रभावी ढंग से अपना काम कर सकें। दुनिया के सभी अच्छे देशों में लोकपाल एक ऐसा मजबूत हाथ है जो न केवल कानून का पालन सुनिश्चित करता है, बल्कि इसे प्रभावी तरीके से लागू भी कराता है। इस वजह से यहां के देशों को भ्रष्टाचार और काले धन की समस्या से निपटने में सफलता मिली है, लेकिन हमारे देश में ईमानदारीपूर्वक यह कदम उठाने से बचा जा रहा है। प्रवर्तन और भ्रष्टाचार रोधी एजेंसियां अभी भी उसी सरकार के कठोर नियंत्रण में हैं जिनकी इन्हें जांच करनी होती है। इस बारे में कोई भी कानून अथवा प्रक्रिया ऐसी नहीं है जो उन्हें सरकार के नियंत्रण से मुक्त करता हो। 1963 में संथानम कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पहली बार 1968 में लोकपाल बिल संसद में पेश किया गया और इसी आधार पर पहली बार 1966 में प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन भी हुआ, लेकिन लोकपाल बिल के कुछ प्रावधानों को लेकर विरोध किया गया। लोकसभा में यह बिल सात बार पेश होने के बावजूद इसे पारित नहीं किया गया। सिविल सोसाइटी द्वारा शुरू की गई वर्तमान पहल इसी निरंतरता का एक हिस्सा है। इस पहल के परिणामस्वरूप सरकार ने लोगों को भरोसा दिया कि दूसरे तमाम मुद्दों के अतिरिक्त जांच एजेंसियों को वह स्वायत्तता देने को तैयार है। यहां एक मुद्दा प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में रखने का है। सरकार के मुताबिक प्रधानमंत्री को बहुत से महत्वपूर्ण मसलों पर तत्काल निर्णय लेना होता है, खासकर आज के सुरक्षा परिदृश्य में। यह भी कहा जाता है कि प्रधानमंत्री पहले ही कानून के प्रति जवाबदेह हैं इसलिए कोई कारण नहीं कि उन्हें किसी और के प्रति भी जवाबदेह बनाया जाए। प्रधानमंत्री यदि भ्रष्टाचार के दोषी हैं तो पद छोड़ने के बाद उन्हें अभियुक्त बनाया जा सकता है। यह सब इसलिए किया गया है ताकि प्रधानमंत्री को ऐसे तत्वों से बचाया जा सके जो झूठी शिकायतों के बहाने उन्हें परेशान कर सकते है अथवा ब्लैकमेल कर सकते हैं। इस तरह तो सभी उच्च पदस्थ लोगों की स्थिति और उनके काम एकसमान होते हैं। इसलिए यह नहीं समझ आता कि प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार, वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य अथवा उनके द्वारा लिए जाने वाले तात्कालिक और महत्वपूर्ण निर्णयों में क्या संबंध है? तो क्या ऐसे सभी लोगों को भ्रष्टाचार करने का लाइसेंस दे देना चाहिए? भ्रष्टाचार का कानून अथवा संविधान भ्रष्टाचार करने वाले किसी भी व्यक्ति यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी इजाजत नहीं देता। यहां यह भी हास्यास्पद है कि प्रधानमंत्री के ऊपर अभियोग पद छोड़ने के बाद ही चलाया जाए। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए क्या किसी के रिटायर होने का इंतजार किया जा सकता है फिर चाहे वह प्रधानमंत्री ही क्यों न हों? यदि हां, तो ऐसा सभी के साथ होना चाहिए। यदि ऐसा ही था तो ए. राजा से इस्तीफा क्यों लिया गया? दूसरे देशों में इस तरह के अपवाद नहीं होते। उन देशों के प्रधानमंत्री भी महत्वपूर्ण मसलों को हल करने के लिए तात्कालिक निर्णय लेते हैं। इटली के प्रधानमंत्री बर्लुस्कोनी के खिलाफ पद पर रहते हुए मुकदमा चलाया गया। अमेरिका में बिल क्लिंटन, जॉर्जिया के शेवर्नाद्जे और पेरू के फूजी मोरी के खिलाफ पद पर रहते हुए मुकदमा चले। जापान में लॉकहीड स्कैंडल मामले में प्रधानमंत्री काकुई तनाका को 1974 में खुलासा होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा और 1976 में उनके खिलाफ चार्जशीट दायर हुई। इसी तरह भारत में प्रधानमंत्री के दोषी साबित होने पर उन्हें विशेष संरक्षण की जरूरत क्यों होनी चाहिए? यह कहना भी गलत है कि प्रधानमंत्री कानून के प्रति जवाबदेह हैं। वास्तविकता यही है कि प्रत्येक नागरिक समान रूप से कानून के प्रति जवाबदेह है। इसलिए किसी भी मामले में लोकपाल अथवा दूसरी जांच एजेंसियां तभी प्रासंगिक होंगी जब वह भ्रष्टाचार की स्वतंत्र रूप से जांच कर सकें और इसके लिए प्रधानमंत्री को भी जवाबदेह बनाया जा सके। यदि किसी भ्रष्ट प्रधानमंत्री को काम करने दिया जाता है तो हमें इसे दीवार पर लिख लेना चाहिए कि प्रधानमंत्री का पद माफिया की कुर्सी बन जाएगा। तब देश की हालत आज से भी ज्यादा खराब होगी, क्योंकि तब भ्रष्टाचार को एक बड़े छाते के नीचे संरक्षण मिल जाएगा। जहां तक न्यायपालिका का सवाल है तो वह लोकतंत्र में अंतिम निर्णयकर्ता और कानून की व्याख्याता होती है। इसलिए इस संस्था को लोकपाल के अधीन लाना ठीक नहीं होगा। जहां तक सीबीआइ का प्रश्न है तो जनलोकपाल इसे दो भागों में बांटता है। वह सीबीआइ की भ्रष्टाचाररोधी शाखा को लोकपाल के अधीन चाहता है और शेष हिस्से को आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के हवाले, परंतु सीबीआइ की आर्थिक अपराध शाखा को भ्रष्टाचाररोधी शाखा से अलग नहीं किया जा सकता, क्योंकि दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। सरकारी एजेंसियों और निजी क्षेत्र की धोखाधड़ी के मामले आर्थिक अपराध शाखा के तहत आते हैं। ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी की रिपोर्ट के मुताबिक भ्रष्टाचार का 65 प्रतिशत हिस्सा आर्थिक अपराध शाखा के तहत आता है, जबकि केवल 5 प्रतिशत भ्रष्टाचार दूसरे हिस्से में आता है। इसलिए सीबीआइ की भ्रष्टाचाररोधी शाखा और आर्थिक अपराध शाखा को एक साथ या तो लोकपाल के तहत रखा जाए या सीबीआइ के साथ। यहां तक कि प्रवर्तन निदेशालय को भी इसके साथ लाया जाना चाहिए। सीबीआइ की भूमिका विशेषज्ञ जांच एजेंसी के रूप में बनी रहनी चाहिए, लेकिन इसकी जवाबदेही सरकार की बजाय स्वतंत्र रूप से बनाए गए संवैधानिक निकाय के प्रति होनी चाहिए। इस संस्था को पूर्ण रूप से सरकार से स्वतंत्र रखा जाना चाहिए- चाहे वह मसला कार्यनिष्पादन का हो अथवा वित्तीय निर्भरता का। (लेखक सीबीआइ के पूर्व संयुक्त निदेशक हैं) 

अमर सिंह ने की अपील, मामु राज से रहें सावधान

महोबा के डाक बंगला मैदान में राष्ट्रीय लोक मंच की सत्ता परिवर्तन रैली को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमर सिंह ने जनता को मामु राज से सावधान रहने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कभी माया तो कभी मुलायम, सपा बसपा सत्तासीन होती है किन्तु बुन्देलखण्ड़ के किसानों की दुर्दशा अपनी जगह कायम रहती है। इसलिए इस माया मुलायम मामु राज से सावधान रहने की जरूरत है। साथ हंी उन्होनें सीएम मायावती के प्रदेश को चार भागों में बांटने के पारित प्रस्ताव का समर्थन किया और कांग्रेस को नसीहत दी कि वह बुन्देलखण्ड़ सहित चारों राज्यों के गठन को मंजूरी दे। राज्य पुनर्गठन आयोग बनाये। सिने अभिनेत्री व सांसद जया प्रदा ने कहा कि यूपी सरकार ने प्रदेश को चार भागों में बांटने का जो काम अब किया यह मुद्दा अमर सिंह ने एक वर्ष पहले उठाया था। कहा कि बुन्देलखण्ड़ राज्य का निर्माण बिजली पानी सडक रोजगार यहां के निवासियों को मिल सके, इस हेतु जरूरी है। यहां से लोग रोजगार की खातिर बाहर जाकर अपमान सहें, यह लोक मंच को गंवारा नहीं। वीरभूमि महोबा में लोकमंच के गठन के बाद पहली बार आए अमर सिंह ने डाक बंगला के खचाखच भरे मैदान को देखकर क्रम के विरुद्ध आग्रह कर माईक संभाला। लगभग एक घंटे के अपने भाषण में उन्होंने कभी अपने सबसे करीबी रहे पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव को निशाने पर रखा। कहा कि वह अपराधी हैं। क्योंकि हर बार चुनाव में आकर वह सपा के लिए बोट मांगते रहे और वादा करते रहे कि सरकार बनने पर बुन्देलखण्डवासियों की समस्याओं का निदान होगा। लेकिन सपा शासन में मुलायम सिंह यादव ने चन्द्रपाल सिंह व दीपक को ही नेता माना और अगर बुन्देलखण्ड़ में कोई विकास हुआ तो इनका, और जनता समस्याओं से कराहती रही। बालू खनन् से भी मुलायम के करीबी उपरोक्त ने करोडों कमाए। कहा कि उप्र में एक रोटी की तरह उलट पुलट कर सपा बसपा आयी, लेकिन पानी तक की समस्या का निदान बुन्देलखण्ड़ का न हो सका। कहा कि जयराम रमेश केन्द्रीय मंत्री ने सीएम को एक प्रेम पत्र लिखा, जिसमें मनरेगा का जिक्र कर बताया गया है कि इसमें किस हद तक भ्रष्टाचार है। कहा कि इस भ्रष्टाचार में गोंडा पहले तो बुन्देलखण्ड़ का महोबा दूसरे नम्बर पर है। बुन्देलखण्ड़ में बिजली पानी सडक बेरोजगारी की समस्या का समाधान पृथक राज्य निर्माण है। कहा कि विधान सभा में चार राज्यों के उप्र के टुकड़े कर गठन के प्रस्ताव का वह समर्थन करते हैं और इस हेतु उन्होंने सीएम को बधाई भी दी है। कहा कि विधान सभा में पारित उक्त प्रस्ताव में प्रक्रिया पर बहस छिडी है। लेकिन सच्चाई यह है कि जो भी सत्ता में रहता है वह इसी प्रकार मनमानी करता है। इसके उन्होंने कई उदाहरण भी दिए। कहा कि संसदीय परम्पराओं के दोगले मापदण्ड नहीं होने चाहिए। उन्होंने भाजपा की भी चुटकी ली कहा कि लालजी टंडन कलाई पर मायावती से राखी बंधा बहना की रक्षा और प्रसंशा करने में संकोच न करते थे, लेकिन आज वही बहन उन्हें बुरी लग रही है। कहा कि बोया पेड बबूल का तो आम कहां से आएं? उन्होंने कहा कि मायावती से मांग यह की जानी चाहिए कि वह एक ेत पत्र जारी करें कि लखनऊ नोएडा के पार्कों के लिए उन्होंने जितना धन व्यय किया, उसके मुकाबले बुन्देलखण्ड़ के लिए क्या दिया? कहा कि पत्थर की बेजुवान मूर्तियों के लिए हजारों करोड़ व्यय किए गए लेकिन बुन्देलखण्ड़ के मर रहे किसानों के लिए इतना भी न किया गया कि वह आत्महत्याओं को मजबूर न हों। मुलायम के आज जन्म दिवस को उन्होंने याद किया और शारीरिक स्वस्थता की कामना की। कहा कि मुलायम सिंह यादव परमाणु करार के सबसे बडे नेता हैं लेकिन वह छोटे राज्यों के गठन के विरोधी इसलिए हैं कि वह जानते हैं कि यदि यह विभाजन हुआ तो वह सात जिलों के नेता रह जाऐगें। कहा कि कांग्रेस को चाहिए कि वह राज्य गठन के मामले में जबाहरलाल नेहरू के सपनों को साकार करें। सिने अभिनेत्री जयाप्रदा ने अपने सम्बोधन में कहा कि बुन्देलखण्ड पूर्वाचल के पृथक राज्य निर्माण के पूर्ण होने तक लोकमंच लडाई लडेगा। कहा कि वह हमेशा बुन्देलखण्ड़ की आवाज संसद में उठातीं रहीं हैं। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड़ के लोग बाहर जाकर अपमान सहें, यह मंजूर नहीं। कहा कि पश्चिम में पृथक राज्य निर्माण होने पर मुस्लिम को सीएम बनना चाहिए। कहा कि मुलायम 14 साल साथ रहने के बाद भी अमर सिंह को भूल गए, तो जनता को कैसे याद रखेगें? यह बडा सवाल है। उन्होंने आजम खां की भी आलोचना की।

यूपी को बना देंगे नम्बर वन

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने अपने मिशन यूपी-2012 के तहत कांग्रेस का हाथ, जनता के साथके फलसफे को बयान करते हुए मंगलवार कहा कि यदि उत्तर प्रदेश में इस बार कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिला तो पांच साल में प्रदेश को विकास की दौड़ में नम्बर वन पर पहुंचा देंगे। राहुल ने राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव की मुहिम के तहत बाराबंकी व बहराइच में आयोजित जनसभाओं में कहा कि प्रदेश में पिछले 20 वषार्ें के दौरान जो सरकारें बनीं, उन्होंने जनता का कुछ भी भला नहीं किया। वे सरकारें जातिवादी मानसिकता वाले लोगों की थी। अब आपको कांग्रेस के नेतृत्व में आम जनता की सरकार बनानी है। हम केन्द्र से पैसा भेजते हैं। मगर बीच में सरकार , मंत्री, अफसर व दलाल आपका हक डकार जाते हैं। जहां हमारी सरकारें हैं वे राज्य क्षेत्र आई टी सेक्टर, आटोमोबाइल कारखाने, कृषि व अन्य क्षेत्रों में काफी आगे हैं और उत्तर प्रदेश लगातार पिछड़ता जा रहा है। अब फैसला आपको लेना है। हम उत्तर प्रदेश में हर वर्ग हर समाज की प्रगतिशील सरकार बनाएगें। श्री गांधी ने कहा कि आधार कार्ड (यूआईडी) के जरिए हम एैसी व्यवस्था बनाएगें कि योजनाओं का पैसा विचौलिए की बजाए सीधे आपके एकाउंट में जाए। मिशन फतेह यूपी पर निकले राहुल गांधी ने उमड़े जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि यहां से कैम्पेन की शुरुआत इसलिए की है कि बाराबंकी से मेरा घरेलू रिश्ता रहा है और स्व. रफी अहमद किदवई हमारे अभिभावक रहे हैं।

Tuesday, November 22, 2011

किसानों की तरक्की के बगैर आगे नहीं बढ़ेगा देश


देश के चहुंमुखी विकास को लेकर सरकार भले ही लगातार डंका पीट रही हो, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार इससे इत्तेफाक नहीं रखती हैं। विकास की राह में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों तथा अल्पसंख्यकों के बहुत पीछे छूट जाने पर उन्होंने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि दलितों में बेरोजगारी की समस्या अत्यंत विकट है। वह सोमवार को यहां इंडियन फॉर्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (इफको) द्वारा आयोजित 24वें नेहरू व्याख्यानमाला में बोल रही थीं। लोकसभा अध्यक्ष ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 8.2 फीसदी की आर्थिक विकास दर को जहां शानदार बताया, वहीं समाज के निचले तबके के लोगों के जीवन स्तर में सुधार न होने पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजातियां आज भी सबसे गरीब हैं। देश में 80 फीसदी बुजुर्ग गांवों में रहते हैं, जिन्हें सेवाएं देना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि हम चाहे जितनी तरक्की कर लें, लेकिन किसानों की तरक्की के बगैर सही मायने में देश खुशहाल नहीं होगा। इन किसानों में खेतिहर मजदूर भी है, जो भूमिहीन है। उसके पसीने से नहाकर ही धरती अनाज उपजती है। पंडित जवाहर लाल नेहरू के सपने को मूर्त बनाने के लिए उनके सहकारिता के दृष्टिकोण को भारत की सोच बनाना होगा। उन्होंने सहकारिता में समय और परिस्थितियों के हिसाब से बदलाव को जरूरी बताया। इफको समेत अन्य सहकारी संगठन यह बखूबी जानते हैं। मीरा कुमार ने कहा कि स्वयं सहायता समूह बैंक लिंकेज कार्यक्रम का पहला उद्देश्य वित्तीय नेटवर्क और सूदखोरी वाले अनौपचारिक ऋण स्रोतों के बीच के अंतर को खत्म करना था। लेकिन अध्ययन से पता चला है कि ऋण वितरण की स्थिति देश के निर्धन क्षेत्रों में अभी भी प्रतिकूल बनी हुई है। इसे ठीक करने के लिए ऋण सहकारिताओं को महत्त्‍‌वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दौरान उन्होंने इफको के प्रबंध निदेशक उदयशंकर अवस्थी के प्रबंधन की प्रशंसा की। व्याख्यान के बाद राजस्थान के रणमल सिंह और उत्तर प्रदेश के समरपाल सिंह को इफको सहकारिता रत्न और आंध्र प्रदेश के डी. वेंकटराम रेड्डी को सहकारिता बंधु पुरस्कार प्रदान किया गया।

राज्यों को अपेक्षाकृत छोटा होना चाहिए : नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि राज्यों को अपेक्षाकृत आकार में छोटा होना चाहिए जिससे वहां की समस्याओं को तत्परता से दूर किया जा सके। मुख्यमंत्री ने अपने जनता दरबार कार्यक्र म से इतर संवाददाताओं से कहा कि छोटे राज्य के संबंध में मेरी प्रतिक्रि या को सही परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। छोटे राज्य ऐसे होने चाहिए जिससे वहां स्थिरता हो। मेरे बयान को उत्तर प्रदेश को चार भागों में बांटने के प्रस्ताव या अन्य किसी राज्य के साथ छोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आबादी और क्षेत्रफल के तालमेल के आधार पर राज्यों का गठन हो तो वहां स्थिरता आएगी और विकास होगा। किसी भी राज्य में कम से कम 100 विधानसभा क्षेत्र होने चाहिए ताकि वहां राजनीतिक स्थिरता बनी रहे। यह इस प्रकार होना चाहिए कि राज्य अपनी समस्या को दूर करने में सफल रहे।

जरूरी है यूपी का विभाजन : अमर


उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित करने संबंधी राज्य सरकार के प्रस्ताव को सोमवार को प्रदेश विधानसभा में पारित होने का राष्ट्रीय लोकमंच के अध्यक्ष अमर सिंह ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अगर कोई राजनीतिक कदम जनहित में हो तो सिर्फ सियासत के लिए उसका विरोध करना ठीक नहीं है। विरोध करने वालों के दावे बेतुके हैं। उन्होंने कहा कि राममनोहर लोहिया छोटे राज्यों के हिमायती थे और आज कोई भी नेता लोहिया जितना बड़ा समाजवादी नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में अमर सिंह ने कहा कि विभाजन प्रस्ताव लाने के मुख्यमंत्री मायावती के तरीके पर प्रश्न उठ सकते हैं, लेकिन बंटवारे के मुद्दे पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। मैं यही कहूंगा कि उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित करने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित होने से राज्य की जनता को काफी राहत मिली है। सिंह ने किसी दल का नाम लिए बिना कहा कि जो दल इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, उनके दावे बेतुके हैं। उन्होंने जाहिरा तौर पर मायावती सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि मायावती को पूर्वांचल की जनता साधुवाद देना चाहती है। लोग इस प्रस्ताव को राजनीति से प्रेरित कहेंगे, लेकिन क्या किसानों का कर्ज माफ करने-जैसे कदम राजनीतिक नहीं होते। उत्तर प्रदेश को बुंदेलखंड, पश्चिम प्रदेश, अवध और पूर्वांचल में विभाजित करने संबंधी प्रस्ताव सोमबार को विधानसभा में हंगामे के बीच पारित कराया गया। विभाजन प्रस्ताव का विरोध करने वाले दलों के बारे में अमर सिंह ने कहा कि जो नेता पूरे उत्तर प्रदेश में जाति और संप्रदाय के नाम पर राजनीति करते हैं, शायद उन्हें इस प्रस्ताव से व्यक्तिगत नुकसान होगा, लेकिन आम आदमी को इससे फायदा ही होगा। सिंह ने कहा कि विभाजन प्रस्ताव का विरोध करने वालों को राजनीतिक अस्थिरता और अल्प विकास का शिकार रहे झारखंड का ही उदाहरण नहीं देना चाहिए। आलोचकों को पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और गोवा जैसे छोटे राज्यों में हुए विकास को भी देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अब गेंद केंद्र के पाले में है। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पूर्वाचल के दर्द को समझते हुए पटेल आयोग और पाणिक्कर आयोग का गठन किया था। केंद्र की कांग्रेस नीत सरकार के पास अपने पुरखों का सम्मान करते हुए विभाजन को मंजूरी देने का स्वर्णिम अवसर है। इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह मुद्दा तेलंगाना जितना विवादास्पद नहीं है।
राममनोहर लोहिया भी छोटे राज्यों के थे हिमायती, आज कोई भी नेता लोहिया जितना बड़ा समाजवादी नहीं