मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बिहार विधान सभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का सरकार की ओर से जवाब देते हुए विपक्ष की बोलती बंद कर दी। उन्होंने विपक्ष पर जातिवादी राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां बांटने और जोड़ने वालों के बीच द्वंद है। बिहार आज रोल मॉडल के रूप में पूरे देश में उभरा है। यहां की योजनाओं और विकास की चर्चा पूरे देश में हो रही है। उन्होंने विपक्ष सहित केन्द्र की यूपीए सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि बिहार एक नया इतिहास लिख रहा है। ऊंची जातियों के आर्थिक, सामाजिक अध्ययन के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच के सेवानिवृत्त जज जस्टिस डी के त्रिवेदी की अध्यक्षता में राज्य आयोग के गठन की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि देर-सबेर पूरे देश में इस तरह की पहल होगी। सबको लेकर ही समाज निर्माण और विकास की बातें हो सकती है। अपराध, त्वरित न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क आदि की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इन मौलिक संरचनाओं के विकास के माध्यम से बिहार में जो बदलाव आया है, अब उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। आम बिहारियों में सुरक्षा और गौरव का अहसास हुआ है। विकास का मतलब केवल चन्द फैक्ट्रियों का लग जाना मात्र नहीं है, बल्कि असली विकास तो मानव विकास से है। टीकाकरण में बिहार राष्ट्रीय औसत से आगे निकल चुका है। भ्रष्टाचार को समाज का कोढ़ बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने तो अंजाम की परवाह किए बिना जंग शुरू कर दी है।
अपराध के बाबत प्रतिपक्ष के नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी के तमाम आरोपों को नकारते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि त्वरित और नियमित सुनवाइयों के माध्यम से वर्ष 2006 से लेकर जनवरी 2011 तक 57,341 मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। यह इस अवधि में देश के किसी भी राज्य में सुनाई गई सजा में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि माहौल बदला है। लोग गवाही दे रहे हैं। कोर्ट में सुनवाई हो रही है। पहले लोग डरे-सहमे रहते थे, अब लोगों के मन से डर निकल गया है। महिलाओं को सुकून मिला है। पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में इसी का नतीजा था कि महिलाएं बड़ी तादात में घर से निकलीं और वोट दी। इसी प्रकार स्वास्थ्य सेवा में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। साल 2006 के शुरू में जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर महीने में औसतन 39 लोग इलाज के लिए जाते थे वहीं अब वहां प्रति माह 5 हजार से ज्यादा मरीज जाते हैं। टीकारण के माध्यम से स्वास्थ्य प्रतिरक्षण का अभियान चलाया गया है। टीकाकरण का राष्ट्रीय औसत जहां 61 प्रतिशत है वहीं टीकाकरण में बिहार का औसत 66.6 प्रतिशत हो गया है। सरकार का लक्ष्य इस औसत को देश के सबसे आगे रहने वाले राज्यांे से भी अधिक करना है।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष को निशाना बनाते हुए कहा कि जब 2005 में पहली बार उन्होंने सरकार गठित की थी तो सूबे 12.5 प्रतिशत अल्पसंख्यक, दलित, महादलित और आदिवासी के बच्चे स्कूलों से बाहर थे। पांच साल बाद यह संख्या घटकर 3.5 प्रतिशत रह गयी है। सरकार अब शिक्षा गुणवत्ता पर ध्यान दे रही है। जो बच्चे स्कूल जाएं वे बीच में पढ़ाई नहीं छोड़ें, बल्कि अपनी पढ़ाई पूरी करके ही स्कूल से बाहर आएं। मुख्यमंत्री साइकिल योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब तक 4 लाख 90 हजार लड़कियों को साइकिल दी जा चुकी है। अब लड़कियां साइकिल चलाती हुई स्कूल जाती है। यह प्रगति और विकास की असली निशानी है। बिहार के निजी स्कूलों में 5.2 प्रतिशत बच्चे पढ़ते हैं, वहीं यहां के सरकारी स्कूलों में 79.9 प्रतिशत बच्चे पढ़ते हैं। सड़क के मामले में सरकार की सोच है कि सूबे के किसी दूरस्थ इलाके से भी कोई व्यक्ति छह घंटे के अंदर पटना जा जाए।
इस दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि रही है। जाति विशेष के अफसरों की तैनाती के विपक्ष के आरोप पर बिफरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष आज भी जातिवादी राजनीति कर रहा है, मगर बिहार की जनता इससे आगे निकल चुकी है।
अपराध के बाबत प्रतिपक्ष के नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी के तमाम आरोपों को नकारते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि त्वरित और नियमित सुनवाइयों के माध्यम से वर्ष 2006 से लेकर जनवरी 2011 तक 57,341 मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। यह इस अवधि में देश के किसी भी राज्य में सुनाई गई सजा में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि माहौल बदला है। लोग गवाही दे रहे हैं। कोर्ट में सुनवाई हो रही है। पहले लोग डरे-सहमे रहते थे, अब लोगों के मन से डर निकल गया है। महिलाओं को सुकून मिला है। पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में इसी का नतीजा था कि महिलाएं बड़ी तादात में घर से निकलीं और वोट दी। इसी प्रकार स्वास्थ्य सेवा में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। साल 2006 के शुरू में जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर महीने में औसतन 39 लोग इलाज के लिए जाते थे वहीं अब वहां प्रति माह 5 हजार से ज्यादा मरीज जाते हैं। टीकारण के माध्यम से स्वास्थ्य प्रतिरक्षण का अभियान चलाया गया है। टीकाकरण का राष्ट्रीय औसत जहां 61 प्रतिशत है वहीं टीकाकरण में बिहार का औसत 66.6 प्रतिशत हो गया है। सरकार का लक्ष्य इस औसत को देश के सबसे आगे रहने वाले राज्यांे से भी अधिक करना है।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष को निशाना बनाते हुए कहा कि जब 2005 में पहली बार उन्होंने सरकार गठित की थी तो सूबे 12.5 प्रतिशत अल्पसंख्यक, दलित, महादलित और आदिवासी के बच्चे स्कूलों से बाहर थे। पांच साल बाद यह संख्या घटकर 3.5 प्रतिशत रह गयी है। सरकार अब शिक्षा गुणवत्ता पर ध्यान दे रही है। जो बच्चे स्कूल जाएं वे बीच में पढ़ाई नहीं छोड़ें, बल्कि अपनी पढ़ाई पूरी करके ही स्कूल से बाहर आएं। मुख्यमंत्री साइकिल योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब तक 4 लाख 90 हजार लड़कियों को साइकिल दी जा चुकी है। अब लड़कियां साइकिल चलाती हुई स्कूल जाती है। यह प्रगति और विकास की असली निशानी है। बिहार के निजी स्कूलों में 5.2 प्रतिशत बच्चे पढ़ते हैं, वहीं यहां के सरकारी स्कूलों में 79.9 प्रतिशत बच्चे पढ़ते हैं। सड़क के मामले में सरकार की सोच है कि सूबे के किसी दूरस्थ इलाके से भी कोई व्यक्ति छह घंटे के अंदर पटना जा जाए।
इस दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि रही है। जाति विशेष के अफसरों की तैनाती के विपक्ष के आरोप पर बिफरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष आज भी जातिवादी राजनीति कर रहा है, मगर बिहार की जनता इससे आगे निकल चुकी है।
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