Tuesday, February 15, 2011

योजना आकार 24 हजार करोड़ से कम नहीं


बिहार के योजना आकार को हर हाल में 24 हजार करोड़ रखने पर अड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने योजना आयोग से आग्रह किया है कि बिहार के विकास को गति देने के लिए इस आकार को मंजूर किया जाए। इस बाबत नई दिल्ली में मंगलवार को योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया के साथ इन दोनों नेताओं की बातचीत होगी। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ बिहार सरकार के 15 विभागों के प्रधान सचिवों की एक टीम भी होगी, जो विभागवार वार्षिक योजना प्रस्तावों को अंतिम रूप देगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग है कि योजना आयोग योजनाओं के चयन और स्वीकृति में राज्य को और स्वतंत्रता दें। उन्होंने इस बाबत कहा कि बिहार एक विकासशील राज्य है। यहां की स्थानीय जरूरतों के मुताबिक योजनाओं के स्वरूप का निर्धारण जरूरी है। उन्होंने कहा कि बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड में आयोग बिहार को विशेष योजना से 3145 करोड़ रुपए दे। साथ ही बिहार में बीपीएल के चयन के लिए भारत सरकार एक स्वतंत्र आयोग का गठन करे।

बिहार के विकास मॉडल की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए सामान खरीदकर देने के बदले लाभार्थियों को सार्वजनिक सभा में नगद राशि देनी चाहिए। इसके पूर्व पटना में सोमवार को योजना आयोग के सदस्य नरेन्द्र जाधव से बिहार के योजना आकार को लेकर हुई विशेष वार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा और आधारभूत संरचनाओं के विकास पर भी यहां काम हो रहा है। ऐसे में योजना आकार में वृद्धि होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि योजना आयोग राज्य सरकार को योजनाओं के चयन और क्रियान्वयन में अधिक स्वतंत्रता दे ताकि क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर योजनाओं का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन हो सके। योजनओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचाने और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री ने कई सलाह भी दिए। खा सुरक्षा के लिए लाभार्थियों को खाान्न के बदले नगद भुगतान किया जाए। साइकिल योजना को उदाहरण के तौर रखते हुए उन्होंने कहा कि साइकिल खरीदकर देने के बदले नगद राशि ही यहां दी जा रही है। नगद राशि देने के कारण यह योजना न केवल भ्रष्टाचार से मुक्त है बल्कि लाभार्थियों को शत-प्रतिशत लाभ भी मिल रहा है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ ही सामाजिक क्षेत्रों में राज्य सरकार की ओर चलाई जा रही अनेक योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री पोशाक योजना, महादलितों की दी जाने वाली तीन डिसमिल जमीन की योजना ऐसी हैं जिनका अनुकरण आज कई दूसरे राज्य कर रहे हैं। बिहार हमेशा प्राकृतिक आपदाओं से भी त्रस्त रहता है। ऐसे में यहां आधारभूत संरचनाओं के विकास की जरूरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इनके आधार पर ही भविष्य की विकास योजनाएं निर्भर करेंगी। उन्होंने भारत सरकार से बीपीएल परिवारों के चयन के लिए एक स्वतंत्र आयोग गठित करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा केंद्र सरकार की ओर से मात्र 66 लाख बीपीएल परिवारों के लिए ही राशन-किरासन दिए जाते हैं जबकि यहां बीपीएल परिवारों की अनुमानित संख्या 1.40 करोड़ के आसपास है। राज्य सरकार अपने बूते बीपीएल परिवारों को खा सुरक्षा देने के लिए वचनबद्ध है। मगर उनकी सरकार की राय है कि इसके लिए लाभार्थियों को सार्वजनिक सभा कर नगद राशि का भुगतान किया जाए। भ्रष्टाचार को खत्म करना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए लम्बी लड़ाई की जरूरत है। विकास योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़े, इस पर भी सरकार की पैनी नजर है।

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