Wednesday, May 18, 2011

राष्ट्रपति के सामने भाजपा का शक्ति प्रदर्शन


कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने की राज्यपाल हंसराज भारद्वाज की सिफारिश के खिलाफ भाजपा ने राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का दरवाजा भी खटखटा दिया है। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नेतृत्व में मुख्यमंत्री समेत 114 विधायकों ने बहुमत का आंकड़ा पेश कर राज्यपाल की सिफारिश को असंवैधानिक करार देते हुए उसे खारिज करने व भारद्वाज को तत्काल वापस बुलाने की मांग की है। वहीं, कांग्रेस भारद्वाज की सक्रियता पर तो मौन है, लेकिन कर्नाटक में येद्दयुरप्पा सरकार को असंवैधानिक और अनैतिक बताने में मुखर है। भाजपा नेतृत्व इस बार राज्यपाल भारद्वाज के खिलाफ आर-पार की लड़ाई के मूड में है। चूंकि उसके पास बहुमत का पूरा आंकड़ा है, इसलिए तेवर भी तीखे हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री के यहां पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मोर्चा संभाला था, तो मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अगुवाई की। उनके साथ संसद में दोनों सदनों में विपक्ष के नेता व पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल थे। पार्टी ने 223 (एक स्थान रिक्त) सदस्यीय विधानसभा में येद्दयुरपा सरकार के साथ 122 विधायकों का समर्थन होने का दावा पेश करते हुए 114 विधायकों को राष्ट्रपति के सामने पेश भी किया। बाकी आठ विधायकों में पांच जरूरी कामों के कारण नहीं आ सके, जबकि एक विदेश में व एक बीमार है। आठवें विधायक विधानसभा अध्यक्ष हैं। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद गडकरी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति के बहुमत प्राप्त सरकार को असंवैधानिक प्रयासों से हटाने की राज्यपाल की सिफारिश को नामंजूर करने की मांग की है। साथ ही राज्य सरकार को लगातार अस्थिर करने की कोशिश कर रहे राज्यपाल भारद्वाज को वापस बुलाने का भी आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने सत्र बुलाकर बहुमत साबित करने को कहा था, लेकिन राज्यपाल ने इसके बजाए सरकार को ही बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी। यह घोर असंवैधानिक व लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। इसके पहले गडकरी ने सुबह पार्टी मुख्यालय में सभी विधायकों से मुलाकात की। इस दौरान येद्दयुरप्पा ने राज्यपाल पर तीखे कटाक्ष करते हुए कहा कि वह तो राज्यपाल के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने भाजपा को पूरी तरह से एकजुट कर दिया है। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कर्नाटक में भाजपा को सरकार में रहने का कोई हक नहीं है। वहीं, कांग्रेस में एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि राज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिपोर्ट तो भेजनी ही थी। रिपोर्ट में क्या है, कहना मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि कर्नाटक सरकार को यदि बर्खास्त भी किया जाए तो वह अवैधानिक नहीं होगा। लेकिन अभी यह विकल्प नहीं है। हालांकि, ऐसे किसी भी कदम के लिए कांग्रेस व सरकार का नेतृत्व अभी तैयार नहीं हैराज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिपोर्ट तो भेजनी ही थी। रिपोर्ट में क्या है, कहना मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि कर्नाटक सरकार को यदि बर्खास्त भी किया जाए तो वह अवैधानिक नहीं होगा। लेकिन अभी यह विकल्प नहीं है। हालांकि, ऐसे किसी भी कदम के लिए कांग्रेस व सरकार का नेतृत्व अभी तैयार नहीं है



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