बेस्ट बेकरी मामले के नौ दोषियों की ओर से बांबे हाईकोर्ट में दायर अपील के लंबित होने के बीच इस नरसंहार में अभियोजन पक्ष की एक प्रमुख गवाह शेख यास्मीन बानो अपने बयान से पलट गई है। यास्मीन ने दावा किया है कि इस मामले में झूठी गवाही देने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने उसे प्रलोभन दिया और गुमराह किया। उसका साफ कहना है कि अदालत में झूठ बोलने के लिए उसे बाध्य किया गया था। इस हफ्ते की शुरूआत में जारी एक वक्तव्य में यास्मीन ने कहा कि तीस्ता ने बेस्ट बेकरी मामले में प्रलोभन देकर और गुमराह करके मुझसे गलत गवाही दिलाई। बांबे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पिछले साल जून में दिए गए हलफनामे में मैंने सबकुछ लिखा था। आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सीतलवाड़ ने कहा कि मुकदमा काफी पहले खत्म हो चुका है। दोषियों को दंडित किया जा चुका है। मैं नहीं जानती कि यह बयान अब क्यों दिया गया है। शेख परिवार की तरफ से यास्मीन अभियोजन पक्ष की एकमात्र गवाह थी जो 17 आरोपियों के खिलाफ पुलिस के मामले के पक्ष में खड़ी रही। मुख्य गवाह और यास्मीन की रिश्तेदार जाहिरा शेख समेत परिवार के शेष सदस्य अपने बयान से मुकर गए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि सीतलवाड़ ने उन्हें झूठ बोलने के लिए बाध्य किया था। 17 जून 2010 को दिए गए अपने हलफनामे में यास्मीन ने कहा है कि निचली अदालत के समक्ष उन्होंने सीतलवाड़ के इशारे पर गवाही दी। यास्मीन के अनुसार सीतलवाड़ का करीबी सहयोगी रईस खान स्थानीय मुस्लिम नेताओं के साथ उनसे मिला और दावा किया कि गुजरात में उनकी जान को खतरा है इसलिए उन्हें मुंबई चले जाना चाहिए। वहां उनका ख्याल रखा जाएगा। मेरे हलफनामे को याचिका के तौर पर माना जाना चाहिए। मैं और कुछ नहीं कहना चाहती। बांबे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त यास्मीन के हलफनामे को भारत के प्रधान न्यायाधीश, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और गुजरात के पुलिस महानिदेशक को भी भेजा गया है। फरवरी 2006 में सत्र अदालत ने यहां नौ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने बाद में जाहिरा और अन्य के खिलाफ शपथ लेकर झूठी गवाही देने के मामले में मुकदमा चलाया था और उन्हें दोषी ठहराया था|
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