महाराष्ट्र में भाजपा के सबसे प्रभावी चेहरे और लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गोपीनाथ मुंडे लगातार कांग्रेस के संपर्क में बने हुए हैं। गडकरी से नाराज मुंडे के कांग्रेस से हाथ मिलाने के फार्मूले और शर्तो तक बात पहुंच चुकी है। हालांकि कांग्रेस अभी तक इस बारे में अंतिम फैसला नहीं कर सकी है, लेकिन मुंडे को लेकर पार्टी नेतृत्व खासा संजीदा जरूर है। मराठवाड़ा कांग्रेस की कमजोर कड़ी रहा है। मुंडे न केवल इस इलाके के बल्कि पिछड़े वर्ग के प्रभावी नेता हैं इसलिए कांग्रेस इस अवसर को एक झटके में गंवाना नहीं चाहती। यह जरूर है कि मुंडे को लाने के नफा-नुकसान पर कांग्रेस में मंथन जारी है। वह मुंडे के साथ वार्ता का चैनल भी खोले हुए है। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और महाराष्ट्र के पार्टी मामलों के प्रभारी मोहन प्रकाश के बीच लगातार इस बारे में बात हो रही है। सूत्रों के मुताबिक मुंडे के संदेशवाहकों की तरफ से कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने या शामिल होने का फार्मूला और शर्ते मोटे तौर पर भेजी जा चुकी हैं। मुंडे अपने साथ करीब 15 विधायकों और महाराष्ट्र के तीन सांसदों को कांग्रेस में शामिल कराने का दावा कर रहे हैं। जाहिर है कि वह महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी के एक तिहाई से ज्यादा विधायकों को तोड़कर गडकरी को झटका देने का मन बना चुके हैं। मुंडे की अपेक्षा महाराष्ट्र सरकार में दो और केंद्र में एक मंत्री पद की है। अलग दल बनाने से लेकर कांग्रेस में शामिल होने जैसे विकल्पों पर भी कांग्रेस को कुछ संदेश दिए गए हैं। खास बात यह है कि भाजपा नेताओं के मोबाइल पर नहीं आ रहे मुंडे की लगातार कांग्रेस नेताओं से बातचीत जारी है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि महाराष्ट्र में जब शिवसेना के फायरब्रांड नेता नारायण राणे के साथ कांग्रेस को कोई दिक्कत नहीं हुई तो मुंडे के साथ भी सांप्रदायिकता के मुद्दे पर समस्या नहीं होगी। अलबत्ता, उनके दावों, प्रभावों और शर्तो पर पार्टी जरूर मंथन कर रही है। कांग्रेस यह भी देख रही है कि कहीं ऐसा न हो कि मुंडे सिर्फ भाजपा को ब्लैकमेल करने के लिए ही कांग्रेस का इस्तेमाल कर रहे हों। मुंडे की जल्द ही कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता के साथ बातचीत भी हो सकती है।
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