Monday, July 23, 2012

तीसरे सबसे अधिक उम्र के राष्ट्रपति बने प्रणब दा



देश के 14वें राष्ट्रपति चुने गए प्रणब मुखर्जी केवल अनुभव में ही वरिष्ठ नहीं हैं बल्कि केआर नारायणन और आर वेंकटरामण के बाद वह इस पद पर काबिज होने वाले तीसरे सबसे अधिक उम्र के व्यक्ति हैं। राष्ट्रपति चुने जाते समय प्रणब की आयु 76 वर्ष आठ महीने है। सबसे अधिक अंतर से जीत का रिकार्ड दर्ज करने वाले केआर नारायण की आयु 1997 में राष्ट्रपति चुने जाने के समय 76 वर्ष नौ महीने थी। आर वेंकट रमन की आयु 1987 में राष्ट्रपति चुने जाने के समय 76 वर्ष आठ महीने थी। वेंकटरमन का जन्म चार दिसम्बर, 1910 को और प्रणब दा का जन्म 11 दिसम्बर, 1935 को हुआ। इस प्रकार राष्ट्रपति चुने जाने के समय वेंकटरमण उम्र के मामले में प्रणब से छह दिन बड़े हैं। राष्ट्रपति पद के लिए दो मई, 1952 को हुए पहले चुनाव के समय डा. राजेन्द्र प्रसाद की आयु 63 वर्ष थी जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी टी शाह की उम्र 65 वर्ष थी। छह मई, 1957 को राष्ट्रपति पद के दूसरे चुनाव में डा. राजेन्द्र प्रसाद पुन: विजयी रहे, उस समय उनकी उम्र 70 वर्ष थी। इसके बाद 1962 में राष्ट्रपति बनने वाले डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की आयु 73 वर्ष थी। 1967 के चुनाव में जाकिर हुसैन की आयु 70 वर्ष थी। वहीं वीवी गिरि जब 1969 में नीलम संजीव रेड्डी को पराजित कर राष्ट्रपति बने तब उनकी आयु 75 वर्ष थी जबकि फखरूद्दीन अली अहमद जब 1974 में राष्ट्रपति चुने गए तब उनकी आयु 69 वर्ष थी। 1977 में नीलम संजीव रेड्डी सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुने गए तब उनकी आयु 64 वर्ष थी। इसके पश्चात 12 जुलाई, 1982 को हुए चुनाव के समय ज्ञानी जैल सिंह 66 वर्ष के थे। इसके अगले चुनाव में 1992 में राष्ट्रपति चुने गए डा. शंकर दयाल शर्मा की आयु 74 वर्ष थी। 15 जुलाई, 2002 के चुनाव में राष्ट्रपति चुने गए एपीजे अब्दुल कलाम की आयु 71 वर्ष थी। प्रतिभा पाटिल जब साल 2007 में जब देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं तब उनकी आयु 72 वर्ष थी।

     

नहीं टूट पाया रिकार्ड

राष्ट्रपति पद के चुनाव में प्रणब मुखर्जी ने 3,97,776 मतों के अंतर से जबर्दस्त जीत दर्ज की। हालांकि वह सबसे अधिक नौ लाख से अधिक मतों के भारी अंतर से राष्ट्रपति चुने जाने के केआर नारायणन के रिकार्ड को नहीं तोड़ सके। राष्ट्रपति पद के लिए दो मई 1952 को हुए पहले चुनाव में डा. राजेन्द्र प्रसाद ने 5,07,400 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की। चुनाव में टी शाह को 92, 827 मत मिले । राजेन्द्र प्रसाद 4,14,573 मतोें से विजयी हुए थे। छह मई 1957 को राष्ट्रपति पद के दूसरे चुनाव में 4,59,698 मत प्राप्त कर डा. राजेन्द्र प्रसाद पुन: विजयी रहे। राजेन्द्र प्रसाद करीब साढ़े चार लाख मतों से विजयी हुए। इसके बाद 1962 के राष्ट्रपति चुनाव में 5,53,067 मत प्राप्त कर डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 5.47 लाख मतों से विजयी हुए। 1967 के चुनाव में जाकिर हुसैन को 4,71,244 मत प्राप्त हुए जबकि के सुब्बाराव को 3,63,971 मत मिले। जाकिर हुसैन 1,07,273 मतों से विजयी रहे। गिरि ने 1969 में नीलम संजीव रेड्डी को दूसरी वरीयता के मतों के आधार पर 14,650 मतों के अंतर से हराया था जबकि 1997 में केआर नारायणन ने टीएन शेषन को नौ लाख से अधिक मतों से पराजित किया था। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने प्रेस से कहा कि संविधान में राष्ट्रपति के चुनाव के संदर्भ में ऐसा प्रावधान है कि बहुमत के लिए जरूरी मत प्राप्त नहीं होने पर दूसरी वरीयता के मतों के आधार पर निर्णय होता है। उन्होंने कहा कि 1969 में वीवी गिरि दूसरी वरीयता के मतों के आधार पर ही चुनाव जीत पाए थे। उस चुनाव में प्रथम वरीयता के मतों की गिनती के बाद किसी को बहुमत नहीं मिला। गिरि 14,650 मतों से विजयी हुए। फखरुद्दीन अली अहमद ने 1974 के चुनाव में 7,54,113 मत प्राप्त किए जबकि त्रिदिब चटर्जी को 1,89,196 मत मिले। अहमद 5.64 लाख मतों से विजयी रहे। इसके पश्चात 12 जुलाई 1982 को हुए चुनाव में ज्ञानी जैल सिंह 7,54,113 मत प्राप्त करके 4.71 लाख मतों के अंतर से जीते। उनके प्रतिद्वन्द्वी एचआर खन्ना को 2,82,685 मत मिले थे। आर वेंकट रमन 1987 में 7,40,148 मत प्राप्त करके 4.58 लाख मतों से विजयी रहे। उस चुनाव में वीआर कृष्णा अय्यर को 2,81,550 मत मिले। इसके अगले चुनाव में डा शंकर दयाल शर्मा ने 6,75,864 मत हासिल करके जीजी स्वेल को 3.29 लाख मतों से हराया। सबसे अधिक अंतर से जीत का रिकार्ड दर्ज करने वाले केआर नारायणन ने 1997 के चुनाव में 9,56,290 मत प्राप्त किए जबकि टीएन शेषन को महज 50,631 मत मिले। 15 जुलाई 2002 को चुनाव में एपीजे अब्दुल कलाम को 9,22,884 मत मिले जबकि लक्ष्मी सहगल को 1,07,366 मत प्राप्त हुए। कलाम 8.15 लाख मतों से चुनाव जीते। प्रतिभा पाटिल 2007 में 6,38,116 मत हासिल करते हुए भैरो सिंह शेखावत को तीन लाख से अधिक मतों से हरा कर देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं। 

प्रणब मुखर्जी बने महामहिम


संप्रग उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी भारी बहुमत से देश के 13वें राष्ट्रपति चुन लिए गए। उन्होंने राजग प्रत्याशी पीए संगमा को करीब चार लाख वोटों से हराकर रायसीना हिल्स का सफर पूरा किया। करीब 70 फीसदी वोट लेकर विजयी रहे प्रणब 25 जुलाई को सुबह 11.30 बजे राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। पहले बंगाली राष्ट्रपति बनने का गौरव पाने वाले मुखर्जी के पक्ष में विपक्षी गठबंधन पहले ही खुलकर आ गए थे। कर्नाटक समेत कुछ राज्यों में क्रास वोटिंग ने उनकी जीत का अंतर बढ़ा दिया। संप्रग सरकार में संकटमोचक की भूमिका में रहे प्रणब की जीत के बाद पहली प्रतिक्रिया थी, इस चुनाव में आम चुनाव जैसा माहौल था। मैं उन लोगों का धन्यवाद देता हूं जिन्होंने पार्टी लाइन से आगे बढ़कर मेरा समर्थन किया। अपने पांच दशक के सार्वजनिक जीवन में सहयोग के लिए उन्होंने सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए वादा किया कि बतौर राष्ट्रपति संविधान का संरक्षक होने के नाते वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह पूरी ईमानदारी और विनम्रता से करेंगे। जीत से भावुक प्रणब ने कहा कि उन्होंने जितना राजनीति को दिया, उससे कहीं ज्यादा उन्हें मिला। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार समेत तमाम नेताओं का प्रणब के घर बधाई देने के लिए तांता लगा रहा। 19 जुलाई को हुए मतदान में 776 सांसदों में 748 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें प्रणब को 527 और संगमा को 206 मत मिले। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सहित 15 सांसदों के मत खारिज कर दिए गए। राज्यों में भी गुजरात, मप्र, तमिलनाडु, ओडिशा, पंजाब, हिमाचल और छत्तीसगढ़ को छोड़कर सभी सूबों में प्रणब ने संगमा को चारों खाने चित्त किया। भाजपा शासित कर्नाटक में भी संगमा की तुलना में प्रणब को ज्यादा वोट मिले। बिहार और झारखंड में तो खैर राजग के सहयोगी दल पहले ही प्रणब के पक्ष में थे, लिहाजा भाजपा गठबंधन वाले राज्यों में दादा ही जीते। जीत के लिए मुखर्जी को 5,25,140 का आंकड़ा पार करना था। संसद भवन में मतगणना के बाद प्रणब को 7.13 लाख से ज्यादा वोट मिले जबकि संगमा 3.16 लाख वोटों पर सिमट गए। मतगणना के दौरान प्रणब की तरफ से चिदंबरम, पवन बंसल, राजीव शुक्ला, नारायणसामी और पबन सिंह घटोवार जमे रहे। संगमा के प्रतिनिधि सत्यपाल जैन और भर्तृहरि महताब मौजूद रहे। प्रणब के पक्ष में माहौल शुरू से कुछ ऐसा था कि चुनाव और मतगणना सिर्फ औपचारिकता ही थी। तृणमूल के समर्थन के बाद कुछ बचा नहीं था। प्रणब को केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा, बसपा, राजद, जद (एस) के अलावा राजग सहयोगियों झामुमो, जदयू और शिवसेना के साथ-साथ माकपा एवं फारवर्ड ब्लाक का भी समर्थन हासिल था। संगमा को भाजपा, अकाली दल, असम गण परिषद, अन्नाद्रमुक और बीजद ने समर्थन दिया था। भाकपा, तेदेपा और टीआरएस ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। 

Thursday, July 12, 2012

चिदंबरम के गले में फंसा मध्यम वर्ग पर बयान

संगठन और सरकार पर केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की बेबाकी से मचा घमासान शांत नहीं हुआ कि अब गृहमंत्री पी. चिदंबरम का मध्यम वर्ग पर तंज उनके गले की हड्डी बन गया। बेंगलूर में सलमान के साथ ही संयुक्त प्रेसवार्ता में मध्यम वर्ग की मानसिकता पर उठाए गए सवाल को लेकर मचे बवाल के बाद गृहमंत्री को भी सफाई देनी पड़ी। साथ ही कांग्रेस को भी उनके बचाव में उतरना पड़ा। खुद के फिर से वित्तमंत्री बनने के कयासों के बीच चिदंबरम ने कहा था कि लोग पानी और आइसक्रीम पर तो 15-20 रुपये आसानी से खर्च कर देते हैं, लेकिन चावल-गेहूं की कीमत में एक रुपये की बढ़त बर्दाश्त नहीं कर पाते। सरकार हर चीज को मिडिल क्लास के नजरिये से नहीं देख सकती। इस बयान पर हंगामा मचने से नाराज चिदंबरम ने गृह मंत्रालय से बयान जारी करवा सफाई दी। बयान में कहा गया है कि चिदंबरम ने किसी का मजाक नहीं उड़ाया है। उन्होंने मध्यम वर्ग नहीं, बल्कि हम शब्द का प्रयोग किया था। इस मसले पर विपक्ष की तरफ से मचे बवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा कि चिदंबरम के बयान को गलत परिप्रेक्ष्य में पेश किया जा रहा है। मंगलवार को बेंगलूर में चिदंबरम ने भारत में आम आदमी पर बढ़ते महंगाई के बोझ से जुड़े सवाल पर समाज के अलग-अलग वर्गो के लिए सरकारी कार्यक्रमों की बात की थी। चिदंबरम का दावा था कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से फायदा हो रहा है। गांवों में गरीबों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम मनरेगा चलाया जा रहा है, जिससे करोड़ों बच्चों को दिन में कम से कम एक बार खाना मिल रहा है। उन्होंने कहा था कि अगर आप गन्ने का दाम बढ़ाते हैं, तो चीनी के दाम भी बढ़ेंगे ही। अगर आप गेहूं, अनाज के दाम बढ़ाते हैं तो ग्राहक को चावल और आटे के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा था कि मैंने एक बार यह लिखा भी है कि हम पानी की एक बोतल के लिए 15 रुपये देने को तैयार हैं, लेकिन एक किलो आटे या चावल में एक रुपये का बढ़ना हमें गवारा नहीं है।

फिदायीन जैसे बलिदानी तैयार करेंगे रामदेव


कालेधन, भ्रष्टाचार एवं अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यवस्था के विरुद्ध दिल्ली में 9 अगस्त को होने वाले राष्ट्रीय आंदोलन में झारखंड से कम से कम एक लाख लोग भाग लेंगे। मंगलवार को रांची क्लब में भारत स्वाभिमान व पतंजलि योग समिति की कार्यकारिणी की बैठक हुई। बैठक में 24 जिलों के पांच हजार से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रतिनिधियों का उत्साहवर्धन करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि इस बार केंद्र सरकार को दसों दिशाओं से घेरेंगे। सरकार के पापों का घड़ा भर चुका है। अब फूटने का समय आ चुका है। जब आतंकी संगठन फिदायीन तैयार कर सकते हैं तो हम देश पर मिटने वाले राष्ट्रभक्त बलिदानी क्यों नहीं? बाबा ने युवाओं को भी आह्वान किया और कहा कि लड़का लड़की को भगा ले जा सकता है, लड़की लड़का को भगा ले जा सकती है, हम देश के लिए क्यों नहीं भगा सकते। इस बात पर तो पूरा हॉल ही तालियों से गूंज उठा। बीच-बीच में भजन भी चल रहा था। कोडरमा के कार्यकर्ताओं का उत्साह देख बाबा ने कहा, देश को खंड-खंड होने से बचाएगा झारखंड। इस अवसर पर बाबा ने टाइम पत्रिका पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि टाइम जो बात आज कह रहा है, हम बहुत पहले से कहते आ रहे हैं। देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में पहंुचा दिया गया है। झारखंड की लड़ाई लड़ेंगे बाबा झारखंड के लोग भगवान बिरसा के जमाने से ही जल, जंगल, जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं। यहां की भू-संपदा लूटी जा रही है। 1895 का बना भू-अधिग्रहण कानून भी अप्रासंगिक हो चुका है। यहां शीघ्र ही हम जल, जंगल, जमीन की लड़ाई शुरू करेंगे। रांची में मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता में बाबा रामदेव ने ये बातें कहीं। बाब ने कहा, किसानों और आदिवासियों को दो सौ साल से लूटा जा रहा है। यहां अरबों-खरबों की भू संपदा हर महीने लूटी जा रही है। इस लूट ने नौ अगस्त की लड़ाई को प्रासंगिक बना दिया है। लोग कहते हैं, भारत गरीब है। जिस देश के पास एक लाख टन सोना है, 100 लाख करोड़ का खनिज हो, एक हजार लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था हो, वह गरीब कैसे हो सकता है? लेकिन पूरी संपत्ति पर एक लाख लोगों का कब्जा है, जिसके कारण यह देश गरीब है। सरकार एफडीआइ के लिए दरवाजा खोल रही है। इसके माध्यम से 25000 करोड़ रुपये देश में आएगा। पर इसकी जरूरत क्या है? देश में सौ हसन अली को पकड़ लो, बेईमान कंपनियों से वसूली करो, कोयला आवंटन में नीलामी में जो राजस्व का घाटा हुआ है, उसकी भरपाई करो तो दूसरे के आगे हाथ फैलाने की जरूरत ही नहीं होगी।

आवंटित अनाज का बंगाल में सदुपयोग नहीं : थामस


गृहमंत्री पी चिदंबरम के बाद अब केंद्रीय खाद्यमंत्री केवी थामस ने भी राज्य की ममता सरकार के खिलाफ मुंह खोला है। उन्होंने यहां कहा कि केंद्र की ओर से आवंटित कुल अनाज का पश्चिम बंगाल सिर्फ 12.6 प्रतिशत हिस्सा ही उठा पाता है। बंगाल में खाद्य संरक्षण की सही व्यवस्था नहीं होने के कारण यह स्थिति बनी है। उन्होंने कहा कि 2011-12 में बंगाल के 10 पिछड़े जिलों के लिए 6.56 लाख टन अनाज का आवंटन किया गया था। इसका 12.6 प्रतिशत हिस्सा ही उठाया गया। हालांकि उन्होंने भरोसा दिलाया कि खाद्य भंडारों एवं राशन दुकानों के नवीनीकरण के लिए केंद्र सरकार बंगाल को हरसंभव आर्थिक सहायता देगा। उन्होंने बताया कि पहले देश में कुल 20 करोड़ राशन कार्ड धारक थे। नवीनीकरण के बाद इसकी संख्या घट कर 18 करोड़ रह गई है। 2011-12 में 22 लाख टन चावल और गेहूं का आवंटन किया गया है। वहीं वर्ष 2010-11 में 8.46 टन चावल एवं 6.58 लाख टन गेहूं का आवंटन किया गया था। वह मंगलवार को आइसीसीआर में खाद्य संरक्षण पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे। इसका आयोजन ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) ने किया था। इस मौके पर राज्यपाल एमके नारायणन, बीआइएस के डायरेक्टर जनरल अलिंदा चंद्रा व वैज्ञानिक पीके गंभीर भी मौजूद थे। केवी थामस ने खाद्य सुरक्षा विधेयक शीतकालीन सत्र में पारित होने की संभावना जताई है। अभी यह विधेयक स्टैंडिंग कमेटी का पास भेजा गया है। प्राथमिक एवं जनरल दो वर्गो में विभाजित इस विधेयक के पारित हो जाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में 70 एवं सामान्य क्षेत्रों में 46 प्रतिशत लोगों को लाभ होगा। शहरी क्षेत्र के बीपीएल में 50 प्रतिशत एवं सामान्य में 28 प्रतिशत लोग भी इससे लाभान्वित होंगे। उधर , राज्य के खाद्यमंत्री ज्योति प्रिय मल्लिक ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने गलत तथ्य दिया है। केंद्र सरकार राज्य के साथ असहयोग कर रहा है और केंद्रीय मंत्री कह अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं।

चिदंबरम ने आम आदमी पर उतारी खीझ


आम आदमी का साथ देने का वादा कर सरकार बनाने वाली कांग्रेस लगातार आम आदमी पर ही अपनी खीझ उतार रही है। पिछले दिनों गरीबी रेखा को लेकर कठघरे में रही सरकार अब मध्यवर्ग को लेकर विपक्ष के हत्थे चढ़ गई है। गृहमंत्री पी चदंबरम ने कहा, आम आदमी 20 रुपये की आइसक्रीम तो खा सकता है, लेकिन उसे गेहूं में एक रुपये की बढ़ोतरी बर्दाश्त नहीं होती। चिदंबरम की तल्ख व व्यंग्यात्मक टिप्पणी पर कड़ा एतराज जताते हुए भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि विदेशी चश्मे से चिदंबरम को देश के गरीब और आम आदमी की पीड़ा दिखाई नहीं देती है। आम आदमी का मजाक उड़ाने के लिए चिदंबरम को देश से माफी मांगनी चाहिए। खुर्शीद के राजनीतिक बयान पर उठा उफान ठंडा हो पाता, उससे पहले ही चिदंबरम के ताजा बयान ने नए सिरे से विवाद खड़ा कर दिया। बेंगलूर में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए चिदंबरम ने महंगाई के प्रति मध्यमवर्ग के रुख पर एतराज जताते हुए कहा था, हम 15 रुपये देकर पानी की बोतल खरीद सकते हैं, 20 रुपये की आइसक्रीम खा सकते हैं, लेकिन गेहूं और चावल की कीमत एक रुपये बढ़ जाए तो परेशानी होती है। उन्होंने आगे कहा कि सब कुछ मध्यवर्ग के लिहाज से तय नहीं किया जा सकता है। अनाज की खरीद में किसानों को ज्यादा पैसा दिया गया है। बहरहाल, भाजपा चिदंबरम को बख्शने को तैयार नहीं है। शाहनवाज ने कहा, यह वही सरकार है जिसमें 24 रुपये से ज्यादा कमाने वाले को गरीबी रेखा से ऊपर करार दिया गया है। चिदंबरम वातानुकूलित कमरों में रहते हैं और हवाई जहाज से चलते हैं। उन्हें आम आदमी और गरीबों की पीड़ा का अहसास नहीं है। उन्होंने चिदंबरम की इस दलील को भी खारिज किया कि इससे किसानों को लाभ मिल रहा है। शाहनवाज ने कहा कि सच्चाई यह है कि यह सरकार किसानों का हक भी छीन रही है और आम आदमी का भी मजाक उड़ा रही है। उन्होंने आगाह किया कि चिदंबरम माफी मागें।