बाबा रामदेव के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के बाद अब केंद्र सरकार ने लोकपाल बिल पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे समाजसेवी अन्ना हजारे को आंखें दिखानीं शुरू कर दी हैं। लोकपाल पर मसौदा समिति के अध्यक्ष एवं केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने टीम अन्ना की मांगों को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि सरकार लोकपाल विधेयक संसद के मानसून सत्र में जरूर पेश करेगी। हालांकि उन्होंने इसे पारित कराने की समय-सीमा बताने से साफ इंकार कर दिया। यही नहीं प्रणब ने धमकाने वाले अंदाज में यहां तक कह दिया कि हम (सरकार) सिविल सोसाइटी के आंदोलनों के सच से जनता को अवगत कराएंगे। मुखर्जी ने रविवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में सिविल सोसाइटी की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के बारे में सिविल सोसाइटी का प्रतिवाद संवैधानिक है, लेकिन उनकी मांगें असंवैधानिक हैं। आखिर इस मांग में क्या दम है कि जो सरकार मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक लाने के लिए प्रयासरत है, उसे अन्ना हजारे 15 अगस्त तक सीमाबद्ध करने पर तुले हैं। क्या इस तरह की मांग को भी जायज ठहराया जा सकता है? उसी तरह से कुछ सदस्य संयुक्त बैठक की वीडियोग्राफी की मांग कर रहे हैं, जैसे कि कोई सर्कस हो। रिकार्ड के लिए सरकार की तरफ से यथासंभव रिकार्डिग की जा रही है, फिर अलग से व्यवस्था क्यों? विरोध का मतलब यह कतई नहीं है कि कोई संविधान से ऊपर हो जाए। लोकतंत्र में संसद का फैसला अंतिम है, और उसे सभी मानने को बाध्य हैं। संविधान ने कानून बनाने का अधिकार संसद और राज्य विधानसभाओं को दिया है। अगर पांच-छह हजार लोग संसद के बाहर से अपनी बात मनवाना चाहेंगे तो इससे लोकतंत्र कमजोर होगा। उन्होंने सोसाइटी के लोगों पर निशाना साधते हुए कहा, कि यदि उन्हें इतना जनसमर्थन है, तो वे चुनाव क्यों नहीं लड़ते हैं? प्रणब ने कहा, पिछले चुनावों में हार से चिंतित भाजपा अब सोसायटी के सदस्यों को उकसा कर राजनीति कर रही है, जिसे हम कभी सफल नहीं होने देंगे। यह लड़ाई सिविल सोसाइटी बनाम सरकार नहीं, बल्कि सरकार बनाम विपक्ष की है। यह कांग्रेस के लिए राजनीतिक चुनौती है, जिससे निबटने की तैयारी की जा रही है। भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा, भ्रष्टाचार पर नैतिकता की बात करने वाले भाजपा नेताओं को पहले अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए। मुखर्जी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सिविल सोसाइटी के आंदोलनों के सच पर से पर्दा उठाने को कांग्रेस पुस्तिका जारी करेगी। उसके बारे में देश की जनता को जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जब यह सभी को पता चल ही गया है कि इन आंदोलनों के पीछे भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ है, तो फिर हमारा यह दायित्व बनता है कि सच से लोगों को अवगत कराएं। जेपी आंदोलन का नाम लिए बगैर प्रणब ने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर पहले भी आंदोलन हुए हैं, और जो इसमें शामिल थे, बाद में वही मंत्रिमंडल में शामिल हुए।
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