Tuesday, February 15, 2011

बात-बात पर वॉकआउट


विधानसभा में सोमवार का दिन वॉक आउट में ही बीता। प्रश्नप्रहर से शुरू हुआ वॉकआउट का सिलसिला बजट पर चर्चा शुरू होने तक चलता रहा। इस बीच निकाय चुनाव संशोधन प्रक्रिया को लेकर लाए गए विधेयक पर भाजपा के सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वेल में आए और धरना देकर बैठ गए। प्रश्नकाल में सपा के जोखू लाल यादव, विशंभर निषाद सहित अन्य सदस्यों द्वारा जनता को बिजली संकट से निजात दिलाने के बारे में किए गए सवाल पर सरकार से मिले जवाब पर सपा सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर गए। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने बिजली केनाम पर अपने कार्यकाल पर केवल भाषणबाजी ही की है। यदि पूर्ववर्ती सरकारों ने इस मुद्दे पर काम किया होता तो शायद आज जनता को इस समस्या का सामना न करना पड़ता। प्रश्नप्रहर में रालोद के सदस्यों ने प्रदेश में डेगू जैसे जानलेवा बुखार पर स्वास्थ्यमंत्री के आए जवाब पर संतुष्ट न होने पर सदन से वॉकआउट किया। किसानों की भूमि अधिगृहीत किए जाने व मुआवजा मांगने पर उन पर लाठीचार्ज की घटना को लेकर कांग्रेस व भाजपा ने सरकार को घेरने में एकजुटता दिखाई। इस मुद्दे पर दोनों दलों ने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया। संसदीय कार्यमंत्री लालजी वर्मा से जो जवाब आया उससे अंसतुष्ट दोनों दलों के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। निकाय चुनाव प्रक्रिया में संशोधन करने के संबंध में लाए गए विधेयक के विरोध में भी भाजपा व कांग्रेस ने एका दिखाई। भाजपा के सदस्य तो इस मुद्दे पर सरकार के निर्णय के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वेल में आए और धरना देकर बैठ गए। बाद में भाजपा व कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बारी-बारी से वॉकआउट किया। भाजपा के हुकुम सिंह, सतीश महाना, श्यामदेव राय चौधरी, सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि जिस बसपा ने पिछले चुनाव में निकाय चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया था वही बसपा सरकार में आने के बाद शहरी क्षेत्रों में कब्जा करने की गरज से निकाय चुनाव की प्रक्रिया में संशोधन करने जा रही है। भाजपा सदस्यों ने कहा कि इस विधेयक को लाने से पहले राष्ट्रपति या राज्यपाल से अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा गया। वहीं विधान परिषद में सपा ने सरकारी चीनी मिलों को औने-पौने दामों में पूंजीपति चढ्ढा समूह को बेचे जाने का मामला उठाकर सरकार में घेरा। सरकार ने सपा के आरोप को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि सरकार पर वित्तीय भार साबित हो रही चीनी मिलों को कोर्ट द्वारा अनुमोदित स्विस चैलेंज मैथेड से बेचा गया है। इसमें कोई भी अनियमितता नहीं हुई है। सरकार के इस जवाब से असंतुष्ट समाजवादी पार्टी ने सदन से वॉकआउट किया। शून्यकाल में समाजवादी पार्टी ने सरकार द्वारा बेची गई 10 चीनी मिलों में करोड़ों रुपए का घोटाला बताया। सूचना की ग्राह्यता पर बोलते हुए सपा सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार ने 11 चालू चीनी मिलों को बेचकर 468.52 करोड़ रुपए के राजस्व की क्षति पहुंचाई है। जबकि इन चीनी मिलों को बेचने के खिलाफ कोर्ट में मामले लंबित हैं।

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