Tuesday, March 1, 2011

जाति के साथ अन्य आंकड़े भी जुटाएगी सरकार!


जातिवार जनगणना के साथ अब लोगों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति का आकलन करने के लिए सरकार मोटे तौर पर तैयार हो गई है। सभी विपक्षी दलों की तरफ से की गई मांग के बाद लोकसभा में सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जातिवार जनगणना के प्रारूप में क्या-क्या बातें होनी चाहिए, इस बारे में सदस्य जो भी सुझाव देंगे, सरकार उस पर पूरी तरह गौर करेगी। देश भर में जाति जनगणना का काम जून 2011 से शुरू होकर सितंबर 2011 तक चलेगा। लोकसभा में प्रश्नकाल शुरू होते ही यह मामला उठा। सदन में कुछ और मुद्दे भी उठने के कारण कार्यवाही साढ़े ग्यारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। दोबारा सदन शुरू होने पर विपक्ष ने हंगामा किया और एक बार फिर सदन की कार्यवाही को 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। शून्यकाल शुरू होते ही गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि लोकसभा में अपने बजट भाषण में भी वित्तमंत्री ने इस बारे में उल्लेख किया था। इस बारे में सरकार सदस्यों के सुझावों पर पूरा गौर करेगी। विपक्ष इतने भर से संतुष्ट नहीं था। शरद यादव ने इस मामले को आगे बढ़ाया। उनके साथ सपा के मुलायम सिंह यादव, राजद के लालू प्रसाद व भाजपा के गोपीनाथ मुंडे ने भी इसका समर्थन किया और कहा कि सरकार ने सदन में इस बारे में वादा किया था, अब उसे सारी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। सिर्फ जातीय जनगणना से काम नहीं चलेगा, बल्कि लोगों की आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक स्थिति का भी पता लगाया जाना चाहिए, ताकि समाज की वास्तविकता सामने आ सके। बसपा के दारा सिंह और अन्य दलों की तरफ से इस मांग पर जोर दिया गया। बाद में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सदस्यों को भरोसा दिलाया कि अभी इस काम के शुरू होने में कुछ समय है|

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