Monday, March 21, 2011

पीएम के बयान से बात और बिगड़ी


पिछले कार्यकाल में संप्रग की सरकार बचाने के लिए सांसदों की खरीद-फरोख्त मामले में प्रधानमंत्री की सफाई के बाद बात और बिगड़ गई है। विपक्ष के हमले पर प्रधानमंत्री का जवाबी वार ही सरकार के गले फंस रहा है। विपक्ष प्रधानमंत्री पर गलतबयानी का आरोप लगाकर विशेषाधिकार हनन की व्यूह रचना में लग गया है। वह पूरे मामले पर सदन में चर्चा कराने दबाव भी बनाएगा। वामदलों और तेलगू देशम ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे दिया है, जबकि भाजपा मंगलवार को नोटिस देगी। अब गेंद दोनों सदनों के सभापतियों के पाले मे हैं। दरअसल विपक्ष की पेशबंदी इस प्रकरण को सीबीआई की जांच की तरफ बढ़ाने की है, ताकि सरकार की और किरकिरी हो। विश्वास मत पर समर्थन की खरीद और इसकी अमेरिका को जानकारी के मसले पर गुरुवार तक सरकार प्रधानमंत्री के बयान के पक्ष में नहीं थी, लेकिन शुक्रवारसुबह एक कार्यक्रम में डा. सिंह ने जब यह कहा कि सांसदों की खरीद फरोख्त के लिए उन्होंने किसी को अधिकृत नहीं किया था तो विपक्ष भड़क गया और प्रधानमंत्री से संसद में बयान की मांग के साथ दोनों सदन स्थगित हो गए। गतिरोध तोड़ने के लिए राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति जुटी और दोपहर बाद प्रधानमंत्री अपने बयान समेत सदन के सामने थे, लेकिन उनके बयान पर राज्यसभा में विपक्ष को स्पष्टीकरण पूछने से रोकने के बाद गतिरोध का दूसरा दौर शुरु हो गया। उत्तेजित विपक्ष मंगलवार को लोकसभा में नियम 193 के तहत चर्चा का नोटिस भी देगा। संसद में प्रधानमंत्री के तेवर तीखे थे, लेकिन विपक्ष नए सिरे से हावी होता दिखा। प्रधानमंत्री ने विकिलीक्स की विश्वसनीयता खारिज करते हुए कहा कि 2008 में सरकार बचाने के लिए उनकी सरकार ने कोई गलत काम नहीं किया। उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव नतीजों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इस मुद्दे को उठाने के बाद भी चुनाव में विपक्ष की बुरी गत बनी थी। इसी के साथ वह यह भी कह गए कि मामले की जांच के लिए बनी संसदीय समिति को सांसदों की खरीद-फरोख्त के ठोस सबूत नहंी मिले थे। विपक्ष के अनुसार प्रधानमंत्री ने जिस किशोरचंद्र देव कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देकर मामले को समाप्त बताने का प्रयास किया उसमें रिश्वतखोरी की बात प्रमुखता से कही गई है और कमेटी ने इसे आपराधिक मामला करार देते हुए उचित एजेंसी से जांच कराने की सिफारिश भी की थी। माकपा का नोटिस संसद सत्र के दौरान संसद से बाहर पीएम के बयान पर है, जबकि भाजपा और तेलुगू देशम ने उनके बयान को ही गलत बताकर उन्हें घेरा है। विपक्ष के हमलों से परेशान कांग्रेस ने लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज पर आसन के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ विशेषाधिकारहनन का प्रस्ताव लाने की बात कही है।

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