Tuesday, May 17, 2011

भट्टा-पारसौल में मारे गए थे 74 किसान


मायावती सरकार की नजर में ग्रेटर नोएडा के भट्टा-पारसौल में भड़का किसान आंदोलन भले ही खत्म हो गया है, लेकिन राहुल गांधी ने वहां 74 किसानों की मौत और महिलाओं संग दुष्कर्म की बात कह कर मामले को फिर गरमा दिया है। राहुल ने सोमवार को भट्टा-पारसौल के किसानों के आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से भेंट कर पुलिसिया जुल्म की शिकायत की। आगजनी और उसमें मिली हड्डियों के सुबूत के तौर पर तस्वीरें पेश कीं और कहा, वहां सिर्फ दो नहीं, बल्कि 74 जानें गई हैं। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह भी जलाए गए घरों की राख में हड्डियां मिलने की बात कह चुके हैं। वहीं, बसपा ने कांग्रेस के आरोपों को बेबुनियाद बताने के साथ ही कहा है कि कांग्रेस अफवाहें फैलाकर गंदी राजनीति करना बंद करे। राहुल गांधी ने पीएम से भेंट के बाद कहा, वहां स्थिति बद से बदतर है। सरकार कह रही है कि सिर्फ दो किसान मारे गए हैं, जबकि यमुना एक्सप्रेस-वे 74 किसानों की जान की कीमत पर बन रहा है। यह पूछे जाने पर कि भू-अधिग्रहण कानून में बदलाव तो केंद्र को करना है, जो उसने उसे अब तक नहीं किया। राहुल ने कहा, कानून में संशोधन जटिल मसला है। कानून में संशोधन व किसानों पर जुल्म-ज्यादती अलग-अलग विषय हैं। बड़ा सवाल यह है कि सरकार किसानों से कैसा व्यवहार करती है? उनसे मित्रतापूर्ण व्यवहार करते हैं या दमनकारी रवैया अपनाते हैं। कानून में बदलाव के लिए सरकार संसद के अगले सत्र में विधेयक लाने को प्रतिबद्ध है। उम्मीद है बिल पारित भी हो जाएगा। पीएम को सौंपे ज्ञापन में किसानों ने कहा, प्रदेश सरकार सार्वजनिक उद्देश्य के नाम पर उनकी जमीनों का अधिग्रहण कर उसे आवासीय उपयोग के लिए निजी कंपनियों को दे रही है। विरोध करने पर गोलियां मारी गईं। कई लोग लापता हैं। पुलिस-पीएसी ने महिलाओं से दुष्कर्म किया। अनाज नष्ट कर दिया। खलिहान में रखी फसल फूंक दी गई। घरों की तलाशी के बहाने कीमती सामान लूट लिया। वृद्धों, महिलाओं और बच्चों के हाथ-पैर तोड़े गए। बच्चों को धमकाकर परीक्षा छुड़वा दी। वहीं, बसपा के पार्टी प्रवक्ता ने लखनऊ में पत्रकारों से कहा, कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी खोई जमीन पाने के लिए राजनीतिक नाटक कर रही है। राहुल का किसानों के साथ प्रधानमंत्री से मिलना एक और ऐसा प्रयास है।


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