राजनेताओं से संवाद करने में अन्ना को कोई परहेज नहीं मुलायम, मायावती, करुणा तथा पवार का लोकपाल पर नहीं है रुख साफ भ्रष्टाचार पर वार
नई दिल्ली। लोकपाल पर अनशन के दौरान राजनीतिक दलों को दुत्कार रहे अन्ना हजारे अब उनको पुचकारेंगे। दरअसल सरकार ने अन्ना हजारे को साफ कहा है कि लोकपाल का विधेयक पारित कराने के लिए कांग्रेस से इतर दूसरे दलों का समर्थन जुटाने के लिए उन्हें खुद भी मशक्कत करनी होगी। बताया जाता है कि अन्ना हजारे राजनीतिक दलों को लोकपाल की जरूरत समझाने के लिए बातचीत करने को राजी भी हो गए हैं। जल्दी ही वह महाराष्ट्र से लौटकर बड़े राजनेताओं को मनाने की कवायद में जुटेंगे। सरकार ने अन्ना हजारे को बता दिया है कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव, बसपा की प्रमुख मायावती, राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार और द्रमुक के प्रमुख एम करुणानिधि का रुख लोकपाल विधेयक पर क्या रहेगा इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। कांग्रेस और भाजपा की तरह इन दलों ने अन्ना हजारे के जन लोकपाल को लेकर कोई बहुत उत्साह नहीं दिखाया है। सरकार ने अन्ना को यह संकेत इसलिए दिए हैं क्योंकि ऊपर से तो नहीं पर अंदर ही अंदर प्राय: सभी राजनीतिक दल अन्ना हजारे के अनशन के जरिए सरकार पर दबाव बना लेने के तरीके से नाखुश हैं। अपने अनशन के दौरान अन्ना हजारे का बहुसंख्यक राजनेताओं को भ्रष्ट बताना भी राजनीतिक दलों को नागवार गुजरा है। लोकपाल पर बनी संयुक्त समिति के तीन मंत्रियों कपिल सिब्बल,वीरप्पा मोइली और सलमान खुर्शीद ने अन्ना हजारे के प्रतिनिधियों को बताया है कि अकेले सरकार के सहयोगी रुख से लोकपाल विधेयक पारित होने से रहा। इन मंत्रियों ने अन्ना हजारे के साथियों को कहा है कि राजनीतिक दल लोकपाल को अपने खिलाफ अस्त्र तैयार करने के तौर पर ले रहे हैं लिहाजा उन्हें विश्वास में लेने के लिए अन्ना को अपने स्तर पर भी मशक्कत करनी होगी। सरकार के संकेत साफ हैं कि मुलायम सिंह यादव शरद यादव, करुणानिधि मायावती सरीखे नेताओं को लोकपाल के फायदे और इसकी जरूरत समझानी होगी। लोकपाल विधेयक पर समर्थन को लेकर इन दलों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि इनके सांसदों की संख्या लोकसभा में 70 है। फिर लालू प्रसाद के राजद और उन बेहद छोटे दलों एवं स्वतंत्र सांसदों को भी लोकपाल के लिए मनाना पड़ेगा जिनकी संख्या लोकसभा में लगभग 25 है। अन्ना हजारे भी इस बात को महसूस कर रहे हैं कि राजनेताओं से टकराव बढ़ाकर लोकपाल नहीं बनाया जा सकता। यही वजह है कि अगले चरण में उन्होंने राजनीतिक दलों को विश्वास में लेने का कार्यक्रम बनाया है। इस विषय में पहले राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं और सांसदों को अन्ना हजारे का पत्र जाएगा जिसमें बताया जाएगा कि कैसे लोकपाल से उनका और सबका फायदा होगा। इसमें बताया जाएगा कि यह केवल जन प्रतिनिधियों के खिलाफ नहीं है बल्कि सारे जज समेत लोकसेवक इसके दायरे में आएंगे। कौन-कौन और कैसे इसके दायरे में आएगा वह भी बताया जाएगा। इसे भी समझाया जाएगा कि कैसे इसके जरिए भ्रष्टाचार के मामलों का जल्द निपटारा हो सकेगा। अन्ना हजारे लोकपाल का पूरा खाका समझाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं से भी मिलेंगे। यह काम अकेले अन्ना हजारे ही नहीं करेंगे बल्कि उनके दूसरे साथी भी करेंगे। इसे लोकपाल पर राजनीतिक दलों और सांसदों के सुझाव जमा करने वाली कवायद बताया जाएगा लेकिन यह होगी वास्तव में राजनेताओं को यह समझाने की कोशिश कि अन्ना सभी राजनेताओं के खिलाफ नहीं हैं। अनशन के दौरान अपने मंच पर किसी राजनेता को नहीं चढ़ने देने और कुछ नेताओं को भगा देने की घटनाओं की वजह से बहुत से राजनेता अन्ना से खुश नही हैं। इसे अन्ना भी समझ रहे हैं और अब राजनेताओं को लेकर उनकी तल्खी भी पहले जैसी नहीं रही। अब वह सबकों साथ लेकर चलने की बात करने लगे हैं। अन्ना हजारे का कहना है कि लोकपाल पर समर्थन हासिल करने के लिए उन्हें किसी भी राजनीतिक दल के साथ संवाद करने में कोई परहेज नहीं है। उनका कहना है कि अपनी बात रखना और सांसदों के सुझाव लेने में हिचक कैसी क्योंकि मजबूत लोकपाल अच्छे सुझावों से ही तो बन सकेगा।
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