Thursday, April 28, 2011

मोदी को घेरने वाले का भी दामन साफ नहीं


गुजरात दंगा मामलों में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर चर्चा में आए आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट दिसंबर 2010 में कांस्टेबल भर्ती में अनियमितता के चलते विभागीय कार्यवाही का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा वर्ष 1996 में राजस्थान के एक वकील को नारकोटिक्स के मुकदमे में फंसाने के मामले में भी भट्ट को मानवाधिकार आयोग के कोप का भागीदार बनना पड़ा था। भट्ट से पहले कुलदीप शर्मा, रजनीश रॉय समेत अन्य सुपरकॉप भी हैं, जो लंबे समय से साइड लाइन कर दिए गए थे। गुजरात कैडर में वर्ष 1988 बैच के आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट फिलहाल एसआरपी ट्रेनिंग स्कूल जूनागढ में तैनात हैं। यहां नौकरी करने के बजाए भट्ट लंबे समय से छुट्टी पर हैं। अभी वह मां की बीमारी के चलते अवकाश पर चल रहे हैं। गृह विभाग ने 1996 के कांस्टेबल भर्ती मामले में भट्ट को दिसंबर 2010 में ही आरोपित किया था। साबरकांठा जिले में पुलिस अधीक्षक के तैनाती के साथ भट्ट उस समय भर्ती प्रक्रिया समिति के अध्यक्ष थे। बताया जाता है कि भट्ट ने इस भर्ती के दौरान सरकारी आदेशों की खुलकर अवहेलना करते हुए जहां रजिस्टर तक नहीं बनाया, वहीं शारीरिक परीक्षा में फेल हुए कुछ अभ्यर्थियों को परीक्षा का दूसरा मौका भी दे दिया था। भट्ट लंबे समय से ट्रेनिंग सेंटर की जवाबदेही से बच रहे हैं। जानकार बताते हैं कि राज्य सरकार ने भट्ट को साइड लाइन करते हुए ही इस पद पर तैनात किया था|

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