Wednesday, June 29, 2011

सियासत की भेंट चढ़ीं रेल परियोजनाएं


जनता से सीधा जुड़ा रेल सेवा का मामला राज्य और केंद्र सरकारों के बीच अहम् का मुद्दा बनकर रह गया है। इसकी मुख्य वजह इन योजनाओं को लेकर राज्य में जारी सियासत है। स्थिति यह है कि योजनाओं को मंजूरी नहीं मिलने पर राज्य सरकार केंद्र पर उपेक्षा करने का आरोप लगा रही है तो केंद्र राज्य की ओर से सही पैरवी नहीं होने का तर्क देकर इस महत्वपूर्ण मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाले है। नतीजतन पहाड़ी राज्य में पर रेल सेवा विस्तार की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही और जनता की उम्मीदें फाइलों में कैद होकर रह गई हैं। स्थिति यह है कि सूबे में रेल सेवा के पहाड़ों में चढ़ने और मैदानी क्षेत्रों में पांव पसारने की मुहिम रिवर्स गियर में है। नई रेल लाइनों के साथ ही अन्य परिवहन को सुचारू करने को रेलवे ओवर ब्रिज के प्रस्ताव भी रेल मंत्रालय के ठंडे बस्ते में हैं। नतीजतन, सालों से राज्य में न तो नई रेल लाइन बिछी और न ही कोई नई ट्रेन ही नसीब हुई। जितनी तेजी से यहां आबादी बढ़ रही है, उसी तरह रेल सेवाओं के विस्तार की मांग भी बढ़ी है। आलम यह है कि करीब आधा दर्जन रेल लाइन निर्माण योजनाओं के प्रस्ताव केंद्र के पास अरसे से अटके हैं। सूबे में 16 रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) बनाने की योजना वर्ष 2006 में बनी, लेकिन यह शुरू कब होगी, इसे बताने वाला कोई नहीं। हां महकमे के अफसरान सर्वे और निरीक्षण में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। नई ट्रेन शुरू होने का मसला सियासी बयानबाजी तक सिमट गया है। हालत यह है कि मुजफ्फरनगर-रुड़की रेललाइन, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग, टनकपुर-बागेश्र्वर, देहरादून-विकासनगर,,कालसी और सहारनपुर-मोहंड रेल लाइन निर्माण की योजना अर्से से केंद्र की मंजूरी की वाट जोह रही हैं। कमोवेश यही स्थिति लक्सर-देहरादून रेल लाइन के विद्युतीकरण की योजना का है जिसे केंद्र से हरी झंडी नहीं मिल रही। यही नहीं सूबे में प्रस्तावित 16 रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) निर्माण योजना को अभी तक बजट आवंटन नहीं हो सका है। दिल्ली से रामनगर व दिल्ली से काठगोदाम के बीच शताब्दी एक्सप्रेस शुरू कराने की योजना भी सरकारी फाइलों के मकड़जाल में उलझी है। राज्य में डाक विभाग के माध्यम से यात्री आरक्षण सुविधा (पीआरएस) योजना शुरू करने की योजना तीन साल से मंत्रालय में मंजूरी का इंतजार कर रही है। इसकी वजह राज्य के जनप्रतिनिधियों की इन योजनाओं के प्रति दिलचस्पी न होना है। इस संबंध में राज्य के प्रमुख सचिव परिवहन एस रामास्वामी का कहना है कि लंबित योजनाओं को शुरू कराने के लिए राज्य सरकार की ओर से केंद्र को लगातार आग्रह किया जा रहा है। रेल मंत्रालय में संबंधित अफसरों के साथ वार्ता जारी है। विभाग की कोशिश लोगों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार को लंबित योजनाओं की समीक्षा कर इन्हें मंजूरी प्रदान करनी चाहिए.

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