यह गुजरात सरकार ही बता सकती है कि उसने गोधरा की घटना के बाद भड़के दंगों के रिकार्ड सुरक्षित रखे हैं या नहीं, लेकिन यह सब जानते हैं कि जब उन्हें नष्ट किए जाने की खबर आई तो कांग्रेस ने भाजपा पर हल्ला बोल दिया। इससे भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने उसे 1984 के सिख दंगों की याद दिला दी। ऐसा हमेशा होता है। कांग्रेस जब भी गुजरात के दंगों की चर्चा करती है उसे भाजपा की ओर से यही सुनने को मिलता है कि वह 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों के दौरान अपनी भूमिका याद करे। हालांकि ये दोनों घटनाएं इन दोनों राष्ट्रीय दलों को शर्मिदा करने और यह याद दिलाने वाली हैं कि कैसे 1984 में केंद्र की कांग्रेस सरकार और 2000 में गुजरात की भाजपा सरकार ने अपने राजधर्म का पालन नहीं किया, लेकिन वे दोनों घटनाओं की चर्चा कर खुद को एक-दूसरे से श्रेष्ठ जिम्मेदार होने का दम भरती रहती हैं। यह ऐसा इकलौता उदाहरण नहीं है। भाजपा जब भी ए राजा, सुरेश कलमाड़ी और अशोक चव्हाण का जिक्र करके कांग्रेस को घेरती है, वह उसे येद्दयुरप्पा की याद दिलाती है और कभी-कभी तो उन बेचारे बंगारू लक्ष्मण की भी, जिन्होंने सिर्फ एक लाख रुपये लेने का लालच किया था और इस चक्कर में कैमरे में कैद हो गए थे। ए. राजा, सुरेश कलमाड़ी, अशोक चव्हाण, येद्दयुरप्पा और बंगारू लक्ष्मण भारतीय राजनीति में खलनायक सरीखे बन चुके हैं, लेकिन कांग्रेस-भाजपा एक-दूसरे को मात देने के लिए इन्हीं नेताओं की याद करती हैं। ये दो उदाहरण अपवाद मात्र नहीं हैं। सच तो यह है कि ये दोनों राष्ट्रीय दल इसी तरह एक-दूसरे की खामियों-कमजोरियों अथवा जाने-अनजाने में किए गए गलत कार्याें से ऊर्जा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इस कोशिश में ये दोनों दल गडे़ मुर्दे उखाड़ने में भी संकोच नहीं करते। कश्मीर समस्या की चर्चा छिड़ने पर भाजपा नेहरू की भूलों को याद करने के लिए 1947-48 में चली जाती है तो कांग्रेस भी भाजपा को घेरने के लिए दशकों पुरानी घटनाओं का उल्लेख करने के लिए तैयार रहती है। वह देश को बताती है कि किस तरह भाजपा नेताओं ने देश की आजादी के संघर्ष में योगदान नहीं दिया और महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे किस तरह कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा था। क्या इससे बड़ी और कोई त्रासदी हो सकती है कि हमारे राष्ट्रीय दल अपने बचाव में एक-दूजे के गलत कार्यो को ढाल बनाएं? अभी हाल में जब पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़े और भाजपा नेताओं ने कांग्रेस को घेरा तो कांग्रेस के प्रवक्ता यह आंकड़ा लेकर सामने आ गए कि राजग शासन के समय किस तरह कितनी बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए गए थे? जब तमाम कांग्रेसी नेता रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के समर्थकों को खदेड़े जाने को सही करार देने की कोशिश कर रहे थे तब उनमें से कुछ इस कार्रवाई को जायज बताने के लिए न जाने कब दिल्ली में हुए वकीलों पर लाठीचार्ज की याद कर रहे थे। स्पष्ट है कि एक प्रकृति की अथवा समान प्रभाव वाली घटनाओं को ही ढाल बनाना जरूरी नहीं और इसे बंगारू लक्ष्मण द्वारा ली गई एक लाख रुपये की घूस और सुरेश कलमाड़ी के सैकड़ों करोड़ रुपये और ए. राजा के हजारों करोड़ रुपये के गोलमाल से समझा जा सकता है। सुरेश कलमाड़ी और ए. राजा ने जो कुछ किया उसके सामने बंगारू लक्ष्मण का काम तो चवन्नी की चोरी जैसा था। नेपाल से अपहृत कर कंधार ले जाए गए भारतीय विमान के बंधकों को बचाने के लिए आतंकियों को रिहा करने और संसद हमले में दोषी करार दिए गए आतंकी अफजल को फांसी न देने के लिए हर संभव जतन करने में कहीं कोई साम्य नहीं है, लेकिन भाजपा कांग्रेस पर जब-जब यह तोहमत मढ़ती है कि वह आतंकवाद से निपटने में नरमी दिखा रही है तब-तब कांग्रेसी उन चार आतंकियों को उसके समक्ष खड़ा कर देते हैं जिन्हें बंधकों के बदले छोड़ना पड़ा था। भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे की कमजोरियों को उजागर करते समय केवल कुतर्क ही नहीं कर रही होतीं, बल्कि खुद को श्रेष्ठ भी बता रही होती हैं। इसके अतिरिक्त वे यह छूट हासिल करने की कोशिश भी कर रही होती हैं कि तुम्हारे गलत काम के आधार पर हमें भी गलत काम करने का अधिकार प्राप्त है। यह कुछ वैसा ही है जैसे कोई महिला सिर्फ इसलिए अपने पति को पीटने लगे, क्योंकि उसकी पड़ोसन भी ऐसा करती है। इन दोनों दलों ने कई ऐसे काम किए हैं जो गलत थे, लेकिन अतीत में उपलब्ध उदाहरण उनकी आड़ बने। सत्ता में रहते समय अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार को संरक्षण देने में दोनों दलों का दामन एक जैसा ही दागदार है, लेकिन दोनों ऐसा प्रकट करते हैं जैसे उनके सरीखा नेक और नैतिकतावादी दल और कोई नहीं। नि:संदेह कांग्रेस और भाजपा एक जैसी नहीं हैं, लेकिन एक-दूसरे के गलत कामों को अपने लिए नजीर के रूप में इस्तेमाल करने में उनका कोई सानी नहीं। क्या इसमें कोई संदेह है कि तालाब रूपी भारतीय राजनीति को अब दो मछलियां गंदा कर रही हैं? (लेखक दैनिक जागरण में एसोसिएट एडीटर हैं).
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