लंबे समय से येद्दयुरप्पा के पीछे पड़े कर्नाटक के राज्यपाल एचआर भारद्वाज ने सोमवार को राज्य की भाजपा सरकार को बर्खास्त करने के साथ केंद्र से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। उन्होंने दूसरी बार राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की है। राज्यपाल ने अपनी इस सिफारिश के पीछे सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को अपनी ढाल बनाया है जिसमें सर्वोच्च अदालत ने पार्टी के 11 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को अवैध ठहराया था। भारद्वाज ने इनमें से 10 विधायकों की इस बात को अनसुना कर दिया कि वे अब सरकार के समर्थन में हैं। बागी विधायकों ने राज्यपाल को इस बात का पत्र भी लिखा था कि अब वे येद्दयुरप्पा सरकार के साथ हैं, लेकिन भारद्वाज ने इसको कोई तवज्जो नहीं दी। कांग्रेस ने राज्यपाल के इस कदम को स्वागत योग्य बताया। राजभवन ने कहा कि राज्यपाल भारद्वाज ने केंद्र को विशेष रिपोर्ट भेजी है। सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने और विधानसभा को निलंबित रखने की सिफारिश की है। राज्यपाल के इस कदम से राज्य में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। दिल्ली में भाजपा नेता अरुण जेटली ने भारद्वाज की रिपोर्ट को असंवैधानिक करार दिया है। जेटली ने कहा कि बहुमत का फैसला सदन में किया जाना चाहिए। जेटली ने कहा कि राज्यपाल ने दिल्ली में रविवार सुबह कहा था कि शक्ति परीक्षण अच्छा विचार नहीं है और शाम को आई उनकी सिफारिश राजभवन की साजिश है जो स्वीकार्य नहीं है। बेंगलूर में मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा राज्यपाल पर हमला बोलते हुए राष्ट्रपति से राज्यपाल की सिफारिश को न मानने का अनुरोध किया है। दिल्ली से रविवार सुबह बेंगलूर पहुंचे भारद्वाज की राष्ट्रपति शासन संबंधी रिपोर्ट, उच्चतम न्यायालय द्वारा कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को पलटने के बाद भेजी गई है, जिसमें भाजपा के 11 बागी विधायकों व 5 निर्दलीय विधायकों को विधानसभा में 10 अक्टूबर 2010 को शक्ति परीक्षण से पूर्व अयोग्य ठहराया गया था। राजभवन ने संक्षिप्त विज्ञप्ति में कहा कि उच्चतम न्यायालय के 13 मई के विधायकों की योग्यता संबंधी फैसले और राज्य में इसके प्रभाव के बारे में एक विशेष रिपोर्ट केंद्र को भेजी गई है। वहीं बेंगलूर में देर रात अपने आवास पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए येद्दयुरप्पा ने कहा कि भाजपा के पास सदन में बहुमत है और राज्यपाल कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर के इशारे पर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर उनसे राज्यपाल की रिपोर्ट स्वीकार नहीं करने के लिए कहा है। येद्दयुरप्पा ने कहा कि उन्होंने सोमवार को विधानसभा की बैठक बुलाई है और अगर राज्यपाल निर्देश देते हैं तो वह सदन के पटल पर अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए तैयार हैं। इससे पहले दिल्ली में मौजूद विधायकों ने भारद्वाज को पत्र लिख येद्दयुरप्पा सरकार में अपना समर्थन जताया था। पार्टी नेता धनंजय कुमार ने कहा था कि 224 सीटों वाली विधानसभा में अब पार्टी की ताकत 109 से बढ़कर 120 हो गई है। पार्टी और मजबूत हो गई है। जद (एस) के महासचिव दानिश अली ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में अब तत्काल राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए।
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