Monday, February 14, 2011

वाराणसी की तरह पुणे बेकरी ब्लास्ट भी अनसुलझा


जर्मन बेकरी का मामला सुलझा लेने का आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) का दावा खोखला प्रतीत हो रहा है। एक तरफ जहां केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले को अनसुलझा मामला करार दे रहे हैं। वहीं, मामले के एक प्रमुख आरोपी ने दावा किया है कि उसे विस्फोट से हफ्तों पहले गिरफ्तार किया गया था। नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई ने दिल्ली के जामा मस्जिद कांड और वाराणसी विस्फोट मामले के साथ इस मामले को भी अनसुलझा करार दिया। पिल्लई से जब पूछा गया कि क्या जर्मन बेकरी मामले में जांच पूरी हो चुकी है तो उन्होंने कहा, यह अब भी अनसुलझा है। केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि पुणे के जर्मन बेकरी में विस्फोट का तरीका वाराणसी और दिल्ली से भिन्न है। जर्मन बेकरी मामले में दाखिल आरोपपत्र में ढेर सारे प्रश्न अनुत्तरित रह गए। इनमें विस्फोट का तौर तरीका शामिल है। ठीक एक साल पहले 13 फरवरी को हुए इस विस्फोट में एटीएस की ओर से दाखिल आरोप पत्र में हिमायत बेग को आरोपित करार दिया गया है। बेग को पिछले दिनों उसके वकील ए. रहमान से बातचीत करने का मौका दिया गया। रहमान को उसने कहा है कि एक छोटे-मोटे अपराध के सिलसिले में एटीएस जर्मन बेकरी मामले के हफ्तों पहले उसे गिरफ्तार कर चुकी थी। सूत्रों के अनुसार आरोपपत्र में विस्फोट कराने के तरीके का कोई जिक्र नहीं है। जबकि मुंबई एटीएस प्रमुख राकेश मारिया ने कहा था कि मोबाइल फोन अलार्म का उपयोग कर विस्फोट कराया गया है। विस्फोट स्थल के फोरेंसिक विश्लेषण ने किसी मोबाइल यंत्र की उपस्थिति का कोई संकेत नहीं दिया। मारिया ने बेग की गिरफ्तारी दिखाने और उसे महाराष्ट्र के लिए लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख बताने के बाद यह दावा कर एक बड़ा गड़बड़झाला कर दिया कि आरोपी पुणे में मौजूद था। एटीएस के उप महानिरीक्षक रविन्द्र कदम ने यह बात रद्द कर दी कि बेग कभी पुणे गया था। कदम खुद पुणे में ही तैनात थे। रहमान ने हाल ही में दलील दी थी कि एटीएस ने मामले की जांच की है और बेग के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। उन्होंने गवाहों के नाम जानना चाहा ताकि वह अपने मुवक्किल का बचाव कर सकें। रहमान ने कहा कि वह आरोपपत्र पढ़ने, गवाहों की भूमिका निर्धारित करने और बचाव तैयार करने में व्यवहारिक समस्या का सामना कर रहे हैं क्योंकि प्रतियों की आपूर्ति के समय आरोपपत्र से गवाहों के नाम कथित रूप से मिटा दिए गए हैं। एटीएस ने दावा किया था कि विस्फोट इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर ने कराया, लेकिन पिछले साल सितंबर में जामा मस्जिद विस्फोट के बाद मुजाहिदीन ने एटीएस प्रमुख पर जर्मन बेकरी मामलों में निर्दोषों को फांसने का आरोप लगाया था।


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