Wednesday, May 25, 2011

ममता बनर्जी ने संभाली पश्चिम बंगाल की कमान


मां-माटी-मानुष का नारा देकर पश्चिम बंगाल में वामपंथी शासन का अंत करने वाली तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने शुक्रवार को दोपहर एक बजकर एक मिनट पर मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाल लिया। राजभवन में आयोजित भव्य समारोह में राज्यपाल एमके नारायणन ने ममता को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। बॉर्डर वाली सादी-सफेद साड़ी पहनकर राजभवन पहुंचीं ममता ने बांग्ला भाषा में शपथ ली। वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। उनके अतिरिक्त 37 अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली, जिसमें केवल दो कांग्रेस कोटे के हैं। ममता ने शपथ के लिए समय खुद तय किया था। इसके लिए वह मां गायत्री देवी के पांव छूकर घर से निकलीं और रास्ते में उन्होंने कालीघाट के प्रख्यात कालीमंदिर में दर्शन किए। बुलेटप्रूफ कार को छोड़ कर जिस पुरानी काली सैंट्रो कार से वह चलती थीं, उसी कार से दोपहर करीब 12.50 बजे राजभवन पहुंचीं। ममता ने जैसे ही उत्तरी द्वार से राजभवन में प्रवेश किया, बाहर मौजूद हजारों समर्थकों ने नारेबाजी करके अपनी खुशी का इजहार किया। समारोह में ममता सहित 38 मंत्रियों ने शपथ ली। तृणमूल ने 31 कैबिनेट मंत्री और चार राज्यमंत्री बनाए हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मानस भुइयां व अबू हेना को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। अधिकांश मंत्रियों ने बांग्ला भाषा में ही शपथ ली, जबकि दो लोगों ने अंगे्रजी और एक-एक ने उर्दू व संथाली में शपथ ली। किसी ने भी हिंदी में शपथ नहीं ली। तृणमूल कांग्रेस के कई मंत्रियों ने ईश्वर को साक्षी मानकर पद और गोपनीयता की शपथ ली। इससे पहले वामपंथी सरकारों के मंत्री संविधान के प्रति निष्ठा के नाम पर शपथ लेते थे। शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम, रक्षामंत्री एकेएंटनी, पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, पश्चिम बंगाल वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बोस समेत कई महत्वपूर्ण लोग उपस्थित थे। पैतृक आवास बना मुख्यमंत्री निवास ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण करते ही 30बी, हरीश चटर्जी स्ट्रीट स्थित टाली बाड़ी, का उनका पैतृक निवास शुक्रवार से मुख्यमंत्री निवास में तब्दील हो गया। नई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकारी निवास की सुविधा लेने से इंकार करते हुए अपने पुराने घर में ही रहने का फैसला किया है जो उनके संघर्ष के दिनों का गवाह रहा है। इसी के चलते सरकार ने इसे मुख्यमंत्री आवास बनाया है। उमड़े समर्थक, दीदी की अंगुली फटी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राजभवन से राइटर्स बिल्डिंग (राज्य मुख्यालय) तक की ममता बनर्जी की पदयात्रा के दौरान उनका साथ देने के लिए शुक्रवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। आधा किलोमीटर से कुछ ज्यादा लंबे इस रास्ते में भीड़ के चलते सुरक्षा के लिए किए गए सारे इंतजाम ध्वस्त हो गए। पुलिस की लगाई बेरिकेडिंग कई जगह लोगों के धक्के से टूट गई। इस दौरान समर्थक से गुलदस्ता ले रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की धक्का लगने से अंगुली भी फट गई, मुंह में अंगुली लगाकर उन्होंने रक्त प्रवाह रोका। इस सबसे ममता के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। सड़क के दोनों ओर, घरों की बालकनी और पेड़ों पर चढ़कर लोगों ने अपनी मुख्यमंत्री का दीदार किया। ममता ने भी कई स्थानों पर रुककर लोगों के अभिनंदन को स्वीकार किया और उनसे बातें कीं। भीड़ का आलम यह था कि करीब दस मिनट के इस पैदल रास्ते को तय करने में ममता को तीस मिनट लगे। दिग्गजों को हराने वालों को ईनाम पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और पूर्व वित्त मंत्री असिम दासगुप्ता को हराने वाले मनीष गुप्ता और अमित मित्रा को मंत्रिमंडल में मंत्री पद का ईनाम दिया गया है। पूर्व मुख्य सचिव गुप्ता और फिक्की के पूर्व महासचिव मित्रा क्रमश: जादवपुर और खरदा से चुनाव जीते थे। पूर्व उद्योग मंत्री निरुपम सेन व रवि रंजन चट्टोपाध्याय व गौतम देव को हराने वाले बृत्य बसु को भी ममता ने अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है। ममता ने मित्रा को वित्त मंत्रालय और पार्थ चटर्जी को वाणिज्य, उद्योग और संसदीय मामलों संबंधी मंत्रालय सौंपा है। याद रहे सिद्धार्थ बाबू राजभवन में जब ममता बनर्जी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रही थीं तो निश्चित रूप से उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय की कमी खल रही होगी। जिन्होंने पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के सफाए और उनके मुख्यमंत्री बनने का सपना देखा था। सन 1977 में उन्हीं के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार को हटाकर पश्चिम बंगाल में ज्योति बसु मुख्यमंत्री बने थे। सिद्धार्थ बाबू का बीती छह नवंबर को निधन हो गया। ममता उनका बेहद सम्मान करती थीं और समय-समय पर उनसे सलाह-मशविरा लेती थीं। 34 वर्षों बाद फिर गैर-कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने शुक्रवार को राजभवन में शपथ पत्र पढ़ने के बाद जैसे ही जरुरी कागजात पर हस्ताक्षर किए, बंगाल को 34 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद फिर से एक गैर-कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री ने सत्ता संभाल ली। परिवर्तन की इस लहर से पहले तक सिद्धार्थ शंकर राय राज्य के अंतिम गैर-कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री थे जो 1972 में कांग्रेस के बंगाल की सत्ता में आने पर उस वर्ष 9 मार्च को मुख्यमंत्री बने और 21 जून, 1977 तक पदभार संभाला। वाम मोर्चा को 1977 में भारी जनादेश मिलने के बाद ज्योति बसु ने राज्य की कमान संभाली। उन्होंने 21 जून, 1977 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 23 वर्षों से अधिक समय तक इस पद पर बने रहने का विश्व रिकार्ड कायम किया। उम्र और अस्वस्थता के कारण बसु ने 6 नवंबर, 2000 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह बुद्धदेव भटटचार्य मुख्यमंत्री बने और एक दशक से अधिक समय तक पदभार संभाला। राज्य में 34 वर्षों तक वाम मोर्चा का एकछत्र राज रहा, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में चली परिवर्तन की आंधी में वाममोर्चा तिनके की तरह उड़ गया।



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