Wednesday, February 9, 2011

उत्तर प्रदेश में कोई नया कर नहीं


मंगलवार को राज्य के वित्त मंत्री लालजी वर्मा ने विधानसभा 169416 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। यह मायावती सरकार के वर्तमान कार्यकाल का अंतिम बजट है। सियासी भाषा में कहे तो चुनावी बजट। यही वजह है कि इसमें न तो कोई नया कर थोपा गया है और न ही कोई नई योजना की बात कही गई है। बावजूद इसके सरकार ने अपने वोट बैंक को संदेश दे दिया कि न हमारी विचारधारा में फर्क आया है और न ही हमारी प्रतिबद्धता बदली है। सर्वसमाज के हितों की तरफ ध्यान दिया, लेकिन प्राथमिकता दलित, शोषित एवं वंचित वर्ग को ही दी। चूंकि यह चुनावी बजट है। जाहिर है विपक्ष को रास नहीं आना था वहीं हुआ भी। बजट को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर रहा उसने इसे जनता को झूठा सब्जबाग दिखाने की कवायद करार दिया, लेकिन सत्ता पक्ष ने सदन में तालियां बजाकर इसका स्वागत किया और इसे आम आदमी का बजट बताया। बजट की सबसे खास बात यह रही कि इस बार सरकार ने पार्को, स्मारकों के अपने प्रेम का खुलकर इजहार किया। इनकी सुरक्षा एवं रखरखाव के लिए 122 करोड़ रुपये खर्च करने का बजट में प्रावधान किया है। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि कांशीराम ग्रीन पार्क, रमाबाई पार्क का अभी और विस्तार होगा और इसके लिए बजट में अलग से प्रावधान किया गया है। बजट में इस बार स्पेशल कम्पोनेंट प्लान में लगभग सात प्रतिशत (6.8) की बढ़ोत्तरी की है। पिछले साल के बजट में इस मद का बजट जहां 9000 करोड़ के आसपास था, वहीं इस बार 9722 करोड़ रुपये कर दिया। महंगाई का मुद्दा चुनाव में टर्निग प्वाइंट बनता है। बजट भाषण में न केवल इसे छुआ गया, बल्कि जनता की नाराजगी को केंद्र की तरफ मोड़ने की कोशिश की गई। इशारा साफ था कि केंद्र की गलत नीतियों एवं किसान विरोधी मानसिकता के कारण महंगाई बढ़ रही है। इसी साल स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं और उसके बाद विधानसभा चुनाव। शायद यही वजह है कि बजट में शहरों पर खास मेहरबानी दिखाई गई। शहरी अवस्थापना सुविधाओं के लिए पांच हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। हालंाकि विपक्ष इसे अपर्याप्त बता रहा हैं। नए बजट में बुनकरों के लिए स्वास्थ बीमा योजना शुरू करने बात कर एक बड़े तबके को खुश करने की कोशिश की गई है। पावरलूम के आधुनिकीकरण को भी योजना शुरू की जाएगी और इसके लिए लगभग सवा करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। अल्पसंख्यकों का ध्यान भी अपनी तरफ खींचने की कोशिश हुई है। मदरसों में आधुनिक शिक्षा देने के लिए इस साल 50 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए 294 करोड़ और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए छह करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है। सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं का बजट भी पिछले साल की तुलना में 15 प्रतिशत वृद्धि कर इसे 10084 करोड़ रुपये कर दिया गया है। आंतरिक सुरक्षा पर हाथ तंग यूपी के बजट में आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर सरकार का हाथ तंग दिखा। सूबे में नक्सली और आतंकी घटनाओं का डर बना है, लेकिन उससे निबटने को कोई वृहद प्लान का प्रस्ताव बजट में नहीं किया है। कमांडो बल की तैनाती, नक्सल प्रभावित सीमावर्ती राज्यों से समन्वय से एक कार्य योजना तैयार करने का अपना पुराना वादा दोहराया भर गया है। हां, भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा के लिए सड़कों के निर्माण के लिए 132 करोड़ का प्रावधान किया गया है। अग्निशमन, पुलिस आधुनिकीकरण जैसी योजनाओं के बजट में भी मामूली वृद्धि की गयी है।


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