Wednesday, February 2, 2011

नेहरू की गलत नीतियों से कमजोर हुआ राष्ट्रवाद


भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने यहां कहा कि देश पं. जवाहर लाल नेहरू की गलत नीतियों का दंश झेल रहा है। नेहरू की नीतियों के कारण राष्ट्रवाद कमजोर हुआ है। वहीं केंद्र की यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह सरकार से अपना नियंत्रण खोते जा रहे हैं। महंगाई हो या भ्रष्टाचार सभी मोर्चे पर केंद्र सरकार बुरी तरह विफल साबित हो रही है। सरकार में भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति में शिरकत करने आए जेटली ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा, नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से सुषमा स्वराज ने पीजी थामस की मुख्य सतर्कता आयुक्त पद पर नियुक्ति का विरोध किया था, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं माने। अब सरकार को जवाब देते नहीं बन रहा। यूपीए की सरकार में हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है। कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए भ्रष्टाचार ने खेलों में एक नकारात्मक माहौल पैदा कर दिया है। 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, अपनी कुर्सी बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने अपनी नाक के नीचे सब कुछ होने दिया। सरकार पर अब प्रधानमंत्री का नियंत्रण नहीं रहा है। कीमतें आसमान छू रहीं हैं, निवेश को लेकर भी देश में चिंता का माहौल है। इससे पूर्व कार्यसमिति की बैठक में जेटली ने कहा, राष्ट्रवाद के संदर्भ में देश में विभ्रम की सी स्थिति है। देश पं.जवाहर लाल नेहरू की गलत नीतियों का दंश झेल रहा है। नेहरू की तीन प्रमुख गलतियों के कारण देश में राष्ट्रवाद कमजोर हुआ है। पहला, अनुच्छेद 370, दूसरा कश्मीर का मामला राष्ट्रसंघ में ले जाना व तीसरा विभाजन के बाद आए शरणार्थियों को कश्मीर में बसने की अनुमति न देना। अनुच्छेद 370 कश्मीर में साठ वर्ष से लागू है, इसका परिणाम सारा देश देख रहा है, बावजूद इसके मौन रहना अपराध है। जेटली ने लाल चौके पर तिरंगा फहराने को निकाली गई राष्ट्रीय एकता यात्रा का जिक्र करते हुए कि उमर देश के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने देश के अंदर तिरंगा फहराने से लोगों को रोका। कहा, जहां एक ओर युवकों को तिरंगा फहराने से रोकने के लिए पुलिस का व्यापक इंतजाम था, तो वहीं पाकिस्तानी व काला झंडा लिए लोग निर्बाध सड़क पर मार्च कर रहे थे। जेटली ने छोटे राज्यों का समर्थन करते हुए कहा कि हरियाणा से लेकर उत्तरांचल तक यह अनुभव सुखद रहा है, लेकिन झारखंड के संदर्भ में अभी तक ऐसा नहीं कहा जा सकता। राजनीतिक अस्थिरता ने इसे छोटे राज्य के लाभ से वंचित कर रखा है।



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