Wednesday, April 6, 2011

शानदार इतिहास हैं हम उन्हें मालूम नहीं


भारत सरकार के किसी मंत्री का यह कथित बयान उसकी संकीर्ण मानसिकता का द्योतक है। देश के स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास की अपूर्ण जानकारी से इस तरह के विचार उत्पन्न हो सकते हैं। शायद उन्हें नहीं पता कि उत्तर भारत ने आजादी की लड़ाई में देश में सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी और ब्रिटिश साम्राज्य की चूलें हिलाकर रख दी थीं और उन्हें भागना पड़ा। उस दौरान उत्तर भारत में नौ लाख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश के विभिन्न जेलों में बंद रहे। इसमें से तमाम को फांसी भी हुई और उन्होंने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया।
बलिदानी गाथाओं से भरा है उत्तर
उत्तर भारत में क्रांतिकारियों के बलिदानों की गाथाएं अटी पड़ी हैं। इतिहास साक्षी है। गोरखपुर का चौरीचौरा कांड, चंद्रशेखर आजाद की अगुवाई में काकोरी कांड जिसमें अंग्रेजों के खजाने को लूटा गया- ये सभी स्वाधीनता आंदोलन में मील के पत्थर साबित हुए। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान युवाओं के प्रेरणास्रेत बने चन्द्रशेखर आजाद ने प्राणों की आहुति दी। अशफाक , राजेन्द्र लाहिड़ी तथा राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी हुई, जो उत्तर भारतीय ही थे।
स्वर्णा क्षरों में है नाम
महान पत्रकार गणोश शंकर विद्यार्थी ने साम्प्रदायिकता के खिलाफ जो अलख जगाई और प्राण न्योछावर किये, वह मिसाल है। यह वह इलाका है जहां 'पूर्ण स्वराज्य'
का अलख दो बार जगा। 1857 की क्रांति को लोग कैसे भूल सकते हैं? महारानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल, और ऊदा बाई जैसी वीरांगनाओं के बलिदान की गाथाएं स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं।
पांच-पांच पीएम देश को दिए उत्तर क्षेत्र ने
यह वह इलाका है जिसने जवाहर लाल नेहरू समेत पांच-पांच प्रधानमंत्री देश को दिए। लेकिन उत्तर भारत हमेशा उपेक्षित रहा पर इस इलाके ने इसकी कभी परवाह नहीं की। यहां तक कि गृहमंत्री चिदम्बरम के इस विवादास्पद बयान का खुलासा होने पर भी उत्तर भारतीयों ने इसका प्रतिरोध नहीं किया। दरअसल, यह हमारे विशाल हृदय का प्रतीक है। ऐसे समय में जब लोग छोटी-छोटी बातों पर बसें फूंक देते हैं और रेल का पहिया जाम कर देते हैं, गृहमंत्री के इस कथित बयान पर कोई प्रतिक्रिया का न होना, यह हमारी सहिष्णुता को रेखांकित करता है। ..मैं तो बस इतना ही कहना चाहूंगा कि जब दक्षिण, पूरब तथा पश्चिम राज्यों का विकास होता है तो भारत का विकास होता है और जब उत्तर भारत पिछड़ता है तो देश ही पिछड़ता है।
अतुल अंजान, राष्ट्रीय सहारा (हस्तक्षेप), २ अप्रैल २०११, पृष्ठ संख्या २
मुद्दा उठाएंगे जोर-शोर से
देश के गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने अगर इस तरह की बात विदेशी राजनयिक से कही है, जैसा कि विकीलीक्स ने खुलासा किया है तो यह देश को विखंडित करने वाला है। इस तरह की हरकत देश को तोड़ती और खंडित करती है। देश की एकता, अखंडता, समरसता और भाईचारे को प्रभावित करती है। ऐसे व्यक्ति को जो किसी भी पद पर क्यों न हो उसे सख्त से सख्त दंड देना चाहिए। उसे पार्टी से ही नहीं बल्कि राजनीति से भी बाहर कर देना चाहिए।
समूचे देश को एक रूप में देखें
देश हमारा एक है। चाहे वह उत्तर हो, दक्षिण हो या फिर पूरब और पश्चिम। रही बात उत्तर भारत की तो यह देश का दिल है। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि आजादी की लड़ाई में उत्तर भारतवासियों ने जो इतिहास रचा और अपने प्राणों की आहूति दी थी, वह किसी के मिटाए नहीं मिटने वाला है। देश के निर्माण में उत्तर भारतीयों का योगदान स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। वैसे भी किसी विदेशी राजनयिक या विदेशी से इस तरह की बात अपने देश के बारे में करना, उचित नहीं है। यह उचित प्लेटफार्म नहीं है।
पी. सी. संसद में भी रखें अपनी बात
केंद्रीय गृह मंत्री चिदम्बरम ने अगर यह बात कही है और उनके अनुसार उत्तर भारतीय देश के विकास में बाधक हैं तो उन्हें यह बात संसद में रखनी चाहिए। वे संसद को बताएं और फिर दूसरों की सुनें भी। इस पर बहस करें। इस मुद्दे को हमने छोड़ा नहीं है। आने वाले दिनों में हम इसे सदन में जोरदार तरीके से उठाएंगे। हमने इस मुद्दे पर पूर्ण विराम नहीं लगाया है।
(श्री अनजान और श्री लालू प्रसाद के विचार संजय सिंह की बातचीत पर आधारित)

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