Tuesday, May 3, 2011

वाम दलों ने अब पीएम से लगाई गुहार


पुरुलिया मामले में आरोपी किम डेवी के नए खुलासे की न्यायिक जांच की मांग को लेकर वाम दलों ने रविवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से गुहार लगाई। इससे पहले गृह मंत्री और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी न्यायिक जांच की मांग को सिरे से खारिज कर चुके हैं। लेफ्ट फ्रंट ने प्रधानमंत्री से पुरुलिया में हथियार गिराए जाने के मामले में उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने का अनुरोध किया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में माकपा महासचिव प्रकाश करात और भाकपा महासचिव एबी वर्धन ने कहा कि सिर्फ इसी तरह की जांच से वर्ष 1995 की घटना के बारे में पूरी सच्चाई का पता लग सकेगा। पत्र में कहा गया है कि हाल ही में इस मामले में संलिप्त दो लोगों नील्स नीलसन उर्फ किम डेवी और पीटर ब्लीच मीडिया से बातचीत के दौरान हथियार गिराए जाने के मामले की जानकारी देते, कुछ आरोप लगाते और साजिश रचे जाने के बारे में बताते नजर आए हैं। दोनों नेताओं ने जोर दिया कि पूरे मामले की व्यापक जांच कराए जाने की जरूरत है। इसके लिए वे प्रधानमंत्री से उच्चतम न्यायालय के एक सेवारत न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने का अनुरोध करते हैं। वाम नेताओं ने कहा कि मामले के मुख्य आरोपी डेवी ने इस बारे में कुछ चौंका देने वाली जानकारी दी है कि वह हथियार गिराने वाले विमान का पता लगने और उसे उतारे जाने के बाद किस तरह मुंबई हवाई अड्डे से भाग निकलने में कामयाब रहा। करात और वर्धन ने कहा कि हालांकि इस मामले को 16 वर्ष बीत चुके हैं और कोलकाता की अदालत ने सुनवाई कर कुछ आरोपियों को सजा भी सुनाई है, लेकिन इस घटना को लेकर अब भी काफी कुछ स्पष्ट होना बाकी है। क्योंकि यह घटना देश की संप्रभुता तथा सुरक्षा पर गंभीर हमले की तरह थी। इन नेताओं ने आरोप लगाया कि यह प. बंगाल की तत्कालीन निर्वाचित सरकार के खिलाफ साजिश थी। वहीं गृह मंत्रालय के बयान ने कहा है कि डेवी इसके पहले भी पूरे मामले को राजनीतिक रंग देकर अपने को बेगुनाह साबित करने की कोशिश कर चुके हैं। वहीं भारत सरकार डेनमार्क से प्रत्यर्पण संधि नहीं होने के बाद भी पुख्ता सबूतों के साथ उसके प्रत्यर्पण की लगातार कोशिश करती रही है। इसी का नतीजा है कि किम डेवी के प्रत्यर्पण के मुद्दे पर डेनमार्क की स्थानीय अदालत में सुनवाई चल रही है। मंत्रालय के अनुसार प्रत्यर्पण की इसी अदालती प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए किम डेवी ने नए सिरे से इस मामलों को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है। गृहमंत्रालय ने किम डेवी को प्रत्यर्पण के बाद भारत की स्थानीय अदालत के सामने खुद को निर्दोष साबित करने की चुनौती दी है। उसके अनुसार पीटर ब्लीच समेत सजा पाए सभी आरोपियों से जुड़े सभी सबूत सार्वजनिक हैं और उन्हें कोई भी देख सकता है। लेकिन डेवी के खिलाफ सबूतों को फिलहाल सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि किम डेवी के भारत आ जाने के बाद उसके खिलाफ सभी सबूतों को अदालत के सामने पेश कर दिया जाएगा। 1995 में पुरुलिया में हथियार गिराने के मामले की जांच में गड़बड़ी के डेवी के आरोपों को खारिज करते हुए गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि शुरू से ही जांच एजेंसियां उसे खोज रही थी और अंतत 2001 में उसके डेनमार्क में होने का पता चला। डेनमार्क के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं होने के बावजूद भारत सरकार लगातार उसके प्रत्यर्पण की कोशिश करती है। यहां तक कि डेनमार्क के उपप्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया गया।

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