समझौता एक्सप्रेस धमाकों की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की पड़ताल आतंकवाद की सियासत पर भारत की मुहिम को करारा झटका दे सकती है। गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक एनआइए की जांच इसी ओर इशारा कर रही है कि समझौता एक्सप्रेस में हुए धमाकों को किसी पाकिस्तानी संगठन ने नहीं बल्कि देसी आतंकी गुटों ने अंजाम दिया था। इस मामले पर एनआइए की पड़ताल का ताजा खुलासा आतंकवाद के घावों को लेकर भारत की शिकायतों की बजाए पाकिस्तान की दलीलों को ही मजबूत कर रहा है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अब यह स्पष्ट हो गया है कि 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस धमाके में अभिनव भारत और उससे जुड़े दूसरे संगठनों व व्यक्तियों का हाथ था। इससे यह भी साफ हो जाता है कि इसमें पाकिस्तानी या उनके समर्थित आतंकवादी संगठनों का हाथ नहीं था। अभिनव भारत के स्वामी असीमानंद ने एनआइए की पूछताछ में इस बारे में कुछ अहम खुलासे किए हैं। मक्का मस्जिद विस्फोट के सिलसिले में नवंबर में हरिद्वार से गिरफ्तार हुआ असीमानंद इन दिनों एनआइए की हिरासत में है। अब पूछताछ में उसने समझौता धमाके में भी अपने ही लोगों का हाथ होने की बात मान ली है। फरवरी, 2007 में समझौता एक्सप्रेस में हुए धमाके में 68 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद से माना जा रहा था सिमी ने ही इस काम को अंजाम दिया है। तब सिमी के सफदर नागौरी ने पुलिस हिरासत में यहां तक बयान दिया था कि इस काम के लिए पाकिस्तान के नागरिकों की मदद भी ली गई थी। इससे एक दिन पहले गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को माना था कि भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में 2007 में हुए धमाके की जांच में एनआइए को अहम कामयाबी हाथ लगी है।
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