इस बार का पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव नेताओं के पुत्र, पुत्रवधू व सगे-संबंधियों को प्रत्याशी बनाने के मामले में ऐतिहासिक बनने वाला है। इस दफा विधानसभा चुनाव में परिवारवाद हावी है और चुनाव पारिवारिक मामला साबित हो रहा है। तृणमूल ने चार और कांग्रेस ने तीन और माकपा ने पार्टी नेताओं केपुत्र, पुत्रवधू और सगे-संबंधी को मैदान में उतार कर इतिहास रच दिया है। इनमें सेकुछ चार चरणों में हो चुके मतदान में लड़ाई का सामना कर चुके हैं तो कुछ पांचवें व छठे चरण में होने वाले मतदान की तैयारी में हैं। ये सभी उम्मीदवार अपने पिता व रिश्तेदारों के समर्थन के बूते जीत सुनिश्चित करने की कोशिश में हैं। राजनीतिक पंडित इसे नकारात्मक प्रवृति बताने के साथ-साथ बंगाल की राजनीति के लिए खतरा भी बता रहे हैं। रवीन्द्र भारती विश्व विद्यालय के राजनीतिक विश्लेषक और राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर सव्यसाची बसु राय चौधरी का कहना है कि यह एक नकारात्मक प्रवृत्ति है। बंगाल में इस समय राजनेताओं के दूसरी और तीसरी पीढ़ी चुनाव में है। यह एक नई और खराब शुरूआत है। यह प्रवृत्ति भविष्य में भी इसी प्रकार फलती-फूलती रहेगी। उन्होंने कहा कि यह चलन बंगाल की राजनीति के लिए घातक साबित हो सकता है, क्योंकि राजनीति चाय का प्याला नहीं है चाहे जिसे परोसा दिया जाए। राजनीति के लिए परिपक्वता के साथ प्रतिभा का होना जारूरी है जो अधिकांश वर्तमान राजनेताओं के दूसरी अथवा तीसरी पीढ़ी के बच्चों में नहीं है। पांचवें चरण का प्रचार थमा मतदान शनिवार को माओवाद गतिविधियों व राजनीतिक हिंसा के लिए सुर्खियों में रहने वाले पुरुलिया, बांकुड़ा, पश्चिम मेदिनीपुर समेत चार जिलों की 38 विधानसभा सीटों पर पांचवें चरण में शनिवार को होने वाले मतदान केलिए चुनाव प्रचार गुरुवार की शाम थम गया। प.मेदिनीपुर की 12 पर 55, बर्द्धमान की 12 पर 51, बांकुड़ा की 9 पर 49 और पुरुलिया की 5 सीटों पर 38 समेत कुल 193 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। चारों जिलों में मतदान की तैयारी पूरी कर ली गई है और केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती शुरू गई है। चुनाव कर्मी शुक्रवार से ही तीन जिलों के आठ हजार से अधिक बूथों पर पहुंच जाएंगे। इन क्षेत्रों के 38,93, 732 पुरुष और 35,09,274 महिलाओं समेत 74,03,006 मतदाता शनिवार को मतदान करेंगे। चुनाव आयोग के पास वोटरों को धमकाने की दो लाख शिकायतें पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां मतदान प्रतिशत शिखर पर है तो दूसरी ओर मतदाताओं को धमकी देने की शिकायतों का भी पहाड़ खड़ा हो गया है। 18 मार्च से शुरू हुए चुनाव का चौथा चरण तीन मई को समाप्त होने तक चुनाव आयोग को करीब दो लाख शिकायतें मिली हैं। ये शिकायतें वोटरों को डराने व धमकाने की हैं जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के करीब एक हजार कार्यकर्ताओं व नेताओं पर आरोप लगाया गया है। सबसे अधिक संख्या में मतदाताओं को डराने व धमकाने की शिकायतें हावडा, हुगली, पूर्व मेदिनीपुर और वर्द्धमान से मिली हैं। अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी एनके सहाना ने बताया कि उक्त चार जिलों के विभिन्न इलाकों से औसतन सात शिकायतें प्रतिदिन मिल रही है जो काफी चिंताजनक है। यही वजह रही है कि इन जिलों में मंगलवार को शांतिपूर्ण व निर्बाध मतदान समाप्त कराने के लिए 600 से अधिक केंद्रीय बलों की कंपनियां तैनात की गई थीं। राजनीतिक हिंसा के लिए अतिसंवेदनशील क्षेत्र सिंगुर और नंदीग्राम में कानून-व्यवस्था व मतदाताओं को भयमुक्त करने के लिए मतदान से पूर्व ही सुरक्षा बलों की गश्त तेज कर दी गई थी। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ में 2007 हिंसात्मक विरोध में 14 लोग मारे गए थे। इन प्रदर्शनों की मदद से तृणमूल कांग्रेस वाममोर्चा के ग्रामीण वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रही थी।
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