Sunday, May 15, 2011

ममता-जया ने ढहाए कुशासन के गढ़


असम में गोगोई की हैट्रिक, केरल में भी कांग्रेस, पुडुचेरी तमिलनाडु की राह पर

देश के पांच राज्यों-तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल और असम की जनता के वोटों की गिनती के साथ ही यह संदेश भी बाहर आया कि अब लोगों को न तो कुशासन बर्दाश्त है और न ही नेताओं के कोरे वायदे। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने वाम दलों के अराजक शासन को ढहा दिया तो तमिलनाडु में जयललिता ने करुणानिधि के भ्रष्ट शासन और भाई-भतीजावाद को। बंगाल में 34 साल बाद वाम दलों के शासन का अंत होना इन दलों के लिए खतरे की एक बड़ी घंटी है, क्योंकि वे अब केवल त्रिपुरा की सत्ता तक सिमट गए हैं। ममता की शानदार जीत प्रत्याशित रही, लेकिन तमिलनाडु में जयललिता की जोरदार जीत ने खुद उन्हें चौंकाया। असम में कांग्रेस के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई अपने कामों की वजह से लगातार तीसरी बार सत्ता की चाभी अपने पास रखने में कामयाब रहे तो केरल में वाम मोर्चे को आंतरिक कलह की कीमत सत्ता खोकर चुकानी पड़ी। यहां कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे ने जीत हासिल की, लेकिन जीत की बढ़त सीमित रही। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में कांग्रेस से निकाले गए पूर्व मुख्यमंत्री ने एन रंगासामी ने जयललिता की मदद से कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। ममता और जया के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ होने के साथ ही देश में अब चार महिला मुख्यमंत्री होंगी। दीदी ममता और अम्मा जया अब शीला दीक्षित और मायावती के साथ खड़ी होंगी। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम जहां कांग्रेस को राहत देने वाले रहें वहीं भाजपा को मायूसी का सामना करना पड़ा, क्योंकि दक्षिण भारत में उसका खाता भी नहीं खुला। दीदी की दहाड़ : बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष व रेल मंत्री ममता बनर्जी के पक्ष में ऐसी आंधी उड़ी कि मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और उनके एक दर्जन से भी अधिक मंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाए। कभी दूध बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाली ममता स्वतंत्रता के बाद देश की 14वीं और बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनेंगी। राज्य की 294 सीटों वाली विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस गठबंधन ने दो तिहाई बहुमत हासिल किया है। तृणमूल कांग्रेस ने अकेले 180 से अधिक सीटों पर कब्जा जमाया है जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत दर्ज की है। माकपा को 40 और उसकी सहयोगी भाकपा को सिर्फ दो सीटें मिली हैं। फारवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार 11 सीटों पर जीते और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को सात सीटें मिलीं। बुद्धदेव को तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार मनीष गुप्ता ने 16,684 मतों से हराया। ममता ने कहा है कि 34 सालों बाद पश्चिम बंगाल को मिली नई आजादी है। जयललिता की जय : तमिलनाडु में राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमानों को गलत साबित करते हुए अन्नाद्रमुक ने शानदार वापसी की। उसे 234 सदस्यीय विधानसभा में करीब 150 से ज्यादा सीटें मिलने की संभावना है। मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने हार स्वीकार करते हुए अपने मंत्रिमंडल का इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है। राज्यपाल ने वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उन्हें पद पर बने रहने को कहा है। अंतिम परिणाम आने तक द्रमुक तीसरे स्थान पर खिसक सकती है। दूसरा स्थान अभिनय से राजनीति में आए विजयकांत की डीएमडीके को मिल सकता है, जो जयललिता के साथ हैं। द्रमुक की प्रमुख सहयोगी कांग्रेस की स्थिति भी अच्छी नहीं है। पार्टी के 34 विधायकों में से केवल तीन अपनी सीट बचा पाए हैं। तमिलनाडु में 1989 से ही विधानसभा चुनावों में सरकारें बदलती रहीं है और इस बार का चुनाव भी अपवाद साबित नहीं हुआ। 2006 के विधानसभा चुनाव में तमिलनाडु में पहली बार अल्पमत की सरकार आई थी। द्रमुक को 96 सीटें मिली थीं और कांग्रेस के बाहरी समर्थन के साथ पूरे पांच साल खींच गई। अन्नाद्रमुक को तब 61 सीटें मिली थीं। गोगोई की हैट्रिक : असम के नतीजे चौंकाने वाले रहे। 75 फीसदी से ज्यादा मतदान को सत्ता विरोधी लहर के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन मतदाताओं ने राजनीतिक विश्लेषकों की सारी गणित फेल कर दी और कांग्रेस को पलकों पर बिठा लिया। जबरदस्त जीत के साथ कांग्रेस यहां लगातार तीसरी बार सत्तारूढ़ होने जा रही है। पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस ने इस बार अपनी स्थिति खासी पुख्ता कर ली है। वर्ष 2006 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 53 सीटें मिली थीं, जबकि इस बार 78 सीटों पर अपनी जीत दर्ज करा चुकी है। प्रमुख विपक्षी पार्टी असम गण परिषद को पिछले विधानसभा चुनाव में 24 सीटें मिली थीं। इस बार 10 सीटों पर ही संतोष करना पड़ रहा है। भाजपा को भी निराशा का सामना करना पड़ा। केरल में फिर कांग्रेस : केरल में वाम मोर्चा को पश्चिम बंगाल की तरह मुंह की तो नहीं खानी पड़ी, लेकिन वह सत्ता से बेदखल हो गया। कांग्रेस मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन ने विपक्ष में बैठने की घोषणा कर दी है। कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ गठबंधन कांटे की टक्कर के बाद सरकार बनाने जा रहा है। 140 सदस्यीय केरल विधानसभा में यूडीएफ ने 72 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए सामान्य बहुमत हासिल कर लिया है। रंगासामी का करिश्मा : पुडुचेरी में एन. रंगासामी कांग्रेस (एनआरसी) और अन्नाद्रमुक गठबंधन कांग्रेस का वर्चस्व ध्वस्त करने में कामयाब रहा। केंद्र शासित पुडुचेरी की 30 सदस्यीय विधानसभा में एनआरसी-द्रमुक गठबंधन दो तिहाई बहुमत हासिल कर चुका है। 15 महीने पहले कांग्रेस से निकाले गए पूर्व मुख्यमंत्री रंगासामी की पार्टी एनआरसी को 15 सीटें मिली हैं, जबकि अन्नाद्रमुक ने पांच सीटों पर जीत दर्ज कराई है। सत्तारूढ़ कांग्रेस को सिर्फ सात सीटों और द्रमुक को दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।



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