Wednesday, February 23, 2011

अब जेपीसी में घुसने के लिए खींचतान


सरकार जेपीसी बनाने पर राजी हो गई है तो अब उसके स्वरूप और आकार को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खींचतान शुरू हो गई है। 2जी स्पेक्ट्रम पर जांच के लिए संयुक्त संसदीय दल को प्रधानमंत्री की हरी झंडी के बाद अब विपक्षी दलों में जेपीसी में शामिल होने के लिए खींचतान मच गई है। सरकार चेयरमैन समेत 21 सदस्यीय जेपीसी गठित करने के मूड में है, वहीं विपक्ष यह संख्या 31 कराने के लिए दबाव बना रहा है। विपक्ष की इस मांग में यूपीए के सहयोगी दल एनसीपी ने भी सुर मिला दिया है कि सभी दलों का जेपीसी में प्रतिनिधित्व हो। हालांकि, 31 सदस्य होने पर भी सभी दलों का प्रतिनिधित्व नहीं हो सकता क्योंकि, राजनीतिक दलों की संख्या ही 37 है। कांग्रेस के उच्चपदस्थ सूत्र फिलहाल 21 सदस्यीय समिति गठित करने की तैयारी कर रहे हैं। इसमें 14 सदस्य लोकसभा और सात सदस्य राज्यसभा से होंगे। इस लिहाज से सभी दल तो दूर वामपंथियों, सपा, बसपा, तृणमूल, एनसीपी, एआइडीएमके जैसे दलों के लिए भी अनुपात के हिसाब से जगह मिलना मुश्किल होगा। सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए वाम दलों ने तो एक ब्लाक बनाया है और सरकार ने दोनों सदनों से उनका एक-एक सदस्य लाने के संकेत दिए हैं। मुख्य विपक्षी दल भाजपा से चार सदस्यों के इसमें शामिल होने की उम्मीद है। इस पूरी स्थिति से सबसे ज्यादा परेशान तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक है। नौ सीटों वाली अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई किसी भी तरह जेपीसी में शामिल होने के लिए तीसरे मोर्चे का ब्लाक बनाने से लेकर भाजपा से मदद मांगने तक सभी उपक्रम कर रहे हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री से सभी दलों के प्रतिनिधित्व की मांग रखी है, जिसका यूपीए के सहयोगी एनसीपी ने भी समर्थन किया है। इसीलिए, सरकार पर 31 सदस्यीय जेपीसी का दबाव बनाकर विपक्ष मुख्य दलों के प्रतिनिधित्व की जुगत भिड़ा रहा है। उधर, सरकार इस मसले पर विपक्ष के बीच की खींचतान को बढ़ाकर दूर से मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा। बुधवार शाम तक इसकी तस्वीर काफी हद तक स्पष्ट होने की उम्मीद है।


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