Monday, February 28, 2011

बसपा को रोकेगी बसपा कांशीराम


 आगामी विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मायावती की बसपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके खिलाफ बसपा (कांशीराम) सक्रिय होने जा रही है। बसपा संस्थापक स्वर्गीय कांशीराम के भाई दलबारा सिंह व भतीजी सुरविंद्र कौर 15 मार्च को सहारनपुर के गंगोह क्षेत्र में दलितों के सम्मेलन में शिरकत कर इसका श्रीगणेश करेंगे। इसे लेकर अभी से पश्चिमी यूपी के बसपा नेताओं में हलचल पैदा हो गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा को चुनौती देने के लिए इस बार बसपा संस्थापक स्व. कांशीराम के भाई दलबारा सिंह व भतीजी कु. सुरविंद्र कौर ने कमान संभाली है। कांशीराम का परिवार बसपा सुप्रीमो मायावती पर कांशीराम के बताए मार्गो का अनुसरण न करने का आरोप लगाता रहा है। यही नहीं कांशीराम के छोटे भाई दलबारा सिंह ने बहुजन संघर्ष पार्टी (कांशीराम) का गठन किया है। अभी तक यह पार्टी हरियाणा व पंजाब में सक्रिय रही है। बसपा (कांशीराम) ने 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को किनारे लगाने की तैयारी कर ली है। पार्टी पश्चिमी यूपी में अपने उम्मीदवार खड़े करने की योजना बना रही है। इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। पश्चिमी यूपी में बसपा को मात देने के लिए उसके मूल वोट बैंक दलित पर ही चोट करने की तैयारी की जा रही है। पार्टी के कार्यक्रमों की शुरुआत कांशीराम के 77वें जन्म दिवस 15 मार्च को गंगोह में आयोजित दलित महासम्मेलन के जरिए की जाएगी। मान्यवर कांशीराम विचार चेतना समिति के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में भारी संख्या में दलितों को बुलाया गया है। इसमें कांशीराम के भाई दलबारा सिंह व उनकी भतीजी सुरविंद्र कौर मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंच रही हैं। महासम्मेलन की अगुआई वे दलित कर रहे हैं, जो बसपा के घोर विरोधी रहे हैं। महासम्मेलन के जरिये बसपा कांशीराम पार्टी के नेताओं का उद्देश्य अपने ताकत को टोह लेने का है। इसके साथ ही वे बसपा के खिलाफ अपने प्रत्याशी मैदान में उतरने की घोषणा करेंगे। महासम्मेलन में कभी मुख्यमंत्री के खास और आज घोर विरोधी पूर्व सांसद ईसम सिंह भी मौजूद रहेंगे। भले ही गंगोह में होने वाले कार्यक्रम को महासम्मेलन का नाम दिया गया हो, पर इसकी तैयारी महारैली की मानिंद हो रही है। ऐसे में यहां के बसपा नेताओं में इस बात को लेकर बेचैनी बढ़ गई है। वह मान रहे हैं कि भले ही बसपा (कांशीराम) सीट न जीत सके, पर बसपा के दलित वोट में सेंधमारी कर उसे नुकसान पहुंचा सकती है। बसपा हाईकमान ने इस कार्यक्रम की टोह लेने का जिम्मा बसपा के एक विधायक को सौंपा है|

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