Saturday, May 7, 2011

नक्सली इलाकों में लाल दुर्ग बचाने की चुनौती


पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का झंझावत उत्तर बंगाल से होते हुए अब जंगलमहल में प्रवेश कर रहा है। पांचवें चरण में नक्सल प्रभावित पश्चिमी मेदिनीपुर, बांकुड़ा, पुरुलिया जिलों तथा ब‌र्द्धमान की 12 विधानसभा सीटों समेत 38 निर्वाचन क्षेत्रों में शनिवार को मतदान है। यह इलाका कभी वाममोर्चा का दुर्ग रहा है, लेकिन पिछले दो वर्षो में तेजी से बदले राजनीतिक हालात ने इस लाल दुर्ग को हिलाकर रख दिया है। तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी द्वारा दिए गए परिवर्तन के नारे के बाद वाम मोर्चा इस दुर्ग को बचाए रखने में कितना कामयाब होगा, यह चुनाव परिणाम बताएगा। माकपा को जंगलमहल में दो मोर्चे पर लड़ाई लड़ रही है। एक ओर जहां हाथों में बंदूक थामे माओवादी माकपाइयों पर हमले बोल रहे हैं, वहीं तृणमूल सुप्रीमो परिवर्तन का नारा देकर शब्दों की मिसाइल दाग रही हैं। ऐसे में बांकुड़ा, पुरुलिया, मेदिनीपुर और ब‌र्द्धमान में लालदुर्ग को सलामत रखना माकपा नीत वाममोर्चा के लिए कठिन हो रहा है। इलाके में सीटों के परिसीमन से भी राजनीतिक समीकरण बिगड़ा है। कुछ नई सीटें जुड़ी हैं तो कुछ समाप्त हो गई है। ऐसे में सीटों पर कब्जा बरकरार रखने को लेकर वाममोर्चा नई चुनौतियों से दो-चार है। पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो पश्चिमी मेदिनीपुर जिले की जिन 12 सीटों पर शनिवार को मतदान होना है, उनमें 10 पर माकपा व उसके सहयोगी दलों का कब्जा रहा है। मात्र दो सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। इसी प्रकार पुरुलिया में सभी पांच, बांकुड़ा की सभी नौ और ब‌र्द्धमान की 12 सीटों में से 11 सीटों पर माकपा व सहयोगी दलों का कब्जा रहा है। जबकि एक सीट तृणमूल के पास थी। पिछले लोकसभा चुनाव से स्थितियां बदलीं। बावजूद इसके बांकुड़ा व पुरुलिया में लाल दुर्ग सलामत रहा। इसी को लेकर बुद्धदेव भट्टाचार्य और अन्य वामनेता संतुष्ट हैं कि इस दफा स्थितियां उनके अनुकूल रहेंगी। इस चरण में माकपा के दिग्गज व राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सूर्यकांत मिश्रा तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मानस भुइयां समेत 193 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। राज्य में कुल छह चरणों में मतदान होना है। 13 मई को मतगणना होगी।



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