बिहार में करीब दो साल तक गठबंधन की राजनीति करने के बाद राष्ट्रीय जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी की दूरियां बढ़ने लगी है। पूर्णिया उपचुनाव में समर्थन के सवाल पर भी दोनों दलों में मतभेद उभरे हैं। राजद माकपा को समर्थन दे रही है, तो लोजपा कांग्रेस को। राजद-लोजपा के गठबंधन में दरार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। लालू व रामविलास दोनों के ही मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चा है। कांग्रेस के लिए रामविलास की उपयोगिता तो है। अगले साल उत्तर प्रदेश चुनाव में मायावती के मुकाबले पासवान का इस्तेमाल वह कर सकती है। बिहार के कांग्रेसी भी रामविलास से तालमेल तो चाहते हैं पर लालू प्रसाद से नहीं। दोनों दलों में दूरियां बढ़ने का एक कारण यह भी है। अररिया के फारबिसगंज पुलिस फायरिंग को लेकर भी दोनों दलों एप्रोच में अंतर है। पुलिस फायरिंग का यह इलाका लोजपा विधायक जाकिर हुसेन के प्रभुत्व का है। शायद इसी वजह से फायरिंग की घटना को जिस आक्रामक तरीके से लोजपा ने उठाया वैसा राजद ने नहीं किया। बिहार विधानसभा के 2005 में हुये चुनाव में हार के बाद दोनों दलों ने 2009 का लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा। इसमें गठबंधन को कोई खास सफलता नहीं मिली पर कुछ महीने बाद हुये उपचुनाव में गठबंधन को अच्छी कामयाबी मिली। इससे उत्साहित दोनों दल के नेताओं ने गत नवंबर का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा। इस विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद दोनों दलों ने चुप्पी साध रखी थी। 3 जून को अररिया में पुलिस फायरिंग ने विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका दे दिया। पासवान और नेता प्रतिपक्ष अब्दुल बारी सिद्दीकी 6 जून को साथ साथ घटना स्थल पर गए। पर बाद में राजद का रूख पुलिस फायरिंग पर नर्म पड़ता गया। इस घटना पर लोजपा के तेवर आज भी हमलावर है। वह इसे हरसंभव भुनाने की कोशिश कर रही है। इस बहाने वह अल्पसंख्यकों को एनडीए से दूर करने की कोशिश में लगी है। इसी बीच पूर्णिया विधानसभा के उपचुनाव में समर्थन को लेकर दोनों दलों में मतभेद उभर कर सामने आया। राजद ने माकपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी। प्रदेश राजद अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे के मुताबिक कांग्रेस ने उनसे समर्थन मांगा नहीं। माकपा ने समर्थन मांगा तो हमने इसकी घोषणा कर दी। रामविलास पासवान ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया। लोजपा का तर्क था कि कांग्रेस प्रत्याशी गत चुनाव में दूसरे स्थान पर थे। लोजपा का कहना है कि जमशेदपुर लोकसभा उपचुनाव में राजद कांग्रेस को बिना मांगे समर्थन दे सकती है तो पूर्णिया में क्यों नहीं।
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