मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को फिर हुर्रियत कांफ्रेंस को कश्मीर समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय वार्ताकारों से बातचीत करने और सच को स्वीकारने की सलाह देते हुए भाजपा को 26 जनवरी पर कश्मीर में तिरंगे की सियासत करने पर आडे़ हाथ लिया। उन्होंने कहा कि मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया कि वर्ष 1992 के बाद अब ही भाजपा को लालचौक में 26 जनवरी को झंडा लहराने का ख्याल क्यों आया। बीते 18 सालों में वह कहां थी। शीरी (बारामूला) में पुलिस नवारक्षकों के दीक्षांत समारोह के बाद पत्रकारों से उन्होंने कहा कि भाजपा का 26 जनवरी को लालचौक में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का एलान गलत है। इससे पहले 1992 में भाजपा ने लालचौक में तिरंगा फहराया था। यह सब वोटों की सियासत है। इससे कश्मीर में सुधरे हालात फिर बिगड़ सकते हैं। इसलिए भाजपा को इस मामले को प्रतिष्ठा का सवाल बनाने से परहेज करते हुए अपनी इस यात्रा से कश्मीर को बाहर ही रखना चाहिए। यहां हर साल राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। हर जिला मुख्यालय और सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और लोग भी इसमें शामिल होते हैं। इससे पूर्व यहां डाउन-टाउन के जैनाकदल में एक सामुदायिक भवन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने हुर्रियत नेताओं को कश्मीर समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय वार्ताकारों के साथ बातचीत के लिए आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिंसा या हड़ताल से कुछ हासिल नहीं होता और अब आम अवाम भी हड़ताली सियासत से तंग आ चुका है। उमर ने कहा कि हुर्रियत नेता प्रो. अब्दुल गनी बट ने जो सच उजागर किया है, वह उनके साथियों को भी स्वीकार कर लेना चाहिए। अभी ऐसे कई कड़वे सच सामने आएंगे और आम अवाम हैरान रह जाएगा। हुर्रियत को हकीकत को समझना चाहिए। कश्मीरी अवाम की बेहतरी के लिए उसे भी कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए आगे आना चाहिए। वह कश्मीर समस्या के राजनीतिक समाधान के लिए पूरे प्रयास कर रहे हैं।
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