आदिवासियों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अब भाजपा सरकारों का सहारा चाहिए। उसने साफ संकेत दे दिए हैं कि वह भाजपा के लिए आदिवासियों का वोट बैंक तो तैयार करेगा, लेकिन उसके लिए भाजपा की राज्य सरकारों को विकास कार्यो के जरिए आगे आना पड़ेगा। वरना आदिवासी क्षेत्रों में माओवादियों की चुनौतियों का सामना करना तथा कांग्रेस की जड़ों को उखाड़ना कठिन होगा। मध्य प्रदेश के मंडला में नर्मदा महाकुंभ में लाखों की संख्या में जुटे आदिवासियों को संघ ने जहां इसाई मिशनरियों से सावधान रहने को कहां, वहीं उनके विकास के लिए राज्य सरकार से आगे आने को कहा। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उनको अब ज्यादा बेहतर ढंग से काम करना होगा। अभी तक संघ वनवासी कल्याण परिषद, विश्व हिंदू परिषद जैसे अपने संगठनों के जरिए आदिवासियों के बीच सक्रिय रहा है, लेकिन चर्च की बढ़ती ताकत व माओवादियों की सक्रियता से वह पिछड़ रहा है। इसीलिए संघ ने रणनीति बदली है। अब उसके संगठन तो अपना काम करेंगे ही, लेकिन मुख्य भूमिका में राज्य सरकारें रहेंगी। सरकारों के तेजी से होने व दिखने वाले विकास कार्य ही आदिवासियों को लुभाने में सहायक हो सकते है। इससे माओवादियों के प्रोपेगैंडा से भी निपट सकेंगे। संघ हिंदू समाज के भीतर भेदभाव को कम करने पर भी जोर देगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दो टूक कहा है कि जो हिंदुओं में भेद रखता हो, वह भटका हुआ है। मध्य प्रदेश के बाद अब संघ इस तरह के सामाजिक कुंभ का अगला आयोजन छत्तीसगढ़ में करेगा और उसके बाद झारखंड जाने की योजना है। मंडला में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए कई घोषणाएं भी कीं। ऐसी ही घोषणाएं अन्य भाजपा मुख्यमंत्री भी ऐसे आयोजनों में करेंगे।
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