Saturday, January 1, 2011

सोनिया की तुलना महात्मा गांधी से

 कांग्रेस ने 125 वर्षो के अपने इतिहास को जिस पुस्तक में लिपिबद्ध किया है उसमें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की तुलना महात्मा गांधी से की गई है। कांग्रेस एंड द मेकिंग ऑफ द इंडियन नेशन नामक इस पुस्तक में लिखा गया है कि प्रधानमंत्री पद स्वीकार न करने का सोनिया का त्याग महात्मा गांधी के त्याग की तरह याद किया जाता है। सोनिया की महात्मा गांधी से तुलना के साथ-साथ किताब में इंदिरा और राजीव की हत्या को महात्मा गांधी की तरह ही देश के लिए बलिदान बताया गया है। किताब में यह भी लिखा गया है कि सोनिया और राहुल खुद को जनता के शासक के बजाय सेवक के रूप में देखा जाना पसंद करते हैं। कांग्रेस की यह चर्चित किताब पार्टी की सहमति से कई इतिहासकारों ने मिलकर तैयार की है। इसके मुख्य संपादक प्रणब मुखर्जी और संयोजक आनंद शर्मा हैं। किताब के पहले खंड के पृष्ठ 156 पर सोनिया गांधी का यादगार त्याग शीर्षक के तहत सामग्री में प्रधानमंत्री पद स्वीकार न करने के सोनिया के फैसले का जिक्र किया गया है। इसमें 18 मई 2004 को कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया के संबोधन का भी जिक्र है। इसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री बनना कभी उनका लक्ष्य नहीं रहा। ध्यान रहे कि 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद सोनिया को कांग्रेस संसदीय दल और फिर संप्रग का नेता चुना गया था। इसी के साथ उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार माना जाने लगा था, जिस पर भाजपा नेता सुषमा स्वराज और उमा भारती ने तीखा विरोध जताया था। इसके दो दिन बाद सोनिया ने अप्रत्याशित रूप से मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी। कांग्रेस की किताब के अनुसार, सोनिया केइस त्याग की व्यापक सराहना हुई और इसकी वजह से उनका कद पार्टी में और लोगों के बीच बढ़ा।

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