Saturday, February 18, 2012

वजूद बचाने की चुनौती

शहर और देहात की नौ विधानसभाओं में इस बार सत्ता पक्ष अपना अस्तित्व बचाने के लिए कड़ा संघर्ष कर रहा है। वर्ष 2002 में बीएसपी के दो विधायक चुनाव जीते थे जबकि 2007 में यह आंकड़ा चौंकाने वाले परिणाम के रूप में उभर कर सामने आया और सात विधायक बीएसपी के विधानसभा में पहुंचे। सपा, भाजपा और कांग्रेस इस बार पार्टी विरोधी लहर चलाकर फायदा उठाना चाह रहे हैं। नए चेहरों के साथ पार्टियां मतदाताओं को लुभाने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। कुल मिलाकर सभी सीटों पर प्रत्याशी संघर्ष की स्थिति में नजर आ रहे हैं। उधर परिसीमन के चलते भी कई क्षेत्रों में गणित गड़बड़ाता दिख रहा है। आगरा की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन यहां किसी न किसी सीट पर सभी पार्टियां कड़े संघर्ष करती दिखाई दे रही हैं। बीएसपी सात सीटों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ अन्य दो सीटों पर भी कब्जा करने के लिए कड़ी मेहनत करती दिखाई दे रही है। इसी क्रम में उसने उत्तरी विधानसभा से दो बार प्रत्याशी बदल दिए, दो बार जोनल को- आर्डिनेटर बदलकर कमान वीर सिंह को सौंपी गई है। सुधीर गुड्डू और डीवी शर्मा किस पार्टी के लिए काम कर रहे हैं फिलहाल इस बात से पार्टी को कोई लेना-देना नहीं है। वर्ष 2002 में बीएसपी के मात्र दो विधायक चुनकर लखनऊ पहुंचे थे लेकिन आज हालात उससे पूरी तहर उलट हैं। विधानसभावार मतदाताओं पर नजर डालें तो एत्मादपुर में 15,2878, छावनी में 16,7494, आगरा दक्षिण 14,4623, उत्तर 15,6221, ग्रामीण 14,7977, फतेहाबाद 13,5503, खेरागढ़ 12,9006, फतेहपुर सीकरी 11,3908 और बाह विधानसभा में 13,5580 मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। गत चुनावों में विधायक धर्मपाल जनमोर्चा का दामन छोड़कर बीएसपी में शामिल हुए थे। इस बार फतेहाबाद से विधायक राजेंद्र सिंह ने भाजपा के कमल से उतर कर साइकिल की सवारी शुरू कर दी है। कांग्रेस के दो दिग्गज भी टिकट न मिलने से नाराज हो गए थे और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया है। चौधरी बशीर और राजकुमार चाहर बागी की तरह तल्ख तेवरों के साथ मतदाताओं को अपनी ओर खींच रहे हैं जिससे कांग्रेस के माथे पर पड़े बल लगातार गहरे होते जा रहे हैं। सपा ने इस बार दो महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। खेरागढ़ से रानी प्रक्षालिका सिंह और आगरा ग्रामीण से हेमलता दिवाकर महिलाओं में घुसपैठ कितना वोट बटोरती हैं यह भविष्य के गर्त में है। जनपद की सभी नौ विधानसभाओं पर मुख्य पार्टियां संघर्ष करती दिखाई दे रही हैं। परिसीमन के चलते भी कई क्षेत्रों का गणित गड़बड़ा गया है। बसपा ने इस गणित को संभालने के लिए दो विधायकों (गुटियारीलाल दुबेश व जुल्फिकार अहमद भुट्टो) के क्षेत्र अदल-बदल कर दिए और पूर्व मंत्री नारायन सिंह का टिकट ही एत्मादपुर से काट दिया। इस बात का कितना फायदा मिलेगा या नुकसान होगा इसका निर्णय 28 फरवरी के मतदान के दिन मतदाता करेंगे।

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