Tuesday, May 3, 2011

2जी : पहले आओ, पहले पाओ की नीति को पीएम का समर्थन


यूनिटेक समूह के प्रबंध निदेशक ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में दावा किया कि 2जी लाइसेंस आवंटन के लिए पहले आओ पहले पाओ की नीति को प्रधानमंत्री का समर्थन हासिल था। चंद्रा चार अन्य दूरसंचार कंपनियों के अधिकारियों के साथ इस घोटाले में जेल में हैं। यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) लि. कंपनी के प्रमुख चंद्रा के वकील राम जेठमलानी ने न्यायमूर्ति अजीत भरिहोक की अदालत को बताया कि जहां तक नीति के गठन का सवाल है, इसमें मेरे मुवक्किल का हाथ नहीं है, इसके लिए सरकार का मुखिया जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट ने जिस याचिका पर इस मामले की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था उसमें आरोप लगाया गया है कि नीलामी प्रक्रिया के बजाय दूरसंचार विभाग (डॉट) ने पहले आओ पहले पाओ की नीति के आधार पर 2001 के मूल्य पर स्पेक्ट्रम दिया। जेठमलानी ने संसद और सार्वजनिक कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि सरकार के मुखिया ने यूनिफाइड एक्सेस लाइसेंस (यूएएस) देने के लिए एफसीएफएस नीति पर सहमति जताई। जेठमलानी ने चंद्रा को जमानत दिए जाने की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि मेरे मुवक्किल ने प्रधानमंत्री को इस तरह बोलने के लिए नहीं कहा था। यूनिटेक के चंद्रा के अलावा स्वान टेलीकाम के निदेशक विनोद गोयनका और रिलायंस एडीए समूह के तीन शीर्ष अधिकारियों गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरी नायर को विशेष अदालत द्वारा 20 अप्रैल को उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज किए जाने के बाद जेल भेज दिया गया है। जेठमलानी ने सीबीआइ के इस दावे को खारिज कर दिया कि चंद्रा ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और उनके निजी सचिव आरके चंदोलिया तथा अन्य के साथ मिलकर इस मामले में आपराधिक षड्यंत्र कर यूनिटेक समूह की कंपनियों के लिए आठ लाइसेंस हासिल किए। उन्होंने कहा कि मुझे कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि मैं तो उल्टा मारा गया। मैने कंपनी का एक भी शेयर नहीं बेचा वास्तव में मुझे 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।


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