Wednesday, June 15, 2011

केंद्र व यूपी में आगे रहने की होड़


भूमि अधिग्रहण के खिलाफ और मुआवजे को लेकर आंदोलन के चलते सुर्खियों में आये भट्टा-पारसौल गांव के किसानों के मामले में केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार एक-दूसरे से कतई पीछे नहीं रहना चाहतीं। यही वजह है कि पीडि़त किसानों को लेकर दोनों सरकारों ने सक्रियता बढ़ा दी है। केंद्रीय मंत्री बुधवार को जहां पीडि़त किसानों को प्रधानमंत्री की ओर से घोषित सहायता राशि बांटने पहंुच रहे हैं, वहीं राज्य सरकार भी जल्द ही फिर से किसानों का दुख-दर्द बांटने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक भट्टा-पारसौल आंदोलन के चलते पुलिस कार्रवाई में घायल किसानों के लिए प्रधानमंत्री की ओर से घोषित सहायता राशि वितरण के मसले पर केंद्र सरकार ने मंगलवार को फिर से पड़ताल की। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री नारायण सामी ने केंद्रीय सहायता से अब तक वंचित किसानों को आर्थिक सहायता राशि उपलब्ध कराने के मामले में संबंधित अधिकारियों व ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन आदित्य से चर्चा की। बताते हैं कि भट्टा, पारसौल और आछेपुर के 65 किसान अभी तक प्रधानमंत्री की ओर से घोषित आर्थिक सहायता से वंचित हैं। लिहाजा प्रदीप जैन उन्हें बुधवार को ही धनराशि उपलब्ध कराने जा रहे हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने भट्टा-पारसौल आंदोलन के दौरान गंभीर रूप से घायलों में प्रत्येक को 50 हजार रुपये और मामूली रूप से घायलों में प्रत्येक को दस हजार रुपये की आर्थिक मदद का एलान किया था। बुधवार को भट्टा, पारसौल और आछेपुर के जिन किसानों को आर्थिक सहायता दी जानी है, आंदोलन के दौरान उनमें से 39 लोग मामूली रूप से और बाकी 26 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। बताते हैं कि घायलों का बैंक खाता खुलवाकर सहायता राशि उनके खाते में जमा कर दी गई है। जैन उन्हें उनकी पासबुक सौंपने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री नारायण सामी इन गांवों के पीडि़त 110 किसानों को पहले ही केंद्रीय सहायता राशि बांट आए हैं। उल्लेखनीय है कि आंदोलन के दौरान मारे गए दो किसानों को राज्य सरकार अपनी तरफ से पांच-पांच लाख रुपये और स्थानीय बसपा सांसद सुरेंद्र नागर की ओर से भी पांच-पांच लाख रुपये की मदद पहले ही दी जा चुकी है। राज्य सरकार गंभीर रूप से घायलों को ढाई-ढाई लाख रुपए भी दे चुकी है। सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार जल्द ही इन गांवों के पीडि़त किसानों का फिर से दुख-दर्द सुनने जा रही है। आला अधिकारी इस बाबत किसानों की शिकायतों को फिर से सुनेंगे।


No comments:

Post a Comment