Wednesday, June 29, 2011

राजनीति में अपने अंदाज से दखल देंगे हजारे


अन्ना हजारे न तो सभी राजनेताओं के खिलाफ हैं और न ही मौजूदा संसदीय व्यवस्था के। यहां तक कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपने सक्रिय हस्तक्षेप की योजना भी तैयार कर ली है। अन्ना न तो अपनी पार्टी बनाएंगे और न ही किसी पार्टी का समर्थन करेंगे, बल्कि ईमानदार लोगों को संसद पहुंचाने के लिए चुनाव में उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह चुनावी समर्थन सिर्फ जन लोकपाल के साथ आने के बदले में नहीं होगा। अन्ना हजारे ने दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में अपनी इस योजना के बारे में जानकारी दी। मौजूदा चुनावी व्यवस्था में वे किस तरह का हस्तक्षेप करेंगे, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, यह प्रयोग हमने महाराष्ट्र में चुनाव से पहले किया है। एक मूवमेंट चलाया था कि भ्रष्ट लोगों को वोट मत दो। जो भ्रष्ट है, लुटेरा है ऐसे व्यक्ति को वोट मत दो। दूसरे कई लोगों के नाम हमने दिए थे कि ये लोग चुनाव में खड़े हुए तो उनको समर्थन करना। लोगों ने 12 में से आठ लोगों को चुनकर भेजा। अच्छे लोगों के व्यवस्था के अंदर जाने के लिए यह भी रास्ता है। हालांकि अन्ना ने स्पष्ट किया कि सिर्फ जन लोकपाल के समर्थन के आधार पर वे किसी नेता या पार्टी का चुनावी समर्थन नहीं करेंगे। न ही वे अपनी पसंद की संसद बनाने की महत्वाकांक्षा रखते हैं। वे मानते हैं कि बड़ी संख्या में ईमानदार लोगों का राजनीति में आना काफी मुश्किल है। साथ ही यह भी कहते हैं कि महाराष्ट्र का प्रयोग देश भर में आसानी से कामयाब होना मुश्किल है। भ्रष्टाचार से धन और ताकत हासिल करने वाले इसे उतनी आसानी से नहीं होने देंगे। कुछ खास उम्मीदवारों को अपना समर्थन देने से आप विवादों में नहीं घिर जाएंगे? इस पर अन्ना कहते हैं कि आरोपों से वे नहीं डरते। उन्हें बदले में उन सांसदों से भी कुछ नहीं चाहिए। यहां तक कि वे जन लोकपाल को लेकर भी उस सांसद से इतना ही कहेंगे कि वह सिर्फ अपने क्षेत्र की जनता की भावना का सम्मान करें। अन्ना कहते हैं कि चाहे एक ही उम्मीदवार मिले, लेकिन जांच-परख कर ही वे किसी का समर्थन करेंगे। अन्ना इस बात से भी इंकार करते हैं कि वे सभी नेताओं को बेईमान बताते हैं। वे कहते हैं कि सभी पार्टियों के ईमानदार सांसदों को अपने पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाना चाहिए।


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