Sunday, May 15, 2011

ममता की जीत से कांग्रेस की भी जय


ममता बनर्जी की जीत के जुलूस में कांग्रेस भी जिंदाबाद है। भ्रष्टाचार की कसौटी पर कसे जा रहे तमिलनाडु के चुनाव में गठबंधन की करारी शिकस्त पश्चिम बंगाल में महाजोट की प्रचंड जीत में गुम हो गई। असम में स्पष्ट जीत पर कांग्रेस अपनी पीठ ठोक रही है, लेकिन केरल में उसकी अगुवाई वाले यूडीएफ को गिर-पड़कर मिली जीत ने उसे इतराने का मौका नहीं दिया। वाम मोर्चा के लिए तो ये नतीजे किसी दु:स्वप्न से कम नहीं, वहीं नए इलाकों में पैठ बनाने की भाजपा की योजना भी परवान न चढ़ सकी। इन चुनावी नतीजों के बाद फिलहाल कांग्रेस राहत तो महसूस कर सकती है, लेकिन कुछ नई चुनौतियों से भी उसे रूबरू होना पड़ेगा। पांचों राज्यों में सबसे अहम पश्चिम बंगाल में ममता लहर में कांग्रेस की नैया भी पार हो गई, लेकिन मंजिल पर भी उसका मुकद्दर दीदी ही लिखेंगी। महाजोट की ऐतिहासिक जीत के शोर में फिलहाल कांग्रेस की कमजोरियां और असफलताएं भी दब गई हैं। परमाणु करार के मुद्दे पर केंद्र की संप्रग सरकार को संकट में डालने वाले वामपंथियों का दुर्ग ढहाने का जश्न मनाने का कांग्रेस को पूरा हक है। हालांकि, सच्चाई है कि पिछली बार से दोगुनी सीटें लाने के बाद भी कांग्रेस की राज्य में कोई भूमिका नहीं बची है। ममता जहां अपने बूते सरकार बनाने में सक्षम हैं, वहीं कांग्रेस को केंद्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक में तृणमूल पर आश्रित रहना पड़ेगा। इन हालात में ममता को काबू में रखना कांग्रेस के लिए लगभग नामुमकिन ही होगा। यह अजब सियासी सच्चाई है कि पश्चिम बंगाल में जहां संप्रग गठबंधन की प्रचंड जीत में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, वहीं तमिलनाडु में गठबंधन की हार में भी उसकी जीत छिपी है। अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता की जबर्दस्त जीत के बाद तमिलनाडु की प्रतिशोधात्मक राजनीति के इतिहास के मद्देनजर अब द्रमुक के लिए केंद्र सरकार का हिस्सा बने रहना उसकी मजबूरी होगी। हालांकि, तमिलनाडु की जनता से भ्रष्टाचार पर क्लीनचिट न मिलने को विपक्ष मुद्दा जरूर बनाता रहेगा। असम में अकेले दम पर सरकार बनाने की ताकत मिलना कांग्रेस के लिए उपलब्धि है, लेकिन केरल में थक-हारकर मिली सत्ता की टीस जीत की खुशी को फीका कर रही है। खासतौर से पूरे वाममोर्चा नेतृत्व द्वारा किनारे कर दिए गए बुजुर्ग वी.एस. अच्युतानंदन को परास्त करने में ही उसकी हालत खराब हो गई। ओमेन चंडी मुख्यमंत्री होंगे या कोई और, अभी यूडीएफ के भीतर यह जंग भी बाकी है। सरकार में शामिल होने पर कांग्रेस में ऊहापोह पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में शामिल होने के मुद्दे पर कांग्रेस ऊहापोह में है। सरकार में शामिल होने का फैसला कांग्रेस ममता के प्रस्ताव और अपने विधायकों से विचार-विमर्श के बाद करेगी। कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक ने फैसला किया है कि प्रणब मुखर्जी शनिवार को कोलकाता जाकर ममता और अपने विधायकों से मुलाकात करेंगे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ विमर्श कर अंतिम फैसला लेंगे। दरअसल, ममता बनर्जी को मिले प्रचंड बहुमत ने कांग्रेस को सरकार में शामिल होने के मुद्दे पर भ्रमित कर दिया है। खुद ममता दो तिहाई बहुमत पा चुकी हैं। ऐसे में वह कांग्रेस को कितने और कौन से विभाग देंगी? संख्या और विभाग ग्रहण करने में कांग्रेस अपमानित नहीं होना चाहती।


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