सरकार के गले में एक बार फिर सीएजी रिपोर्ट फंसने वाली है, क्योंकि जिस सीएजी रिपोर्ट पर पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा को चलता किया गया था उसी रिपोर्ट को नए दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने गलत ठहरा कर सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। यही नहीं सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी कंपनियों के लाइसेंस निरस्त करने की जिस याचिका पर केंद्र सरकार, ट्राइ और कंपनियों को नोटिस जारी किया है उसके केंद्र बिंदु में भी सीएजी रिपोर्ट है। आज भले ही सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर कपिल सिब्बल के बयान पर संज्ञान लेने से मना कर दिया हो, लेकिन यह कह कर कि सरकार को नुकसान हुआ है कि नहीं ये बात वे सरकार से पूछेंगे और अब यह चर्चा का विषय है सरकार से इस संबंध में भविष्य में सवाल जवाब का इशारा तो कर ही दिया। सरकार की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होंगी, क्योंकि सीएजी रिपोर्ट को आधार बना कर जारी की गई ट्राइ की सिफारिश पर सरकार ने नियमों व शर्तों का उल्लंघन करने वाली दूरसंचार कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इसके अलावा सीएजी रिपोर्ट के आधार पर 2जी मामले की जांच कर रही लोक लेखा समिति (पीएसी) के सामने पेश होने की तो स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पेशकश कर चुके हैं। इसी आधार पर सरकार विपक्ष की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग को टाल रही है, ऐसे में उसके लिए सीएजी रिपोर्ट को नकारना कठिन होगा। इस रिपोर्ट पर हफ्तों बहस होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसके निष्कर्षों को देखते हुए ही सीबीआइ को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की व्यापक जांच का निर्देश दिया है और कोर्ट स्वयं इस जांच की निगरानी कर रहा है। लाइसेंस निरस्त करने की मांग वाली याचिका पर जारी नोटिस में एक बार फिर सरकार सुप्रीम कोर्ट के सामने होगी। बात सिर्फ लाइसेंस आवंटन तक ही नहीं बल्कि इन आवंटनों से सरकार को हुए नफा नुकसान तक खिंचेगी। उस समय सीएजी रिपोर्ट नकारना सरकार के लिए टेढ़ी खीर होगा। भले ही अभी सुप्रीम कोर्ट ने दूर संचार मंत्री कपिल सिब्बल के बयान पर सीधे तौर संज्ञान लेने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह बयान उनके सामने रिकार्ड पर नहीं है। लेकिन मामले में चर्चा के दौरान कहा कि सीएजी के निष्कर्ष पर संदेह किया जा रहा है। सरकार को नुकसान नहीं हुआ है यह बात वे सरकार से पूछेंगे। कोर्ट की यह टिप्पणीं सरकार के भविष्य में सवालों में घिरने की ओर इशारा करती है।
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