2 जी घोटाले पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच-पड़ताल की शुरुआत भी राजनीतिक दांव-पेंच से हुई है। ए. राजा के समय में हुए 1.76 लाख करोड़ के घोटाले की तह तक पहुंचने के लिए जेपीसी ने जांच की शुरुआत राजग कार्यकाल की 13 साल पुरानी फाइलों को पलटने के साथ की। बुधवार को जेपीसी ने पूर्ववर्ती राजग सरकार की दूरसंचार नीतियों से वर्ष 1998 से वर्ष 2000 के बीच राजस्व हानि का ब्योरा तलब किया। समिति ने राजग सरकार को दूरसंचार नीति बनाने में सुझाव देने के लिए तत्कालीन अटार्नी जनरल सोली सोराबजी को पूछताछ के लिए बुलाने का फैसला किया है। संकेत ऐसे भी हैं कि समिति जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा को भी तलब कर सकती है। जेपीसी के अध्यक्ष पीसी चाको ने बताया कि जेपीसी का गठन वर्ष 1998 के बाद स्पेक्ट्रम आवंटन से हुई हानि का पता लगाने के लिए किया गया है। यही वजह है कि हमने जांच की शुरुआत 1998 से की है। बुधवार को जेपीसी के सामने दूरसंचार सचिव आर. चंद्रशेखर पेश हुए और उनसे तमाम जानकारियां मांगी गईं। चाको ने बताया कि नई दूरसंचार नीति,1999 से राजस्व हानि की सचाई जानने के लिए तत्कालीन अटार्नी जनरल (सोराबजी) को भी जेपीसी तलब करेगी। नई दूरसंचार नीति के तहत टेलीकॉम कंपनियों को स्थायी लाइसेंस फीस पद्धति (फिक्स्ड रिजीम) के स्थान पर आय हिस्सेदारी भुगतान पद्धति (रेवेन्यू शेयरिंग रिजीम) अपनाने की छूट दी गई थी। इसके तहत कंपनियों को अपने सालाना राजस्व का एक हिस्सा बतौर लाइसेंस फीस सरकार को देने को कहा गया। चाको ने कहा, वर्ष 2000 में कैग की एक रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया था कि नई दूरसंचार नीति में कंपनियों के राजस्व देने के तरीके में बदलाव से वित्तीय हानि हुई है। हालांकि, कैग ने यह नहीं बताया कि कितनी हानि हुई है, लेकिन हमने दूरसंचार सचिव से कहा है कि वह बताएं कि कितनी हानि हुई है। दूरसंचार सचिव दो हफ्ते के भीतर इस बारे में अपनी सूचना जेपीसी को दे सकते हैं। चाको ने संकेत दिए कि जरूरत पर तत्कालीन राजग सरकार में शामिल और इस जेपीसी के सदस्य जसवंत सिंह व यशवंत सिन्हा को भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। हालांकि, अभी तक इसकी जरूरत महसूस नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई बाध्यता नहीं है कि जेपीसी सदस्यों को गवाही के लिए नहीं बुलाया जा सकता। मनमोहन सिंह और पूर्व संचार मंत्री राजा को पूछताछ के लिए बुलाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों से सुझाव मांगे जाएंगे और उसके आधार पर फैसला किया जाएगा। 2 जी घोटाले की जांच संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने भी की थी। पीएसी ने स्पेक्ट्रम आवंटन से देश को हुई हानि के लिए मौजूदा संप्रग सरकार के सिर ठीकरा फोड़ा था। अब ऐसा लगता है कि जेपीसी जांच की जद में राजग को लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
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