Sunday, March 6, 2011

द्रमुक-कांग्रेस की कुट्टी


तमिलनाडु में द्रमुक-कांग्रेस के बीच सीटों की खींचतान यूपीए पर भारी पड़ गई। दबाव की इस राजनीति में तृणमूल के बाद यूपीए की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी द्रमुक ने सरकार से बाहर जाने और अपने मंत्रियों के इस्तीफों का एलान कर दिया। कांग्रेस भी अकेले चुनाव में जाने को तैयार है। वैसे सात साल पुराने इस रिश्ते पर वार्ता के रास्ते बंद नहीं हुए हैं। द्रमुक मुद्दा आधारित समर्थन देने की बात कह रही है। चेन्नई में दो घंटे चली बैठक के बाद द्रमुक सुप्रीमों व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि ने कांग्रेस पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाते हुए सभी छह केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे का एलान कर दिया। करुणानिधि ने कहा, फिलहाल द्रमुक बाहर से सरकार को मुद्दों पर आधारित समर्थन देता रहेगा। हालांकि द्रमुक कोटे से केंद्रीय मंत्री टीआर बालू ने गठबंधन जारी रखने और तमिलनाडु में समझौते की गुंजाइश कायम रखते हुए बयान जारी किया कि उनकी पार्टी सरकार से बाहर जाने के फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है। बशर्ते सीटों के मामले में कांग्रेस तार्किक रवैया अपनाए। बालू ने कहा कि प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद द्रमुक के मंत्री इस्तीफा सौपेंगे। इस्तीफे तुरंत फैक्स करने का कोई इरादा नहीं है। करुणानिधि के इस दांव के बाद कांग्रेस दबाव में आ गई है। उसकी असली चिंता तमिलनाडु नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल और केरल है। द्रमुक के बाहर होने के बाद इन दोनों राज्यों में सहयोगी दल कांग्रेस पर दबाव और बढ़ा देंगे। इन हालात के मद्देनजर प्रणब मुखर्जी डीएमके नेतृत्व से बात करेंगे और कांग्रेस किसी दूत को चेन्नई भेजेगी। बीच का रास्ता निकालने की कोशिशों का ही नतीजा है कि कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अभी बातचीत जारी है, लिहाजा इसे अंतिम न समझा जाए। तमिलनाडु में पिछले चुनाव में 48 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस ने इस दफा द्रमुक को 60 सीटों तक झुका लिया। कांग्रेस 63 से नीचे आने को तैयार नहीं थी और वास्तव में झगड़ा ज्यादा सीटें लेने से ज्यादा जिताऊ या मजबूत सीटें हथियाने को लेकर है। आमतौर पर द्रमुक की जिद के आगे झुकती रही कांग्रेस ने करुणानिधि को खूब झुकाया, लेकिन तनाव से गठबंधन टूटने के कगार पर जा पहुंचा है। द्रमुक ने चेन्नई में एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि कांग्रेस का रुख चौंकाने वाला है। उनके रुख से साफ है कि वे अब हमें यूपीए में देखना नहीं चाहती। करुणानिधि ने गठबंधन में ज्यादती का ठीकरा भी कांग्रेस के मत्थे मढ़ दिया है। वैसे भी यह पहली बार नहीं है कि द्रमुक ने सरकार से बाहर रहने का फैसला किया हो। यूपीए-2 बनते ही मंत्रिमंडल में ए. राजा को शामिल कराने के लिए द्रमुक ने सरकार से बाहर रहकर कांग्रेस को ब्लैकमेल किया था। अब देखना है कि इस दफा उनका यह दांव कितना कारगर साबित होता है|

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