Friday, June 10, 2011

अब अन्ना को सिखाएंगे सबक


खिसियाई केंद्र सरकार अब भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलन करने वालों को सबक सिखाने के मूड में आ गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बाबा रामदेव के अनशन को खत्म करने के लिए पुलिसिया कार्रवाई का बचाव कर सरकार के कड़े तेवर जाहिर कर दिए। उनके अलावा कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने रामदेव और अन्ना हजारे को आरएसएस का मुखौटा करार देकर साफ किया कि अब पार्टी सिविल सोसाइटी से आर-पार की लड़ाई लड़ेगी। लोकपाल विधेयक पर भी सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। ड्राफ्टिंग कमेटी का बहिष्कार करने वाली टीम अन्ना को कपिल सिब्बल ने दो टूक चेतावनी दी कि सरकार 30 जून से पहले मसविदे को अंतिम रूप दे देगी। इसके प्रबल संकेत हैं कि सरकार अन्ना हजारे को जंतर-मंतर पर अनशन के लिए नहीं बैठने देगी। वहां धारा 144 पहले से ही लगा दी गई है। इसके अलावा सिब्बल ने टीम अन्ना को सोच-समझकर सरकार के बारे में शब्द प्रयोग करने की ताकीद की है। अन्ना हजारे और उनके समर्थकों के बहिष्कार के बावजूद सरकार ने लोकपाल साझा समिति की बैठक की। सिब्बल ने बताया कि पांचों मंत्रियों ने इसमें भाग लिया और कई गंभीर मुद्दों पर विचार कर फैसला किया। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि किन मुद्दों पर क्या बातचीत हुई? इससे पहले अन्ना की ओर से उनके सहयोगी और लोकपाल साझा समिति के सह-अध्यक्ष शांति भूषण ने समिति के अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखा था कि जब तक सरकार अपना रुख साफ नहीं करेगी वे समिति की बैठकों में भाग नहीं लेंगे। रामलीला मैदान पर पुलिसिया कार्रवाई को लेकर सरकार पर हो रहे चौतरफा हमलों का जवाब देने के लिए सोमवार को खुद प्रधानमंत्री सामने आ गए। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सरकार पूरी शिद्दत से लड़ रही है, लेकिन उसके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। प्रधानमंत्री से पहले संगठन और सरकार ने बाबा और अन्ना पर एक साथ हल्ला बोला। जनार्दन द्विवेदी ने मौजूदा घटनाक्रम को संघ और भाजपा की साजिश का हिस्सा बताया और कहा कि अब वे स्वामी और हजारे को आगे कर रहे हैं अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए। ये संघ के मुखौटे हैं। उन्होंने पूछा कि यह क्या हो रहा है कि कोई स्वामी, सत्याग्रही, समाजशोधक खड़ा हो जाए और यह माने कि जो वह कह रहा है वही पूरा देश मानेगा? यह कौन से लोकतंत्र का सिद्धांत है? जनार्दन की तरह कपिल सिब्बल भी टीम अन्ना पर बरसे। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अन्ना हजारे व उनकी टीम के लोग जिस तरह की भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं वह सिविल सोसाइटी नहीं है। हम इस रवैये को सख्ती के साथ खारिज करते हैं। यह कतई स्वीकार्य नहीं है कि वे इस तरह की बात जनता के बीच करें।

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