Thursday, February 3, 2011

राज्य चुनावों में मनरेगा का नुस्खा अपनाएगी सरकार


पिछले लोकसभा चुनाव में कामयाब रहे मनरेगा के नुस्खे को सरकार ने गांठ बांध लिया है। यही वजह है कि अब वह राज्य विधानसभा चुनावों में भी इसका फायदा उठाने की तैयारी में अभी से जुट गई है। मनरेगा में मजदूरी बढ़ाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है। अब इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए खुद प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनावी राज्यों के ज्यादा से ज्यादा जमीनी प्रतिनिधियों से रूबरू होकर इस स्कीम के बारे में आगे की नब्ज टटोलेंगे। कांग्रेस इस बार मनरेगा की मजदूरी में 30 फीसदी तक की वृद्धि को मुद्दा बनाएगी। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें राज्य के न्यूनतम वेतन से इसकी तुलना की जाएगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित मनरेगा मेला में देश के सभी राज्यों से लगभग डेढ़ हजार पंचायत प्रतिनिधियों को बुलाया गया है। इनमें ग्राम सभा, ब्लॉक समिति और जिला परिषद के उन प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है, जिन्होंने मनरेगा के क्रियान्वयन में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। इनमें भी उन राज्यों को ज्यादा तरजीह दी गई है जहां चालू वर्ष में ही विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां कांग्रेस समेत संप्रग के अन्य घटक दलों की राजनीतिक साख दांव पर लगी हुई है। वाम शासित पश्चिम बंगाल में कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतर रही है। जबकि तमिलनाडु की सत्ता पर काबिज संप्रग के घटक डीएमके के साथ कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। मनरेगा मेला में तमिलनाडु के तिरुअन्नामलाई जिले को उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। तथ्य यह है कि जिन सात राज्यों की ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत करने के लिए चुना गया है, उनमें केरल और पश्चिम बंगाल की पंचायतें शामिल हैं। पिछले पांच सालों में मनरेगा की मजदूरी में दोगुना से अधिक वृद्धि हुई है। हाल ही में मनरेगा मजदूरी में 17 से 30 फीसदी तक की वृद्धि की गई है। तमिलनाडु और पुडुचेरी में मजदूरी 119 रुपये, असम और पश्चिम बंगाल में 130 रुपये और केरल में 150 रुपये हो गई है। इस बात का फायदा संप्रग के घटक दल अपने-अपने चुनावी राज्यों में उठाने की तैयारी में हैं।



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