Thursday, January 13, 2011

उक्रांद में एकता की संभावना लगभग खत्म

तीन दशक के राजनीतिक सफर में तमाम झंझावातों से गुजर चुका उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) अब एक बार फिर विभाजन के मुहाने पर खड़ा है। काबीना मंत्री दिवाकर भट्ट के पार्टी से निष्कासन की पुष्टि होने के बाद अब उक्रांद में एका की संभावनाएं फिलहाल समाप्त हो गई हैं और दल का विभाजन तय माना जा रहा है। सोमवार को ऋषिकेश में हुई पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति व कार्यकारिणी बैठक में दल के पूर्व अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी सहित 17 जिलाध्यक्ष, 52 कार्यसमिति के सदस्यों ने दिवाकर के निष्कासन व सरकार से समर्थन वापसी संबंधी केंद्रीय अध्यक्ष के फैसले की सदन में पुष्टि की। कार्यसमिति ने तय किया कि संगठन 2012 का चुनाव त्रिवेंद्र पंवार के नेतृत्व में लड़ेगा। संगठन का दावा है कि कार्यसमिति की बैठक में 111 में 42 विशेष आमंत्रित सदस्य, 20 में से 17 जिलाध्यक्ष व 70 में 52 कार्यसमिति सदस्य उपस्थित थे, जबकि 3 जिलाध्यक्ष व 9 कार्यसमिति सदस्य अनुशासनहीनता के आरोप में निष्कासित किए जा चुके हैं। बीती 27 दिसंबर को संगठन द्वारा भाजपा सरकार से समर्थन वापसी के निर्णय के बाद उक्रांद में अचानक तेजी से घटनाक्रम बदला है। पहले दिवाकर का निलंबन, फिर निष्कासन, कुछ अन्य पदाधिकारियों का निलंबन, कुछ की बहाली, दूसरे गुट द्वारा अध्यक्ष का निष्कासन और अब कार्यकारिणी की बैठक। सबकुछ इतनी तेजी से हुआ कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला। हालांकि इस दौरान पार्टी से निष्कासित दिवाकर भट्ट भी मजबूती से अपने स्टैंड पर जमे रहे। जहां तक 3 सदस्यीय पार्टी विधायक दल का सवाल है, पलड़ा भट्ट की ओर झुका है, क्योंकि उनके समेत उक्रांद के एक अन्य विधायक ओमगोपाल रावत उनके कंधे से कंधा मिलाए खड़े हैं। इसी बूते दिवाकर ने अपने तेवर बरकरार रखते हुए 16 जनवरी को जनरल हाउस बुलाने की घोषणा की और अब भी इस पर कायम हैं। हालांकि रविवार को हरिद्वार में काशी सिंह ऐरी तथा दिवाकर भट्ट के बीच हुई मुलाकात में जिस तरह एका के प्रयासों को परवान चढ़ाने की बात कही जा रही थी, उससे लग रहा था कि संभव है, उक्रांद नेता किसी नतीजे तक पहुंचेंगे मगर आज ऐरी बिल्कुल अलग तेवरों में नजर आए। अब तक यह साफ नहीं हो पा रहा था कि ऐरी पार्टी के किस गुट के साथ हैं लेकिन उन्होंने अपना रुख साफ करते हुए दिवाकर भट्ट से पूरी तरह किनारा कर लिया। बैठक के संबंध में दिवाकर भट्ट का कहना है कि जिसे कार्यकारिणी का फैसला बताया जा रहा है, वहां बहुत सारे लोग नहीं थे। उन्होंने कहा कि यदि उक्रांद को एकजुट करना है तो सभी को 16 जनवरी के जनरल हाउस में आना चाहिए। अब भी दल के समर्पित लोग बैठें, चिंतन करें। निष्कासित लोगों को भी कार्यकारिणी में अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए। इस तरह के एकपक्षीय फैसले किसी की हित में नहीं होते हैं। दूसरी ओर अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार का कहना है कि समर्थन वापसी के फैसले की पुष्टि होने से पूरा दल उत्साहित है। कुछ लोगों को इससे व्यक्तिगत हानि हो सकती है, लेकिन कोई भी दल किसी के व्यक्तिगत लाभ के लिए काम नहीं करता। भाजपा के प्रति दल में नाराजगी है। उक्रांद को तोड़ने के भाजपाई प्रयास काफी समय से चल रहे थे। पार्टी के पूर्व प्रवक्ता सतीश सेमवाल के अनुसार काशी सिंह ऐरी की ऋषिकेश बैठक में उपस्थिति को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन वह वहां समझाने गए थे। ऐरी को दल का नेतृत्व संभालना चाहिए, तभी उक्रांद एकजुट रह पाएगा।

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