मध्यावधि चुनाव के ख्वाब देख रही भाजपा के शीर्ष नेता जब फिर प्रधानमंत्री पद की कुर्सी की तरफ देख रहे हैं तो उसी बीच पार्टी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री पद का सर्वश्रेष्ठ दावेदार करार देकर सियासी हलचल मचा दी है। वास्तव में शौरी के इस नए धमाके से भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के अंदर ज्यादा सरगर्मी है। कांग्रेस या यूपीए के भीतर भी सभी प्रणब मुखर्जी के कद और उनकी योग्यता के कायल हैं। ऐसे में जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चौतरफा हमले झेल रहे हैं, वैसे में प्रणब के नाम की बहस तेज होने से कांग्रेस और सरकार द्वंद्व में फंस गई है। वह न तो इस बयान को काट पा रही है और न ही स्वीकार कर सकती है। कोलकाता में एक कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने प्रणब मुखर्जी को सबसे विश्वसनीय, अनुभवी और योग्य राजनीतिज्ञ बताते हुए उन्हें प्रधानमंत्री पद का सबसे उपयुक्त उम्मीदवार करार दे दिया। उन्होंने कहा, भारतीय राजनीति में प्रणब मुखर्जी जितना विश्वस्त राजनीतिज्ञ कोई नहीं है। वह मौजूदा सरकार के मुख्य आधार हैं। मगर मुझे लगता है कि वह भारत में सुशासन के भी आधार हैं। 2004 से सत्ता में रही यूपीए सरकार में प्रणब की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए शौरी ने कहा, कोई समस्या हो तो प्रणब मुखर्जी ही समाधान सुझाते हैं इसीलिए मुझे पूरा विश्वास है कि अभी हमें सबसे अच्छा प्रधानमंत्री मिलना बाकी है। शौरी के इस बयान से भाजपा में तो सबकी त्यौरियां चढ़ी हैं, लेकिन कांग्रेस भी खासी सांसत में है। भाजपा के एक बड़े नेता ने तो शौरी को अपनी पार्टी का नेता मानने से ही इंकार कर दिया। गौरतलब है कि भाजपा के पीएम इन वेटिंग रहे लालकृष्ण आडवाणी ने अभी कहा है कि अगर चुनाव हुए तो राजग को 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी। जाहिर है कि भाजपा नेताओं की जवान हो रही उमंगों पर शौरी का बयान एक प्रहार है। भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा कि कांग्रेस का कोई भी प्रधानमंत्री देश की मौजूदा समस्याओं को हल नहीं कर सकता। उसके लिए एनडीए का ही प्रधानमंत्री चाहिए। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी तो इस सवाल से ही पल्ला झाड़ गए। उन्होंने कहा, शौरी एक बड़े पत्रकार हैं, लेकिन मैंने उनका बयान नहीं देखा है। हालांकि, कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने अंदरखाने शौरी की बात का समर्थन किया। वहीं, केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने खुद को भारतीय राजनीति में एंटिक करार दिया। मुखर्जी ने कहा, वे पिछले पांच दशक से राजनीति की पिच पर जमे हुए हैं और इस लिहाज से भारतीय राजनीति में एंटिक हैं। वे जीवित वयोवृद्ध नेताओं में से एक हैं यानी राजनीतिक परिदृश्य में काफी पुराने हो गए हैं।
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