Friday, April 29, 2011

जोशी ने बढ़ाया स्वामी और बलवा का जोश


जो भाषा डॉ. जोशी की रिपोर्ट में है, वही भाषा स्वामी काफी समय पहले बोल रहे थे। लेकिन इस भाषा में एक और नाम जुड़ गया है और वह है शाहिद उस्मान बलवा का। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक शाहिद उस्मान बलवा ने साफ तौर पर प्रधानमंत्री की तरफ उंगली उठाई है। उसने बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत में साफ कहा कि प्रधानमंत्री जी को गवाह के तौर पर बुलाया जाए..स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर संसद की पब्लिक एकाउंट कमेटी यानी लोक लेखा समिति के अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने आखिर वही लाइन ली है, जो काफी समय पहले से जनता पार्टी के सुब्रमण्यम स्वामी ले रहे थे। जिन पी. चिंदबरम पर सवाल डॉ. जोशी ने उठाए हैं, उन्हीं सवालों को लेकर कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से डॉ. स्वामी ने चिंदबरम के प्रास्क्यूशन की अनुमति मांगी है। हालांकि अपनी शैली के मुताबिक प्रधानमंत्री ने अभी तक स्वामी को कोई जवाब नहीं दिया है। लेकिन पीएसी की जिस रिपोर्ट पर इतनी चिल्लपो हो रही है, उस रिपोर्ट के बाद जो खेल 2जी स्पेक्ट्रम को लेकर अब शुरू हुआ है, उसके लपेटे में अब पी. चिदंबरम ही नहीं, प्रधानमंत्री को भी लाने की झलक दिखाई दे रही है। हालांकि कुछ खिलाड़ी अभी कुछ और तीर अपनी कमान में रखे हुए हैं और समय के साथ ही उसे छोड़कर कई और बड़े लोगों को लपेटे में लेंगे। लेकिन खतरनाक संकेत कुछ और भी हैं। जिस भाषा का इस्तेमाल स्वामी और जोशी ने प्रधानमंत्री के लिए किया है, उसी भाषा का इस्तेमाल अब सीबीआई कोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के एक प्रमुख आरोपी शाहिद उस्मान बलवा ने भी किया है।

उधर, डॉ. जोशी पर कांग्रेस के सदस्यों ने जो आरोप लगाया है, उससे उनकी बौखलाहट नजर आती है। रिपोर्ट में अगर प्रधानमंत्री का नाम आया है तो आखिर इससे कांग्रेसी सदस्यों को एतराज क्यों है। डॉ. मुरली मनोहर जोशी आखिर अटल बिहारी वाजपेयी तो हैं नहीं कि जैसे वे बोफोर्स घोटाले की फाइल छह साल प्रधानमंत्री रहने के बावजूद दबाकर बैठे रहे, वैसा कुछ कर सकें। डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने पीएसी की रिपोर्ट में अब जो कुछ लिख दिया है, उसे कमेटी मंजूर करे या करे, लेकिन सच्चाई लोगों के सामने चुकी है। पी. चिंदबरम को पहले सुब्रमण्यम स्वामी ने भी घेरा था। लेकिन उस समय इसे मीडिया कवरेज नहीं मिली थी। स्वामी ने वही सवाल चिदंबरम पर उठाए थे, जो सवाल अब डा. जोशी की रिपोर्ट में उठाए गए हैं।

स्वामी ने प्रधानमंत्री से चिदंबरम के प्रास्क्यूशन की मांग करते हुए साफ तौर पर कहा था कि चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए संयुक्त रूप से . राजा के साथ मिलकर स्पेक्ट्रम घोटाले में अपनी भूमिका निभाई। बाद में गृह मंत्री रहते हुए उन्होंने वह एडवाइजरी भी गृह मंत्रालय से दूरसंचार मंत्रालय को नहीं भेजवाई, जिसमें कहा गया था कि कुछ कंपनियां जो 2जी स्पेक्ट्रम में आई हैं, उनमें अंडरवर्ल्ड के पैसे लगे हैं। अब जोशी की रिपोर्ट में नया खुलासा है कि उन्होंने सारी ठगी को जानते हुए भी यह बताया कि मामले को खत्म समझा जाए। उन्होंने यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को दी। पीएसी की रिपोर्ट में जिस तरह से प्रधानमंत्री के ऊपर उंगली उठी है, उसमें दरअसल कोई आश्चर्य नहीं है, बल्कि इतना तय है कि आगे आनेवाले दिनों में पीएमओ के दो से तीन बड़े अधिकारियों के नाम 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आएगा।

दरअसल, अब खेल काफी दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। जो भाषा डॉ. जोशी की रिपोर्ट में है, वही भाषा स्वामी काफी समय पहले बोल रहे थे। लेकिन इस भाषा में एक और नाम जुड़ गया है और वह है शाहिद उस्मान बलवा का। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक शाहिद उस्मान बलवा ने साफ तौर पर प्रधानमंत्री की तरफ उंगली उठाई है। उसने बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत में साफ कहा कि प्रधानमंत्री जी को गवाह के तौर पर बुलाया जाए। उसके वकील ने कहा कि सारा कुछ प्रधानमंत्री की जानकारी में हुआ है और उन्हें हर बात की जानकारी दी गई। फिर वे कैसे अपनी जिम्मेदारी से बच सकते हैं।

शाहिद उस्मान बलवा का यह स्टैंड वास्तव में खतरनाक संकेत है। दरअसल, जो लोग पाक-साफ बनने की कोशिश में हैं, उन्हें घसीटने का फैसला . राजा और बलवा ने कर लिया है। वास्तव में यह सारा खेल डीएमके के इशारे पर है। डीएमके को यह बर्दाश्त नहीं है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की गाज सिर्फ उसके ही लोगों पर गिर रही है। बलवा के बयान के बाद यह तय हो गया है कि आखिरकार अब वे लोग भी लपेटे में जाएंगे, जो अभी तक माल डकारने के बाद भी चुप होकर बेदाग बैठे थे, क्योंकि जिस तरह कनिमोझी को पूरक चार्जशीट में लपेटा गया है, वह करुणानिधि और . राजा को बर्दाश्त नहीं है। जनता पार्टी के अध्यक्ष स्वामी ने पहले ही कहा है कि . राजा को सिर्फ दस प्रतिशत ही 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले का गया है और बाकी पैसे देश के दूसरे परिवारों के हिस्से में गया है। उन्होंने पैसे के ट्रांजेक्शन के अपनी तरह से सारे रास्ते भी बताए हैं और कहा है कि इसकी जांच खुद भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियां कर लें।

असल में जो कुछ स्वामी बोल रहे हैं, उसकी जानकारी खुद करुणानिधि, . राजा, कनिमोझी और शाहिद बलवा को है। लेकिन सरकार के सामने समस्या एक यही नहीं है। उधर सुरेश कलमाड़ी भी पता नहीं आगे किसका नाम लेंगे, इससे भी सरकार डरी हुई है, क्योंकि कॉमनवेल्थ का पैसा भी अकेले कलमाड़ी ने नहीं खाया है। फिर अन्ना हजारे समेत सिविल सोसायटी के सदस्यों का भी दबाव बना हुआ है। इसके अलावा अगली समस्या बाबा रामदेव को लेकर भी आनेवाली है, क्योंकि वे भी जून में दिल्ली में डेरा डालने वाले हैं। शायद अगली बार उनकी भाषा बदल जाए और अभी तक प्रधानमंत्री को ईमानदार कहते रहने के बजाय वे भी उनको अपने निशाने पर लें। कुल मिलाकर सरकार का संकट कम होने के बजाय बढ़ता ही दिख रहा है।


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