राष्ट्रपति के सम्बोधन में नहीं था ‘अलग तेलंगाना’ राज्य बनाए जाने का उल्लेख
अलग तेलंगाना राज्य का मुद्दा सोमवार को संसद के अन्दर से लेकर बाहर तक गूंजा। राष्ट्रपति के अभिभाषण में इस मुद्दे का उल्लेख न होने से नाराज कांग्रेस के सांसदों ने पहले तो अभिभाषण के दौरान ही तेलंगाना के गठन को लेकर नारेबाजी की तो बाद में संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना दिया। नारेबाजी उस समय हुई जब उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल के अभिभाषण का अंग्रेजी रूपान्तरण पढ़ रहे थे। कांग्रेसी सांसदों के इस व्यवहार से कांग्रेस नेतृत्व के साथ ही प्रधानमंत्री भी भौंचक्के रह गए। राष्ट्रपति आज जब संसद के संयुक्त सत्र को हिन्दी में सम्बोधित कर रही थीं तो केन्द्रीय कक्ष में कुछ कांग्रेसी सांसद हाथ में बैनर लिए चुपचाप बैठे थे। सोनिया गांधी जिस पंक्ति में बैठी थीं, ठीक उसके पीछे छठी-सातवीं पंक्ति में बैठे ये सांसद भी राष्ट्रपति का अभिभाषण सुन रहे थे। अभिभाषण के बाद उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने जैसे ही उनके अभिभाषण का अंग्रेजी पाठ शुरू किया, ये सांसद ‘जय तेलंगाना’ के नारे लगाने लगे। उन्हें नारा लगाते देख केन्द्रीय कक्ष में बैठे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी समेत सभी लोग हैरत में पड़ गए। कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला पीछे की तरफ दौड़े तथा उनको चुप कराने लगे, पर उन्होंने एक न सुनी। नारेवाजी कर रहे सांसदों के हाथ में सफेद बैनर था जिस पर सोनिया गांधी की तस्वीर थी।
‘वी वांट तेलंगाना, हमें तेलंगाना चाहिए’ के नारे : अभिभाषण खत्म होने के बाद जब राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और लोकसभा अध्यक्ष वापस लौटने लगे तो ये कांग्रेसी सांसद दोबारा अपनी सीट से उठे और हाथों में बैनर लिए ‘वी वांट तेलंगाना, हमें तेलंगाना चाहिए’ के नारे लगाते रहे। राष्ट्रपति जब उनके एकदम करीब पहुंचीं, तब भी वे नारेबाजी करते रहे। इसके बाद ये सांसद केन्द्रीय कक्ष से बाहर निकल कर संसद भवन परिसर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास आ गए और वहां नारेवाजी की, फिर वहीं बैठ गए।
अभिभाषण में तेलंगाना का उल्लेख होना चाहिए था : आंध्र प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य केशव राव की अगुवाई में तेलंगाना क्षेत्र से पार्टी के 10 सांसद संसद भवन के बाहर भी बैनर लहरा रहे थे जिनमें ‘तेलंगाना की जनता के 55 साल के सपने को पूरा करो’ और ‘नौ दिसम्बर 2009 को किया वादा पूरा करो’ जैसी मांगें थीं। राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान अलग तेलंगाना राज्य के समर्थन में कांग्रेसी सदस्यों द्वारा बैनर दिखाए जाने को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि अभिभाषण में तेलंगाना का उल्लेख किया जाना चाहिए था।
कांग्रेस के 2004 के घोषणापत्र में था तेलंगाना निर्माण का वादा : केशव राव ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस ने 2004 में अपने घोषणापत्र में तेलंगाना के निर्माण का वादा किया था। पार्टी के अध्यक्षीय भाषण में भी इसका जिक्र आया था और नौ दिसम्बर 2009 को गृहमंत्री ने अलग तेलंगाना निर्माण की प्रक्रि या शुरू करने की घोषणा करके एक तरह से अलग राज्य के निर्माण की घोषणा कर दी थी।
अब तक 243 लोग कर चुके हैं आत्मदाह : राष्ट्रपति के अभिभाषण के मौके पर इस तरह से मांग उठाना क्या मर्यादा का उल्लंघन नहीं है, यह पूछे जाने पर राव ने कहा कि मैं नहीं समझता कि हमने किसी तरह से मर्यादा का उल्लंघन किया है। न ही हमने अपने पार्टी के रुख पर विरोध जताया है। हम चाहते थे कि जब इस बारे में मतभेदों पर अध्ययन करने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट आ चुकी है तो राष्ट्रपति के अभिभाषण में इसका जिक्र आना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अलग राज्य की मांग पूरी नहीं होने पर अब तक 243 लोग आत्मदाह कर चुके हैं।
कांग्रेस में हमारी पूरी निष्ठा, सात साल कर चुके हैं इंतजार : राव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के प्रति हमारी पूरी निष्ठा है और हमें पता है कि सोनिया गांधी जो फैसला करती हैं, वही होता है। उन्होंने कहा कि अलग तेलंगाना का निर्माण जल्द होना चाहिए अन्यथा वहां स्थिति और अधिक बिगड़ जाएगी। हमने सात साल तक इंतजार किया है, अब केंद्र सरकार को जल्दी फैसला करना चाहिए।
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