एक के लिए चार प्रदेशों को खोना कतई सही फैसला नहीं होगा। कांग्रेस नेतृत्व के यह मन बनाने के बाद अब अलग तेलंगाना की राह फिलहाल प्रशस्त होने की उम्मीद न के बराबर है। अलबत्ता पार्टी कोर ग्रुप ने राज्य में, खास तौर से तेलंगाना में उपद्रव न बढ़ने देने के लिए अर्द्धसैनिक बल भारी तादाद में आंध्र प्रदेश भेज ही दिए हैं। अगर जरूरी समझा गया तो सेना को भी भेजने का विकल्प खुला रखा गया है। अलबत्ता, इस दौरान सभी दलों के साथ बातचीत के बाद तेलंगाना स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद के फार्मूले को ही केंद्र सरकार आगे बढ़ाएगी। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ हुई पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक में तेलंगाना और महंगाई पार्टी के एजेंडे में ऊपर थे। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मुद्रास्फीति और महंगाई काबू करने के सरकारी उपायों पर सदस्यों को जानकारी दी। अलबत्ता, ज्यादातर समय तेलंगाना पर ही चर्चा हुई। कांग्रेस को तेलंगाना की चिंता तो है, लेकिन छोटे राज्य के पक्ष में आगे बढ़ने पर इसी साल दो चुनाव वाले राज्यों में ही संकट खड़ा हो सकता है। पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड तो असम में बोडोलैंड को लेकर भी भावनाएं उफान मारने की आशंका है। इसके अलावा महाराष्ट्र से विदर्भ को अलग करने की मांग भी बहुत पुरानी है। उत्तर प्रदेश को तीन हिस्सों-पूर्वाचल, हरित प्रदेश और बुंदेलखंड में बांटने की पैरवी भी लगातार होती रही है। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व इस मुद्दे पर बहुत संभल कर आगे बढ़ रहा है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने सुरक्षा उपायों के बारे में कोर ग्रुप को जानकारी दी और प्रणब मुखर्जी, रक्षा मंत्री एके. एंटनी और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने राजनीतिक समाधान के कुछ सुझाव दिए। इसके तहत पहले अपनी पार्टी के सांसदों और नेताओं को क्षेत्रीय परिषद के लिए तैयार किया जाएगा। इसके बाद इस आंदोलन या मांग से जुड़ी पार्टियों टीआरएस और भाजपा के अलावा टीडीपी समेत जनवरी के तीसरे हफ्ते में सर्वदलीय बैठक बुलाने की योजना है। छोटे राज्य के खिलाफ बागी जगनमोहन अगले हफ्ते एक हजार लोगों के साथ दिल्ली में धरने पर आ रहे हैं, इस तथ्य को भी इंगित किया गया। इस बात पर सहमति थी कि कांग्रेस अपनी तरफ से पत्ते बिल्कुल नहीं खोलेगी। तेलंगाना विरोधी या समर्थक कांग्रेस नेताओं को भी संयम रखने के लिए कहा जाएगा। चूंकि, पार्टी आंध्र में नुकसान तय मान रही है, लिहाजा उसकी कोशिश वहां हिंसा रोक कर दूसरे राज्यों में छोटे प्रदेशों की मांग रोकना प्राथमिकता पर होगी।
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